[पुष्परंजन]। श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे सात फरवरी से भारत की यात्रा पर हैं। इस दौरान वे नई दिल्ली के अलावा वाराणसी, सारनाथ और बोधगया भी गए। तिरुपति की यात्रा के बाद आज संभवत: उनकी यात्रा का आखिरी दिन होगा। महिंदा राजपक्षे का भारत आना उभयपक्षीय कूटनीति की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण रहा। नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में उनसे औपचारिक मुलाकात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नेबर फस्र्ट यानी पड़ोसी पहले वाली हमारी नीति जारी रहेगी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि श्रीलंका अपने यहां बसे तमिलों की आकांक्षाओं को पूरा करे। महिंदा राजपक्षे के छोटे भाई और श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे पिछले वर्ष नवंबर में भारत आए थे। उन्हें भारत की ओर से सौगात में 40 अरब डॉलर की क्रेडिट लाइन मिली थी। उसका कैसे इस्तेमाल करना है, इस विषय पर मोदी और महिंदा राजपक्षे ने विमर्श किया।

भगवान बुद्ध को चीवर अर्पित कर श्रीलंका के पीएम ने लिया आशीर्वचन : गया जिले के बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर में बुद्ध के दर्शन के बाद परिक्रमा करते श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे (बीच में), साथ हैं (दाएं व बाएं) महाबोधि सोसायटी के बौद्ध भिक्षु। महंिदूा राजपक्षे सोमवार को 20 सदस्यीय शिष्टमंडल के साथ बुद्धभूमि बोधगया पहुंचे। विश्वदाय धरोहर महाबोधि मंदिर में उन्होंने पूजा-अर्चना कर पवित्र बोधिवृक्ष के समक्ष पुष्प व मंदिर गर्भगृह में भगवान बुद्ध को चीवर (परिधान) अर्पित किया। उसके बाद बौद्ध लामाओं से उन्होंने आशीर्वचन लिए। महाबोधि मंदिर के परिभ्रमण के बाद उन्होंने अतिथि पंजी में लिखा कि यह विश्व के बौद्धों के लिए पवित्र और पूजनीय स्थल है। इस पवित्र भूमि पर आकर धन्य हो गया। उन्होंने महाबोधि मंदिर में अपने देश से आए पर्यटकों से मुलाकात भी की।

श्रीलंका के पुनर्निर्माण में भारत का योगदान : महिंदा राजपक्षे ने श्रीलंका में बीते दिनों सीरियल विस्फोटों के बाद आतंकवाद को काबू में करने और देश के पुनर्निर्माण में भारतीय सहयोग के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार प्रकट किया था। प्रधानमंत्री बनने के बाद महिंदा राजपक्षे की यह पहली भारत यात्रा है। इस दौरान वे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी मिले। आज महिंदा राजपक्षे के लिए जो दुविधा की स्थिति है, वह यह है कि प्रधानमंत्री मोदी ने श्रीलंका के आतंक निरोधक दस्ते को अपने यहां प्रशिक्षित किए जाने की इच्छा व्यक्त की है। महिंदा राजपक्षे इससे पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी से रक्षा और व्यापार के क्षेत्र में उभयपक्षीय सहयोग का आग्रह कर चुके हैं। पाकिस्तान ने प्रशिक्षण से लेकर हथियार निर्यात के क्षेत्र में सहयोग के वास्ते श्रीलंका से हाथ मिला रखा है।

नागरिकता संशोधन कानून और तमिल : एक बात देखने वाली है कि श्रीलंका में दोनों भाइयों के सत्ता में आ जाने के बाद से सिंहली राष्ट्रवाद नए सिरे से मजबूत हुआ है। ऐसे माहौल में मुसलमान और तमिल मूल के श्रीलंकाई डर की स्थिति में जी रहे हैं। यह किसी से छिपा नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नागरिकता संशोधन कानून में श्रीलंकाई तमिलों को भले शामिल नहीं किया हो, मगर यह सवाल लगातार उठा है कि वहां से आए शरणार्थियों की नागरिकता का क्या होगा? ठीक से देखें, तो सिंहली राष्ट्रवाद दो कालखंडों में मजबूत हुआ है। पहला लिट्टे की वजह से हुए गृह युद्ध के दौरान, जो कि 23 जुलाई 1983 से 18 मई 2009 तक चला। इसमें करीब 80 हजार से एक लाख लोग मारे गए थे। उस समय लिट्टे के समूल नाश का श्रेय इन दोनों भाइयों ने लिया था। तब देश के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे थे और तत्कालीन प्रतिरक्षा मंत्री गोतबाया राजपक्षे।

