सतीश सिंह। भारत में चीन की कंपनी हुआवे को 5जी परीक्षण करने की सैद्धांतिक मंजूरी कुछ अन्य विदेशी मोबाइल कंपनियों के साथ दे दी गई है। अमेरिका ने हुआवे पर सुरक्षा कारणों का हवाला देकर प्रतिबंध लगा रखा है। वह दूसरे देशों पर भी इस पर प्रतिबंध लगाने के लिए दबाव बना रहा है। हुआवे वर्तमान में दुनिया की शीर्ष मोबाइल कंपनियों में से एक है। दरअसल 5जी से लोगों को अनेक सुविधाएं मिलेंगी। इसकी मदद से बिना ऑप्टिकल फाइबर के लोग उच्चतम स्पीड प्राप्त कर सकेंगे। इस तकनीक के उपयोग में आने के बाद दैनिक जरूरतों से जुड़ी चीजें हाइटेक हो जाएंगी। हुआवे का दायरा व्यापक है। यह अनेक क्षेत्रों से जुड़ा हुआ है, जैसे 5जी प्लस सेफ सिटी, 5जी प्लस स्मार्ट सिटी, 5जी प्लस वर्चुअल रियलिटी आदि।

5जी प्लस स्मार्ट सिटी अद्यतन वर्जन है जिसे इंटेलिजेंट ऑपरेशन सेंसर से लैस किया गया है। हुआवे ने इसमें इंफोर्मेशन एंड कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी फीचर डाला है जो स्मार्ट सिटी को बेहतर बनाने में मदद करेगा। हुआवे कई देशों में यह एप्लीकेशन मुहैया करा रहा है। दूसरा एप्लीकेशन 5जी प्लस एआइ सेफ सिटी है। यह इंटेलिजेंस सिटी सर्विलांस सॉल्यूशन एआइ तकनीक से लैस है जिसके जरिये गुम हुई चीजों को ढूंढा जा सकेगा। हुआवे का तीसरा एप्लीकेशन 5जी प्लस स्मार्ट सिटी स्मार्ट पोल है जिसके माध्यम से स्मार्ट लाइटिंग, वायरलेस नेटवर्क, वीडियो सर्विलांस और इमरजेंसी कॉल आदि की सुविधाएं दी जाएंगी। भारत में 5जी तकनीक अपनाने के लिए आधारभूत संरचना तैयार नहीं है। भारत में 4जी तकनीक ठीक से नहीं चल रही है। ऐसे में 5जी की संकल्पना को जमीन पर उतरना आसान नहीं। ताजा सर्वे के अनुसार भारत में 4जी सेवा पूरे विश्व में सबसे धीमी रफ्तार से चल रही है। 

कई भारतीय कंपनियां, मोबाइल फोन का निर्माण कर रही हैं, लेकिन चीन की कंपनियों ने भारतीय बाजार में अपना दबदबा बढ़ाया है। काउंटर प्वॉइंट रिसर्च की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की शीर्ष पांच स्मार्टफोन कंपनियों में चार चीन की मोबाइल कंपनियां हैं। चीन की मोबाइल कंपनियों ने लगभग 66 प्रतिशत बाजार पर कब्जा जमा लिया है। औद्योगिक नीति व संवर्धन विभाग और दूरसंचार विभाग द्वारा जारी संयुक्त रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की जीडीपी में मोबाइल उद्योग का योगदान वर्ष 2020 तक बढ़कर 8.2 प्रतिशत हो जाएगा, जो वर्तमान में 6.5 प्रतिशत है। भारत में मोबाइल उद्योग का देश की जीडीपी में 6.5 प्रतिशत, राशि में 140 बिलियन डॉलर का योगदान है। साथ ही यह 40 लाख से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार उपलब्ध करा रहा है।

शोध कंपनी ‘गार्टनर’ के मुताबिक, वर्ष 2020 तक दुनिया में 5जी वायरलेस नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर से मिलने वाला राजस्व 4.2 अरब डॉलर पहुंच जाएगा और 2025 तक 75 अरब इंटरनेट ऑफ थिंग्स डिवाइस आने की उम्मीद है जिससे इंटरनेट की मदद से बहुत सारे काम आसानी से होने लगेंगे। ऐसे में चीन की सिर्फ एक मोबाइल कंपनी हुआवे को सुरक्षा कारणों से भारत में 5जी की सेवा देने से मना करना सही कदम नहीं होगा, क्योंकि भारतीय मोबाइल बाजार के 66 प्रतिशत हिस्से पर चीनी मोबाइल कंपनियों का कब्जा है। भारत की कुछ कंपनियां जरूर मोबाइल फोन का निर्माण कर रही हैं, लेकिन वे गुणवत्ता के मामले में विदेशी कंपनियों से कमतर हैं। 5जी की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए गुणवत्तापूर्ण स्मार्टफोन का होना जरूरी है। सच कहा जाए तो अमेरिका द्वारा हुआवे पर प्रतिबंध लगाने का एक बड़ा कारण चीन और अमेरिका के बीच जारी कारोबारी जंग है।अत: भारत को वस्तुस्थिति का विश्लेषण कर इस मामले में निर्णय लेना चाहिए।

(लेखक आर्थिक मामलों के जानकार हैं)