[हरेंद्र प्रताप]। असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर का दूसरा और अंतिम मसौदा 30 जून को सामने आना है। जैसे-जैसे यह तिथि करीब आ रही है, असम सरकार को सुरक्षा तैयारियां पुख्ता करनी पड़ रही हैं। यह रजिस्टर तय करेगा कि कौन असम का वैध निवासी है और कौन अवैध? पूरे देश में केवल असम में इस तरह के रजिस्टर को तैयार करने की जरूरत इसलिए पड़ी, क्योंकि यह राज्य घुसपैठ से सबसे अधिक प्रभावित है। बांग्लादेश से होने वाली घुसपैठ ने इस राज्य में जनसंख्या के अनुपात को किस तरह बदला है, इसे इससे समझा जा सकता है कि असम में 1971 में जो मुस्लिम आबादी 24.56 प्रतिशत थी वह 2011 की जनगणना में 34.22 प्रतिशत हो गई। असम में मुस्लिम आबादी की यह वृद्धि इसी अवधि में राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक रही।

विभाजन के समय असम के कुछ इलाकों पर पाकिस्तान की निगाह थी। वह इन इलाकों को पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) का हिस्सा बनाना चाहता था। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने अपनी पुस्तक ‘मिथ ऑफ इंडिपेंडेट में लिखा था कि भारत से केवल कश्मीर को लेकर ही विवाद नहीं है, बल्कि पूर्वी पाकिस्तान से सटे असम और बंगाल की वह भूमि भी विवाद का कारण है जो विभाजन के समय उसे मिलनी चाहिए थी, लेकिन मिली नहीं। असम में बांग्लादेशी नागरिकों के अवैध प्रवेश और प्रवास के खिलाफ असम साहित्य परिषद की अगुआई में असम गण परिषद और असम छात्र संगठन ने विदेशी भगाओ आंदोलन चलाया था।

1980 में छेड़े गए इस आंदोलन के चलते 1985 में आंदोलनकारी नेता सत्ता में तो पहुंच गए, लेकिन उन्होंने विदेशी घुसपैठ का मुद्दा ठंडे बस्ते में डाल दिया। चूंकि विदेशी भगाओ आंदोलन के कारण बांग्लादेश से आए घुसपैठिये नाराज थे इसलिए तत्कालीन मुख्यमंत्री हितेश्वर सैकिया ने प्रशासनिक ढांचा मजबूत करने के नाम पर राज्य में नए जिले बनाने शुरू कर दिए। 1983 में ग्वालपाड़ा से काटकर कोकराझार और धुबड़ी, कामरूप से काटकर बारपेटा, दरांग से काटकर सोनितपुर, शिवसागर से काटकर जोरहाट और कछार से काटकर करीमगंज को जिला बनाया गया। जल्द ही इन छह जिलों में से तीन धुबड़ी, ग्वालपाड़ा और बारपेटा मुस्लिम बहुल बन गए और करीमगंज में मुस्लिम आबादी 49 प्रतिशत तक पहुंच गई।

2011 की जनगणना में असम के 27 जिलों में से नौ जिले मुस्लिम बहुल पाए गए। जिन 18 जिलों र्में हिंदू आबादी बहुमत में है उनमें से कोकराझार, कामरूप और कछार में हिंदू आबादी का प्रतिशत 60 से कम है। जल्द ही इन जिलों में मुस्लिम आबादी का प्रतिशत हिंदू आबादी से अधिक हो जाएगा। असम में जिले कैसे बनाए गए, यह जानना भी जरूरी है। बोगाईगांव जिले में 2001 में हिंदू आबादी का प्रतिशत 59.17 और मुस्लिम आबादी का प्रतिशत 38.52 था। नए जिले बनाते समय मुस्लिम बहुल हिस्से को बोगाईगांव में रखा गया और शेष को काटकर चिरांग जिला बना दिया गया। 2011 की जनगणना बोगाईगांव में मुस्लिम जनसंख्या 50.22 फीसद थी और हिंदू जनसंख्या 48.61। असम में उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप से बंगलादेशी घुसपैठियों की पहचान का काम शुरू हुआ और असम के नागरिकों के रजिस्टर के पहले मसौदे का प्रकाशन 31 दिसंबर 2017 किया गया।

30 जून को इस रजिस्टर के अंतिम मसौदे का प्रकाशन होना है। 1971 के बाद बंगलादेश से घुसपैठ कर असम में आए लोगों की नागरिकता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा होने से कांग्रेस भी चिंतित है और बदरुदीन अजमल की पार्टी भी। 1960 में असमिया और बंगला भाषा का विवाद, 1971 में असम से मेघालय और मिजोरम का कट जाना, नगा विद्रोहियों का ग्रेटर नगालैंड के नाम पर असम के कुछ हिस्से को काट कर नगालैंड में शामिल करने की मांग के चलते असम की समस्याएं काफी जटिल हो गई हैं। इनका समाधान सावधानी से करना होगा। एक अनुमान है कि पूर्वी पाकिस्तान यानी आज के बांग्लादेश से लगभग 10 लाख गैर मुस्लिम भागकर असम और पश्चिम बंगाल आए थे। हालात को देखते हुए इन लोगों को भारत की नागरिकता देना भारत का राजधर्म था। भारत में शरणार्थी बनकर रह रहे इन लोंगों को भारत में संरक्षण दिया जाए, इसका समर्थन 2014 में असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने भी किया था।

जुलाई 2016 में केंद्र सरकार ने यह निर्णय लिया कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए भारतीय मूल के जो हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई लंबी अवधि का वीजा लेकर रह रहे हैं, वे घर बनाने हेतु जमीन खरीद सकते हैं, बैक खाता खोल सकते हैं और अपना आधार कार्ड बनवा सकते हैं। इन शरणार्थियों की मातृभाषा बांग्ला होने व 1960 में असमिया-बांग्ला भाषायी विवाद के कारण केंद्र सरकार के इस निर्णय को असम में सहज ढंग से लागू करने के लिए जिस राजनीतिक सहमति की दरकार है उसका अभाव दिख रहा है। कई राजनीतिक दल संकीर्ण राजनीतिक कारणों से नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध कर रहे हैं। यह एक तरह से राष्ट्रीय दायित्व के निर्वहन में जानबूझकर बाधा खड़े करने जैसा है।

(लेखक बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे हैं)