एक दूसरा स्याह समय अप्रैल 2019 में ही गुजरा है, जब श्रीलंका सीरियल विस्फोटों से दहल उठा था। उसमें 259 जानें गई थीं। इतने बेकसूर लोगों की ‘शहादत’ने भी सिंहली राष्ट्रवाद को मजबूत किया है। गोतबाया राजपक्षे ने राष्ट्रपति पद की शपथ के कुछ घंटों बाद देश के तमिलों और मुसलमानों को आश्वासन दिया है कि वे डरें नहीं, शांति से रहें। ऐसे बयान का क्या मतलब निकालें? क्या इन्हें डराया जा रहा था? यह भी एक बड़ी वजह रही है कि प्रभाकरण को मारने वाले रिटायर्ड मेजर जनरल कमल गुणारत्ने अब देश के नए प्रतिरक्षा मंत्री हैं। इससे पहले महिंदा राजपक्षे छह अप्रैल 2004 से 19 नवंबर 2005 तक प्रधानमंत्री रहे। उन दिनों असल खेल उनके राष्ट्रपति बनने पर आरंभ हुआ। 19 नवंबर 2005 से नौ जनवरी 2015 तक महिंदा राजपक्षे के कार्यकाल में राष्ट्रपति का पद इतना पावरफुल बनाया गया कि उसका ताव वे हजम नहीं कर पाए।

यह अफसोसनाक है कि अमेरिका से लेकर यूरोप तक मानवाधिकार हनन के विरुद्ध जो आवाजें उठी थीं, पांच वर्ष की अवधि में कहीं दफन हो गईं। जो विषय जमींदोज नहीं हुआ, वह था राष्ट्रवाद। राष्ट्रपति गोतबाया ने कहा कि हमें चीन, भारत और पाकिस्तान से समान रूप से व्यवहार करना है। क्या ऐसा संभव है? चुनाव परिणाम के बाद पाकिस्तान इस वजह से खुशियां बिखेर रहा था कि चीन परस्त राजपक्षे कुनबे की सत्ता में वापसी हुई है। चीन का यह मास्टरस्ट्रोक है। राजपक्षे कुनबे के सशक्त होने के बाद क्या श्रीलंका में चीन, बेल्ट एंड रोड इनीशियेटिव (बीआरआइ) को और विस्तार देने जा रहा है? श्रीलंका पर 65 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है, जिसमें से चीन को साढ़े आठ अरब डॉलर चुकता करना है।

दिल्ली में एक अखबार को इंटरव्यू देते हुए महिंदा राजपक्षे ने कहा कि श्रीलंका के कुल विदेशी कर्ज का मात्र 12 प्रतिशत चीनी कर्ज हमारे ऊपर है। भारतीय प्रयास यह है कि राजपक्षे कुनबा चीनी मोह से बाहर निकले। यह उसी का हिस्सा था कि राष्ट्रपति गोतबाया के शपथ के कुछ घंटे बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर कोलंबो उनसे मिलने पहुंचे और पीएम की ओर से भारत आने का न्योता दिया। पीएम मोदी सिरिसेन के समय तीन बार श्रीलंका दौरा कर चुके हैं। इस बार महिंदा राजपक्षे ने पीएम मोदी को कोलंबो आने का न्योता दिया है।

श्रीलंका की घरेलू राजनीति में ‘रॉ’का हौवा निरंतर खड़ा किया गया था। वर्ष 2018 में राजनीतिक अस्थिरता के दौर में तत्कालीन राष्ट्रपति सिरिसेन ने उस समय के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को पत्र लिखा कि भारतीय खुफिया एजेंसी ‘रॉ’मेरी हत्या की साजिश रच रही है। इसे संयोग नहीं कहें कि गोतबाया राजपक्षे ने उसके प्रकारांतर पुलिस में मामला दर्ज कराया कि उनकी हत्या की भी साजिश रची जा रही है। घटनाक्रमों को ध्यान से देखा जाए, तो लगता था कि ऐसे मिथ्यारोपों के पीछे महिंदा राजपक्षे का दिमाग काम कर रहा था। ये वही महिंदा राजपक्षे हैं, जो 2015 में संसदीय चुनाव हारने लगे, तो सारा ठीकरा ‘रॉ’ पर फोड़ा था। लिहाजा पीएम मोदी को कोलंबो यात्रा से पहले कई सारी गलतफहमियों को दूर कर लेना चाहिए। (ईआरसी)

[वरिष्ठ पत्रकार]