सोनम लववंशी। इन दिनों संपूर्ण विश्व कोविड-19 महामारी से जूझ रहा है। वहीं कुछ देश इसमें भी अपने गुप्त मनोरथ को पूर्ण करने में लगे हैं। चीन अपनी विस्तारवादी नीति से वैश्विक पटल का सरदार बन जाना चाहता तो उसी के प्रभाव में आकर नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली सदियों पुराने मित्र भारत से कई अर्थो में बगावत कर रहे हैं। जो मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हर भारतवासी के दिलोदिमाग में बस हैं, जो भारत की एकता के प्रतीक हैं, उनको ओली नेपाल का बेटा बताने में लगे हैं।

हालांकि मानने के लिहाज से सबके अपने-अपने राम हो सकते हैं। कबीरदास ने कहा भी है कि ‘घट बिन कहूं ना देखिये राम रहा भरपूर, जिन जाना तिन पास है दूर कहा उन दूर।।’ अर्थात भगवान तो आपके घट (शरीर) में विराज मान हैं। आपको अपने घट की भक्ति करनी चाहिए और अपनी आत्मा में परमात्मा की खोज करना चाहिए। अब जब श्रीराम रूपी ईश्वर सभी के शरीर के भीतर ही वास करता हो, फिर श्रीराम तो सभी के ही हैं, लेकिन वास्तविकता तो यह है कि साक्षात श्रीराम अयोध्या के राजा थे।

वैसे भारत के गौरवशाली इतिहास को कमतर आंकने या उसे छोटा करने की साजिश कोई नई नहीं है। भारत की सभ्यता एवं संस्कृति को धूमिल करने का प्रयास सदियों से होता रहा है, लेकिन कुछ नहीं बदला तो वह है इस देश की सनातनी संस्कृति। हो सकता है कि ओली भी उसी मानसिकता से श्रीराम को अपना बता रहे हों। ओली कितना भी कह लें कहने से इतिहास नहीं बदल जाता। वे अयोध्या और श्रीराम को अपना बताने के क्रम में यह भूल गए कि इतिहास में जिस अयोध्या का जिक्र किया गया है, जहां श्रीराम ने जन्म लिया था वह सरयू नदी के तट पर बसी है। सरयू नदी भारत में है। अब ओली नेपाल में सरयू नदी कहां से लाएंगे। भारत की प्राचीन सप्तपुरियों में अयोध्या का नाम सबसे पहले आता है।

अयोध्या को अथर्ववेद में ईश्वर के नगर के रूप में बताया गया है। स्कंदपुराण के अनुसार अयोध्या भगवान विष्णु के चक्र पर विराजमान है। बेंटली एवं पार्जटिर विद्वानों ने भी ‘ग्रह मंजरी’ में अयोध्या की स्थापना का काल 2200 ईपू माना है। यह तो प्राचीन इतिहास की बात हुई, लेकिन जिस देश में अयोध्या और रामजन्मभूमि को लेकर करीब 491 वर्ष तक विवाद चला हो, जिसका नौ नवंबर, 2019 को ऐतिहासिक फैसला आया हो, जिसमें अयोध्या को रामजन्मभूमि के रूप में न केवल मुस्लिम पक्ष, बल्कि संपूर्ण विश्व ने स्वीकार किया हो।

ओली उस अयोध्या और श्रीराम को लेकर इस तरह से विवादित बयान कैसे दे सकते हैं। लगता है कि वे चीन के प्रभाव में आ यह बात कह रहे हैं या फिर उन्हें इतिहास का कम ज्ञान है। वहीं नेपाल के विदेश मंत्री किस अनुसंधान की बात कर रहे हैं। इतने सारे प्रमाण तो हैं जो अयोध्या को भारत का और श्रीराम को अयोध्या का साबित करते हैं।

(लेखिका स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)