[ अवधेश कुमार ]: प्रधानमंत्री मोदी के सम्मान में अमेरिकी शहर ह्यूस्टन में आयोजित हो रहे हाउडी मोदी को लेकर तब और उत्सुकता बढ़ गई जब यह सूचना आई कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी इसमें शिरकत करेंगे। इसके बाद देश-दुनिया की नजरें इस कार्यक्रम पर टिकना स्वाभाविक हैं। लोग इतिहास के पन्ने पलट रहे हैं कि इसके पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ने किसी विदेशी नेता के साथ ऐसी जनसभा में कब मंच साझा किया था? इस सबके बीच ऐसी खबरें आ रही हैं कि मोदी ने फ्रांस के बिआरित्ज में जी-7 के दौरान हुई द्विपक्षीय मुलाकात में ही ट्रंप से सभा में शामिल होने का अनुरोध किया था। अब इस पर औपचारिक मुहर लग गई है तो इसके तमाम अर्थ निकाले जाएंगे। इससे पहले ब्रिटेन में मोदी के एक कार्यक्रम में तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड कैमरुन अपनी पत्नी के साथ उपस्थित हुए थे। वहां उन्होंने मोदी के सम्मान में कुछ पंक्तियां बोलकर माइक मोदी को ही थमा दिया था।

22 सितंबर को ह्यूस्टन में हाउडी मोदी

22 सितंबर को ह्यूस्टन के एनआरजी स्टेडियम में होने वाले हाउडी मोदी का नारा है, ‘शेयर्ड ड्रीम्स, ब्राइट फ्यूचर’ यानी ‘साझा सपने, उज्ज्वल भविष्य।’ इस कार्यक्रम के लिए रिकॉर्ड 50,000 से अधिक लोगों ने पंजीकरण कराया है। हालांकि यह कार्यक्रम मूलत: अमेरिकी भारतीयों के लिए है, लेकिन इसमें कोई भी शामिल हो सकता है।

ट्रंप भारतीय समुदाय के कार्यक्रम में शामिल होंगे

यह पहला मौका होगा जब कोई अमेरिकी राष्ट्रपति भारतीय समुदाय के ऐसे कार्यक्रम में शामिल होंगे, जिसे हमारे प्रधानमंत्री संबोधित करने वाले हैं। यह भी पहली बार होगा जब कोई अमेरिकी राष्ट्रपति एक ही स्थान पर इतनी बड़ी संख्या में मौजूद भारतीय-अमेरिकियों को संबोधित करेंगे। इस नाते भी यह कार्यक्रम महत्वपूर्ण है जिसे कुछ लोग ऐतिहासिक कह रहे हैं। हालिया दौर में यह पहला अवसर होगा जब दो सबसे बड़े लोकंतत्र के नेता संयुक्त रैली को संबोधित करेंगे। ‘हाउडी’ शब्द का अर्थ है, आप कैसे हैं? दक्षिण-पश्चिम अमेरिका में अभिवादन के लिए इस शब्द का प्रयोग किया जाता है। इस लिहाज से कार्यक्रम का अर्थ हुआ ‘मोदी, आप कैसे हैं?’

विदेशी दौरों में पीएम मोदी ने भारतवंशियों को भावनात्मक रूप से जोड़ा

2014 में सत्ता संभालने के बाद से अपने विदेशी दौरों में जहां भी संभव होता है, मोदी भारतवंशियों को संबोधित करते हैं। मोदी ने इन सभाओं से न सिर्फ दुनिया भर में फैले करीब दो करोड़ से अधिक भारतवंशियों के भीतर भारतीय होने का स्वाभिमान पैदा कर भारत से भावनात्मक रूप से जोड़ा है, बल्कि इससे उन देशों को भी कई संदेश दिए हैं। सितंबर 2014 में बतौर प्रधानमंत्री अपने पहले अमेरिकी दौरे के दौरान मोदी ने न्यूयॉर्क के मेडिसन स्क्वायर में जैसा भाषण दिया और आयोजकों ने उस कार्यक्रम को जैसा भव्य स्वरूप दिया उसका अमेरिकी प्रशासन एवं संयुक्त राष्ट्र महासभा में शामिल होने गए अनेक नेताओं पर जबरदस्त प्रभाव पड़ा। इसके पहले कई पीढ़ियों ने अमेरिकी सरजमीं से किसी भारतीय नेता को यह कहते नहीं सुना था कि भारत दुनिया का मार्गदर्शन करने के लिए आ गया है। कहा जाता है कि यह दुनिया के लिए पहला राजनीतिक रॉक कार्यक्रम था। तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा था कि मोदी का स्वागत ऐसे हुआ जैसे किसी रॉकस्टार का होता है।

