नई दिल्ली [प्रो बी आर दीपक]। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की भारत यात्रा से ठीक तीन दिन पहले, चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता क्वांग शवांग ने एक प्रेसवार्ता के दौरान कहा था कि कश्मीर मुद्दे को नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच बातचीत माध्यम से हल किया जाना चाहिए। क्या चीनी स्थिति वास्तव में बदल गई है या नहीं?

मेरा मानना है कि चीन की स्थिति नहीं बदली है। राष्ट्रपति शी की पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ विगत नौ अक्टूबर के साझा बयान बताते हैं कि पाकिस्तान चीन का सभी मौसम का रणनीतिक साझेदार है। चीन पाकिस्तान के प्रमुख हितों और प्रमुख चिंताओं को शामिल करते हुए पाकिस्तान का समर्थन करना जारी रखेगा। भारत को एक या दो बयानों से संतुष्ट होने की बजाय वास्तविक स्थिति से निपटने की आवश्यकता है।

राष्ट्रपति शी यह भी कह चुके हैं कि उन्हें उम्मीद है कि संयुक्त राष्ट्र के चार्टर और प्रस्तावों का उल्लेख किए बिना दोनों पक्ष शांतिपूर्ण बातचीत के माध्यम से विवाद को हल कर करेंगे। बहरहाल, चीन-पाकिस्तान संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर का मसला पुराने इतिहास का एक विवाद है, जिसे शांतिपूर्ण तरीके से संयुक्त राष्ट्र चार्टर, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के नियमों के हिसाब से सुलझाना चाहिए।

चीन एकपक्षीय कार्रवाई का विरोध करता है जो स्थिति को जटिल करता है, जैसा कि अनुच्छेद 370 के हटने के पहले और बाद में चीन का रुख था। हालांकि चीनी प्रधानमंत्री ली ख्यायांग ने कहा कि चीन-पाकिस्तान का हर मौसम रणनीतिक संबंध किसी भी तीसरे पक्ष के खिलाफ नहीं है। लेकिन इतिहास से पता चलता है कि इस रिश्ते की नींव भारत विरोधीहै। भारत जब कश्मीर मुद्दे को लेकर संयुक्त राष्ट्र गया था तब चीन इस अंतरराष्ट्रीय संगठन का सदस्य भी नहीं था। 1971 में पाकिस्तान के समर्थन के लिए, चीन ने बांग्लादेश के निर्माण का उपहास उड़ाया और 1932 में जापान के उत्तरपूर्व में जापान द्वारा मान चुक्वो के निर्माण के साथ इसकी बराबरी की।

अनुच्छेद 370 हटाने को चीनी विशेषज्ञ भारत का लापरवाह कदम करार दे रहे हैं। चीन यह भी जानता है कि वह पाकिस्तान का साथ देने के क्रम में भारत से ज्यादा दिन तल्खी नहीं रख सकेगा। लेकिन चीन के मोहरा बन चुके पाकिस्तान को देखते हुए भारत को इस वास्तविकता के साथ रहना होगा। तदनुसार अपनी घरेलू राजनीतिक और आर्थिक समस्याओं को मजबूत करना होगा।

 

लेखक  जेएनयू में सेंटर फॉर चाइनीज एंड साउथईस्ट एशियन स्टडीज के चेयरपर्सन हैं।