डॉ. लक्ष्मी शंकर यादव। राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमण से बिगड़ते हालातों के बीच दिल्ली सरकार ने सेना की मदद मांगी है। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस संबंध में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखा है। तीन मई को हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता अभिनव वशिष्ठ ने कहा कि यह ऐसा समय है जब सेना की मदद ली जानी चाहिए, क्योंकि सेना के पास विभिन्न प्रकार के उपकरण हैं और चुनौती से निपटने की क्षमता है। वरिष्ठ अधिवक्ता कृष्णन वेणुगोपाल ने भी कहा कि सेना फील्ड अस्पताल बनाने से लेकर आक्सीजन की समस्या सुलझा सकती है। केंद्र सरकार ने उच्च न्यायालय को बताया कि दिल्ली में सेना की मदद के मामले को खुद रक्षा मंत्री देख रहे हैं।

बीते दिनों देश में बढ़ते कोरोना मामलों के बीच थल सेनाध्यक्ष ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। इस मुलाकात में कोरोना संकट पर सेना की तरफ से मदद के लिए की गई तैयारियों को लेकर विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई। प्रधानमंत्री को उन्होंने बताया कि विभिन्न राज्य सरकारों को सेना के चिकित्साकर्मी उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में सेना की ओर से अस्थायी अस्पतालों का निर्माण किया जा रहा है। सेना के अस्पतालों के दरवाजे भी आम लागों के लिए खोले जा रहे हैं। इन सभी कदमों से जनता को काफी फायदा होगा, क्योंकि सैन्य अस्पतालों के नजदीक के लोग यहां इलाज करा सकेंगे। इसके अलावा, सेना के जवान आयात किए जा रहे आक्सीजन टैंकरों को जरूरत की जगहों तक पहुंचा रहे हैं। इनके प्रबंधन में जहां विशेषज्ञ कौशल की जरूरत होती है, वहां भी सेना की तरफ से सहयोग किया जा रहा है। कुल मिलाकर सेना आवश्यकतानुसार नागरिकों और सरकार की मदद करने में लगी हुई है।

सेना की मेडिकल कोर शाखा भी पूरी तरह से मदद के लिए आगे आ रही है। इस शाखा के चिकित्सक एवं नर्सिंग स्टाफ सहायता के लिए उपलब्ध होंगे। इस महामारी से निपटने में इनका सहयोग विशेष भूमिका निभाएगा। युद्ध काल हो या शांति काल दोनों ही परिस्थितियों में घायलों व बीमार सैनिकों का इलाज करने का विशेष अनुभव इनको प्राप्त है। इन्हें घायलों को तीव्र गति से स्वस्थ करना होता है। तभी वे पुन: समरभूमि में जाकर अपने युद्ध कौशल का परिचय दे पाते हैं। अब इनके इसी प्रशिक्षण व अनुभव का लाभ देशवासियों को मिलेगा।

भारतीय सेना के अस्पतालों में हर प्रकार की सुविधाएं होती हैं। इसके अलावा युद्ध काल में जिस तरह से वे बेड सहित विभिन्न सुविधाओं का विस्तार करते हैं, वह कार्य इस समय भी किया जा सकता है। युद्ध काल में सेना इसे दो गुना तक करने में सक्षम होती है। सेना के अस्पताल देश के हर क्षेत्र में बने हुए हैं, जिनका लाभ नागरिकों को मिलेगा। सेना के जवानों को नागरिक सैनिक संबंधों की भी महत्वपूर्ण जानकारी होती है, क्योंकि उन्हें इस बात के लिए पहले ही प्रशिक्षित किया जाता है। संप्रति किसी भी देश की प्रशासनिक व्यवस्था को सही तरीके से चलाने के लिए सैनिक एवं नागरिक संबंधों का महत्व काफी बढ़ गया है। लोकतांत्रिक प्रणाली में भारतीय सेना के जवान संगठन, स्वरूप, कार्य एवं योजना को भली-भांति निभाते हैं।

वायु सेना : अगर वायु सेना की बात की जाए तो वह देश में क्रायोजेनिक आक्सीजन टैंकरों की भारी कमी को दूर करने के लिए दिन-रात अपने अभियान में जुटी हुई है। देश-विदेश से टैंकरों को जुटाने और उन्हें अलग-अलग जगहों पर पहुंचाने की गति को रुकने नहीं दे रहे हैं। भारतीय वायु सेना के सी-17 ग्लोबमास्टर विमान निरंतर इस कार्य को अंजाम दे रहे हैं। पूरे देश में चिकित्सा सहायता पहुंचाने के लिए वायु सेना के सभी बेड़ों को 24 घंटे उड़ान भरने के लिए तैयार रहने के निर्देश जारी किए जा चुके हैं। कोरोना महामारी से निपटने के लिए वायु सेना ने भारी संख्या में अपने भारी, हल्के व मध्यम श्रेणी के परिवहन विमानों को तैनात कर रखा है। वायु सेना ने एक विशेष कोरोना एयर सपोर्ट सेल भी बना रखा है जो हर परिस्थिति में विभिन्न मंत्रालयों एवं एजेंसियों के साथ सहयोग व समन्वय बनाए रखता है।

नौसेना का सहयोग : इस अभियान में भारतीय नौसेना भी अपनी भूमिका निभा रही है। चिकित्सा सुविधाओं और आक्सीजन बेड की मांग को देखते हुए पश्चिमी नौसेना कमान ने प्रवासी मजदूरों के लिए आक्सीजन बेड की सुविधा वाले तीन अस्पताल शुरू कर दिए हैं। कोरोना पीड़ितों की मदद के लिए गोवा में आइएनएचएस जीवनबत्ती और मुंबई में शुरू किए गए आइएनएचएस संधानी सिविल प्रशासन को सहयोग दे रहे हैं। नौसेना परिसर में प्रवासी मजदूरों के लिए बुनियादी सुविधाओं की स्थापना की गई। इससे उनका पलायन थमा।

बेहतर सहयोग प्रदान करने के लिए नौसैनिक अधिकारी नागरिक प्रशासन के साथ नियमित रूप से संपर्क में रहे। जरूरत के अनुसार इन अधिकारियों ने आकस्मिक सहायता भी की। मुंबई में आइएनएचएस संधानी एवं आइएनएचएस अश्विनी पर शॉर्ट नोटिस पर बैटल फील्ड नर्सिंग सहायकों के रूप में प्रशिक्षित मेडिकल और गैर-चिकित्साकर्मियों को भर्ती किया गया। यही नहीं, कारवाड़ में नौसैनिक अधिकारियों ने 1,500 प्रवासी मजदूरों के लिए जरूरी सामान एवं स्वास्थ्य सेवाओं के इंतजाम किए। भारतीय नौसेना ने विदेशों से आक्सीजन से भरे क्रायोजेनिक कंटेनर लाने के लिए विशेष अभियान चलाया। नौसेना के युद्धक पोत आइएनएस कोलकाता, आइएनएस तलवार, आइएनएस जलाश्व एवं आइएनएस ऐरावत बहरीन, सिंगापुर एवं थाइलैंड से आक्सीजन लेकर आए। उपरोक्त वर्णन से यह स्पष्ट हो जाता है कि यह सैन्य सहयोग भारत से कोरोना महामारी को दूर करके नागरिकों को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने में सहायक सिद्ध होगा।

[पूर्व प्राध्यापक, सैन्य विज्ञान विषय]