डॉ. जयंतीलाल भंडारी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में नई राजग सरकार बन गई। गठबंधन के नेताओं ने देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने और विकसित भारत के लिए सरकार को हरसंभव योगदान देने की बात कही है। इससे देश के आर्थिक विकास की डगर पर तेजी से आगे बढ़ने के साथ दुनिया में इसकी आर्थिक अहमियत बढ़ने की उम्मीद बढ़ गई है। नई सरकार को विरासत में मजबूत अर्थव्यवस्था मिली है। विगत 10 वर्षों से भारत प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में स्थिर, मजबूत और प्रभावी सरकार के कारण अपनी अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने में सफल रहा है।

हाल में दुनिया की प्रसिद्ध क्रेडिट रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने मजबूत आर्थिकी, तेज आर्थिक सुधार और राजकोषीय मजबूती के मद्देनजर भारत की रेटिंग को स्थिर यानी स्टेबल से बदलकर पाजिटिव कर दिया है। उसका कहना है कि पिछले तीन साल में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की औसत वास्तविक वृद्धि दर 8.1 प्रतिशत सालाना रही है और अगले तीन साल सात प्रतिशत के करीब रहेगी।

दुनिया के प्रसिद्ध निवेश बैंक गोल्डमैन साक्स ने भी अपनी नई रिपोर्ट में चालू वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की विकास दर के अनुमान को बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया है। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) ने इसके 6.8 प्रतिशत, एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने सात प्रतिशत तथा विश्व बैंक ने 7.5 प्रतिशत रहने के अनुमान व्यक्त किए हैं। भारत में बीते वित्त वर्ष 2023-24 में प्रत्यक्ष कर संग्रह 17.7 प्रतिशत बढ़कर 19.58 लाख करोड़ रुपये हो गया। जीएसटी संग्रह 11.7 प्रतिशत बढ़कर 20.18 लाख करोड़ रुपये हो गया। कर संग्रह के ये आंकड़े भारतीय अर्थव्यवस्था में तेज उछाल और व्यक्तियों तथा कारपोरेट सेक्टर की आमदनी में वृद्धि को दर्शाते हैं। कुछ और भी ऐसे कारण हैं, जो भारत की अहमियत बढ़ा रहे हैं।

इस समय जनसांख्यिकीय लाभांश भारत के पक्ष में है। भारत में दुनिया की सबसे अधिक युवा आबादी है। भारत नवीकरणीय ऊर्जा के साथ ऊर्जा के क्षेत्र में छलांग लगाकर आगे बढ़ रहा है। भारत के पास बेहतर स्टार्टअप व्यवस्था और पूंजी बाजार है। दुनिया में साफ्टवेयर के क्षेत्र में भी भारत पहले स्थान पर है। बेहतर इन्फ्रास्ट्राक्चर से लाजिस्टिक लागत घटाकर भारत उद्योग कारोबार के क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहा है। भारत अपने 80 करोड़ से अधिक गरीब वर्ग के लोगों को नि:शुल्क खाद्यान्न वितरण कर रहा है, जिससे उनकी कार्यक्षमता एवं उत्पादकता बढ़ी है। इस दौरान विभिन्न सरकारी योजनाओं के कारण भारत को अपने 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर लाने में सफलता मिली है।

मजबूत आर्थिक विकास से रोजगार और स्वरोजगार के अवसरों में लगातार वृद्धि हो रही है। भारत में महंगाई भी कई विकसित और विकासशील देशों की तुलना में अपेक्षाकृत नियंत्रण की स्थिति में है। इस समय वैश्विक व्यापार की स्थिति ठीक नहीं है। बावजूद इसके पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में भारत से वस्तु एवं सेवाओं का कुल निर्यात रिकार्ड 776.68 अरब डॉलर रहा। भारत के कच्चे तेल के आयात बिल में 16 प्रतिशत की गिरावट आने के साथ व्यापार घाटे में भी कमी आई। इस समय दुनिया में कृषि निर्यात में भारत का स्थान सातवां है। भारत से करीब 50 हजार डॉलर से अधिक मूल्य का कृषि निर्यात होता है।

रिजर्व बैंक द्वारा सरकार को रिकार्ड लाभांश दिए जाने और वैश्विक आर्थिक संगठनों एवं क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा भारत की ऊंची विकास दर के अनुमान का लाभ भारतीय शेयर बाजार को भी मिल रहा है। बांबे स्टाक एक्सचेंज (बीएसई) में सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण पांच लाख करोड़ डॉलर के पार पहुंचना कोई छोटी बात नहीं है। भारत इस मुकाम तक पहुंचने वाला दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा देश बन गया है। कोरोना काल के बाद भारतीय घरेलू खुदरा निवेशकों की रुचि शेयर बाजार में बढ़ी है।

पिछले 10 साल में डीमैट अकाउंट 2.3 करोड़ से बढ़कर 15 करोड़ हो गए हैं और म्यूचुअल फंड निवेशकों की संख्या एक करोड़ से बढ़कर 4.5 करोड़ हो गई है। 2014 में सेंसेक्स 25,000 पर था, वह आज 76,000 अंक से अधिक की ऊंचाई पर पहुंच गया है। वैश्विक निवेशकों का भरोसा भी भारत के शेयर बाजार पर बढ़ा है। यह विदेशी कंपनियों और निवेशकों को इस बात के लिए भी प्रोत्साहित कर रहा है कि वे भारत से हुई कमाई को फिर भारत में ही निवेश करें। इससे भारत में कारोबारी माहौल में सुधार होगा। यह सुधार उन घरेलू निवेशकों को भी बड़े पैमाने पर निवेश बढ़ाने के लिए प्रेरित करेगा, जो अभी किनारे बैठकर निवेश करने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। यह देश की उत्पादक क्षमता बढ़ाने के साथ आर्थिक वृद्धि की संभावनाओं को बेहतर करेगा।

प्रधानमंत्री मोदी के तीसरे कार्यकाल से देश को एक बार फिर मजबूत गठबंधन सरकार मिली है। उम्मीद है कि वह एक ऐसी प्रभावी सरकार चलाएंगे, जो देश को चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करने में और सक्षम बनाएगी। इस सरकार से यह भी आशा है कि वह वैश्विक मंचों पर भारत को उभारते हुए गरीब कल्याण एवं सामाजिक न्याय के ऊंचे प्रतिमानों से आम आदमी की मुस्कुराहट बढ़ाएगी।

आठ-नौ प्रतिशत सालाना विकास दर प्राप्त करने के लिए बड़े आर्थिक और कृषि एवं श्रम सुधारों को आगे बढ़ाएगी। अधिक पूंजीगत व्यय कर बुनियादी परियोजनाओं का विकास करेगी। राजकोषीय आदर्श और सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय विकास के मूल्यों को अपनाएगी। देश में विकास का जज्बा पैदा करते हुए भारत को 2027 में दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था तथा वर्ष 2047 तक विकसित देश बनाने की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेगी।

(लेखक एक्रोपोलिस इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट स्टडीज एंड रिसर्च, इंदौर के निदेशक हैं)