अनुचित भाषा का बढ़ता प्रयोग, व्यवहार की शालीनता को पूरी तरह तिलांजलि देते नेता

आज देश में अधिकांश दलों और राजनेताओं का लक्ष्य भी किसी भी तरह सत्ता में पहुंचने तक सीमित हो गया है। उन्हें यह समझना होगा कि सत्ता में पहुंच कर जनसेवा कर पाना ही एकमात्र विकल्प नहीं है।