भारत के बारे में धारणा बदली

भारतवंशियों के बीच सुनियोजित, सुव्यवस्थित और लक्षित सभा से मोदी ने अपने एवं भारत के बारे में धारणा बदलने में सफलता पाई है। न्यूयॉर्क के एक वर्ष बाद कैलिफोर्निया के सैप सेंटर में जब मोदी का भाषण हुआ तो अमेरिका की दोनों पार्टियों के बड़े नेता वहां उपस्थित थे। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की पहली महिला स्पीकर रहीं नैंसी पोलेसी ने भाषण के बाद मोदी को गले लगाया। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ब्रिटेन, जर्मनी, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब जैसे देशों के अलावा कई छोटे-छोटे देशों में भी मोदी ने भारतवंशियों के सामने बोलने का समय निकाला और इसके अपेक्षित परिणाम भी सामने आए। इससे भारत और भारतवंशियों की अतुलनीय ब्रांडिंग हुई। हाउडी मोदी भी प्रभावों और परिणामों की दृष्टि से दूरगामी महत्व वाला होगा।

ट्रंप मोदी की लोकप्रियता का लाभ उठाना चाहते हैं

कहा जा रहा है कि ट्रंप को अगले वर्ष चुनाव में उतरना है और वह भारतवंशियों के बीच मोदी की लोकप्रियता का लाभ उठाना चाहते हैं। अमेरिका में भारतवंशियों की संख्या करीब 30 लाख है जिनमें कम से कम 15 लाख मतदाता हैं। मोदी की एशियाई मतदाताओं में भी लोकप्रियता है। पिछले चुनाव में ट्रंप ने करीब पांच हजार भारतीयों की सभा को संबोधित किया था। मोदी के नारे की तर्ज पर उन्होंने ‘अबकी बार, ट्रंप सरकार’ का अपने लहजे में बोलने का प्रयास भी किया था। मतदाताओं को लुभाना ट्रंप का एक उद्देश्य हो सकता है और इससे इसकी पुष्टि होती है कि भारतीय अमेरिकी अब अमेरिका की राजनीति में खासे अहम हो गए हैं।

ट्रंप मोदी के साथ साझा करेंगे मंच 

भारत के प्रधानमंत्री को इतना महत्व देने का संदेश अंतरराष्ट्रीय राजनीति के लिए काफी महत्वपूर्ण है। जम्मू-कश्मीर को लेकर भारत-पाकिस्तान के बीच संबंधों के तनाव और चीन के पाकिस्तान के साथ खड़ा होने के दौर में ट्रंप का खुलकर भारतीय प्रधानमंत्री के साथ मंच साझा करने का निश्चित ही बड़ा संदेश जाएगा। मोदी-ट्रंप की इस सभा में अमेरिकी संसद के दोनों सदनों के 50 से ज्यादा सांसद शामिल हो रहे हैं जिनमें रिपब्लिकन एवं डेमोक्रेट, दोनों हैं। इसमें अमेरिका के कई गणमान्य नागरिक और कारोबारी भी शिरकत करेंगे। वैसे अमेरिकी कंपनियों के सीईओ के साथ मोदी की एक बैठक अलग से प्रस्तावित है। कोई यह न समझे कि भारत ने किसी तरह अपने राष्ट्रीय हितों से समझौता किया है।

हमें इसकी जरूरत है, भारत ने यूएस से कहा था

अमेरिका ने रूस से एस 400 मिसाइल प्रणाली लेने का खुलकर विरोध किया और प्रतिबंध तक की चेतावनी दी, लेकिन भारत ने अपनी सुरक्षा आवश्यकता बताते हुए विनम्रता से कह दिया कि हमें इसकी जरूरत है। ईरान के मामले पर भी प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मत से खुलकर ट्रंप को अवगत कराया है। अमेरिका की तालिबान के साथ रद हुई वार्ता जिसमें पाकिस्तान मध्यस्थ बन रहा था, उसे लेकर अपनी असहजता जताने से भारत नहीं हिचका। रूस यात्रा में प्रधानमंत्री मोदी एवं राष्ट्रपति पुतिन के साझा बयान में अफगानिस्तान की चर्चा है। व्यापार के मुद्दे पर भी हमारे बीच मतभेद हैं। इन सबके होते हुए भी अमेरिकी प्रशासन भारत को महत्व दे रहा है तो इसके मायने समझने ही होंगे। दुनिया को भी इसका संदेश समझना होगा। पाकिस्तान के लिए तो यह बहुत बड़ा धक्का है।

( लेखक राजनीतिक विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार हैं )