अभिनव प्रकाश। भारत में रोजगार सृजन सदैव एक महत्वपूर्ण चुनौती रहा है। इसका मुख्य कारण जनसंख्या में अधिकांश हिस्सा युवा वर्ग का होना है। जब से नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री का पद संभाला है, भारत में रोजगार सृजन में एक नई गति आई है। कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) ने पांच लाख से अधिक युवाओं की भर्ती की है। जबकि कांग्रेस के दस वर्षों (2004-14) के शासनकाल में केवल दो लाख भर्तियां की गई थीं। रेलवे भर्ती बोर्ड ने 4.9 लाख से अधिक युवाओं की भर्ती की है।

संघ लोक सेवा आयोग ने पिछले नौ वर्षों में 50,906 उम्मीदवारों की भर्ती की है, जो कांग्रेस शासनकाल से करीब 6,000 अधिक हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने अक्टूबर 2022 में केंद्र सरकार द्वारा 10 लाख केंद्रीय सरकारी नौकरियों को भरने का लक्ष्य रखा था, जिसमें से लगभग नौ लाख उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र दिए जा चुके हैं। इसी तरह आइटी, विनिर्माण, व्यापार और परिवहन सहित नौ संगठित क्षेत्रों में 1.5 करोड़ से अधिक नौकरियां सृजित हुई हैं।

कोविड के बाद लगभग पांच करोड़ लोग कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ के पेरोल में शामिल हुए हैं। इनमें करीब 3.5 करोड़ लोग पहली बार ईपीएफओ के दायरे में आए हैं। यानी इन्होंने संगठित क्षेत्र में नौकरियां प्राप्त की हैं। चूंकि संगठित क्षेत्र का हिस्सा भारत में रोजगार में करीब 10 प्रतिशत ही है, इसीलिए रोजगार सृजन की स्थिति के लिए असंगठित क्षेत्र के आंकड़ों को भी देखना महत्वपूर्ण होगा।

मोदी सरकार की मुद्रा योजना के माध्यम से 40 करोड़ छोटे उद्यमियों को ऋण प्रदान किए गए हैं। आठ करोड़ लोगों ने पहली बार स्वरोजगार शुरू किया है। पीएम स्वनिधि योजना के माध्यम से 35 लाख रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं को आसान दर पर ऋण प्रदान कर सूदखोरी से मुक्त किया गया है। इन्हें अपने व्यवसाय का विस्तार करने और अधिक लोगों को रोजगार देने में सक्षम बनाया गया है। आजीविका योजना के तहत नौ करोड़ महिलाओं को 83 लाख से अधिक स्वयं सहायता समूहों में संगठित किया गया है, जिससे उनकी आय के अनेक मार्ग खुले हैं।

आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना ने अपने रोजगार सृजन लक्ष्य को पार करते हुए 60 लाख से अधिक नए कर्मचारियों को नामांकित किया है। कोरोना काल में इस पहल ने देश में आर्थिक पुनरुत्थान और रोजगार संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। कोरोना काल में ही आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना के तहत सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए 3.63 लाख करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई।

इसने 1.8 लाख करोड़ रुपये के एमएसएमई ऋण को एनपीए बनने से बचाया, जिससे 1.5 करोड़ नौकरियां बचीं और साथ ही नए रोजगार भी सृजित हुए। पीएम रोजगार प्रोत्साहन योजना के तहत 1,52,900 से अधिक प्रतिष्ठानों को लाभ मिला, जिसके 1.2 करोड़ से अधिक लाभार्थी हैं। दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के तहत लगभग 13 लाख उम्मीदवारों को 56 सेक्टरों और 600 ट्रेडों में प्रशिक्षित किया गया है और 7.9 लाख को विभिन्न नौकरियों में सीधे नियोजित किया गया। ग्रामीण स्वरोजगार एवं प्रशिक्षण संस्थानों के तहत 64 पाठ्यक्रमों में 39.9 लाख से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया गया है और 28.11 लाख से अधिक उम्मीदवारों को स्वरोजगार में स्थापित किया गया है।

नेशनल अप्रेंटिस प्रमोशन स्कीम के तहत अब तक कुल 13.38 लाख प्रशिक्षुओं को नियुक्त किया गया है। एक वर्ष के भीतर असंगठित क्षेत्र के 29 करोड़ श्रमिकों को सरकारी ‘ई-श्रम’ पोर्टल पर पंजीकृत किया गया है। पीएम ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान के तहत 6.2 करोड़ लोगों को ट्रेनिंग दी गई है, जिससे जमीनी स्तर पर रोजगार की क्षमता बढ़ी है। पिछले नौ वर्षों में 5.47 लाख कामन सर्विस सेंटर भी खोले गए हैं। प्रत्येक केंद्र में दो से पांच लोग कार्यरत हैं। ग्रामीण डिजिटल उद्यमों का भी सृजन हुआ है, जिनमें से 67,000 से अधिक महिलाएं उद्यमी हैं।

स्टार्टअप इंडिया के तहत एससी/एसटी लाभार्थियों को 7,351 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण दिए गए हैं। स्टैंडअप इंडिया के तहत 25,000 से अधिक एससी/एसटी उद्यमियों को बैंक ऋण और व्यावसायिक सुविधा प्रदान की गई है। खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने ग्रामीण क्षेत्रों में 9,54,899 नई नौकरियां सृजित करके एक नया आयाम स्थापित किया है। वित्त वर्ष 2022-23 में 448 अरब डालर से अधिक का रिकार्ड निर्यात हुआ। प्रत्येक अतिरिक्त एक अरब डालर के निर्यात से 1.5 लाख नौकरियां सृजित होती हैं। पीएलआइ योजना से भी संगठित क्षेत्रों में 60 लाख से अधिक अतिरिक्त नौकरियां सृजित हुई हैं।

भारत का लक्ष्य 2025-2026 तक इलेक्ट्रानिक्स उत्पादन क्षमता को 24 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाना है, जिससे 10 लाख से अधिक नौकरियां सृजित होने की उम्मीद है। बायोगैस उद्योग में 85,000 नौकरियां सृजित हुई हैं। राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन से 2030 तक आठ लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश और छह लाख से अधिक नौकरियां सृजित होने की संभावना है। सरकारी प्रोत्साहन से इलेक्ट्रानिक वाहन उद्योग में 2030 तक पांच करोड़ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियां सृजित हो सकती हैं।

रिकार्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास के कारण भी करोड़ों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित हुए। रियल एस्टेट सेक्टर में ही करीब तीन करोड़ रोजगार उत्पन्न हुए हैं। स्टार्टअप की संख्या 2014 में 350 से बढ़कर आज 1.25 लाख हो गई है। इससे प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष लाखों नौकरियां सृजित हुई हैं। इस प्रकार देखा जाए तो सरकारी नीतियों के कारण बेरोजगारी दर में लगातार गिरावट आ रही है, जो आज 3.2 प्रतिशत रह गई है। इसी वजह से पिछले दस वर्षों में 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं।

(लेखक दिल्ली विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं)