नई दिल्ली [अनिल सिंह]। गंगोत्री से गंगा की धारा के साथ बहता पत्थर का ऊबड़-खाबड़ टुकड़ा हजारों किलोमीटर की रगड़-धगड़ के बाद शिव बन जाता है, मंगल का प्रतीक बन जाता है। आंख में जरा-सा कण पड़ जाए तो हम इतना रगड़ते हैं कि वह लाल हो जाती है। लेकिन सीप में परजीवी घुस जाए तो वह उसे अपनी लार से ऐसा लपेटती है कि मोती बन जाता है। ऐसे ही हैं हमारे रीति-रिवाज़ और त्योहार जो हजारों सालों की यात्रा में क्या से क्या बन जाते हैं! 

दीप जलाने का पर्व दीपावली 

आदि संस्कृति का प्राकृतिक त्यौहार। कार्तिक की अमावस्या पर कोने-अंतरे में दीप जलाने का पर्व दीपावली। समय बीतने के साथ आज न जाने कितने तंत्र-मंत्र दीपावली के साथ जोड़ दिए गए हैं। जैसे पश्चिम में क्रिसमस पर घरों को रौशनी से सजाया जाता है, जैसे चीन में लैटर्न फेस्टिवल की जगर-मगर होती है, वैसे ही हमारी दिवाली भी चमक-दमक का त्यौहार बन गई है। शहरों में शोरगुल और रौशनी की चकाचौंध। कस्बे शहरों के लघु संस्करण बन गए। इस त्यौहारी संस्करण के तमाम विद्रूपों के बावजूद भारतीय मन दीपावली पर उमंग से भरा रहता है। हर कोई मानता है कि यश व वैभव की देवी लक्ष्मी उसके घर जरूर आएंगी। वह कोना-कोना साफ कर खिड़की-दरवाजे खुले रखता है। 

लक्ष्मी घर का रास्ता न भूल जाएं 

बिजली की लड़ियां या मिट्टी के दीए जलाकर रखता है ताकि लक्ष्मी उसके घर का रास्ता न भूल जाएं। लेकिन इस त्यौहार का सदियों से चला आ रहा मूल भाव वह कहीं न कहीं भूल गया लगता है। दरअसल, दीपावली तो बस सामूहिक माहौल बनाती है। बाकी इस दुनिया में जो भी समृद्धि व कीर्ति हासिल होती है, वह केवल और केवल अपने करतब व कर्म से हासिल होती है। इस बीच देश बराबर बढ़ रहा है। विश्व बैंक ने बिजनेस करने की आसानी के बारे में दुनिया के 190 देशों की सूची में भारत की रैंकिंग 14 पायदान उठाकर 63वीं कर दी है। पिछले साल भारत 23 सीढ़ियां चढ़कर 77वें स्थान पर पहुंचा था।

अर्थव्यस्था जल्दी ही तीन लाख करोड़ डॉलर 

देश की अर्थव्यस्था जल्दी ही तीन लाख करोड़ डॉलर की होने जा रही है। सरकार ने साल 2024 तक इसे पांच लाख करोड़ डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखा है। अब तो देश की सबसे बड़ी एफएमसीजी (फास्ट मूविंग कंच्यूमर गुड्स) कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर के चेयरमैन संजीव मेहता भी बता रहे हैं कि भारत साल 2032 के आसपास तक 10 लाख डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा। बिजनेस करने की आसानी में चीन की रैकिंग हमसे 32 पायदान ऊपर 31 स्थान पर है। उसकी अर्थव्यवस्था का आकार इस वक्त 15.54 लाख करोड़ डॉलर का है। 

चीन पहुंच गया आगे 

हम से दो साल बाद 1949 में मुक्त हुआ चीन कैसे इतना आगे पहुंच गया? खैर जो हुआ सो हुआ। कुछ स्वतंत्र रिसर्च रिपोर्ट बताती हैं कि भारत अगले 10-15 साल में बहुत तेजी से विकास करेगा और हम 10 लाख करोड़ डॉलर से कहीं ज्यादा बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे। कहा तो यह भी जा रहा है कि भारत के सामने लगभग 2000 साल बाद विकास का ऐसा शानदार मौका पेश हुआ है। हम यकीनन बतौर देश यह ऐतिहासिक मौका नहीं चूकेंगे। लेकिन औसत भारतीय का क्या होगा? आइएमएफ की रैंकिग के अनुसार प्रति व्यक्ति आय के मामले में

हम दुनिया के 186 देशों में 145वें नंबर पर हैं। 

केवल सरकार के भरोसे नहीं उठ सकता देश 

अगर देश के आमजन को उठना है तो वह केवल सरकार के भरोसे नहीं रह सकता। नौकरियों के अवसर भले ही कम हों, लेकिन 137 करोड़ आबादी वाले देश में रोजगार के अवसर कभी कम नहीं हो सकते। हम अपने दायरे से निकल दूसरों की जरूरतों को पूरा करने का उद्यम करें तो फौरन रोजगार का नया अवसर पैदा

हो जाता है। यही जीवन में सुख व समृद्धि पाने का मूल मंत्र है। यही दीपावली की मूल भावना है। इसे समझ हमें अपने कर्म को धार देने में जुट जाना चाहिए। वैसे भी दीपावली के बाद सोमवार को विक्रम संवत 2076 का पहला दिन है। (लेखक- संपादक, अर्थकाम.कॉम)