पानीपत, सतीश चंद्र श्रीवास्तव। निजी क्षेत्र के उद्यमों और संस्थानों में 75 फीसद आरक्षण की दिशा में हरियाणा सरकार ने भी कदम बढ़ा दिए हैं। मंत्रिमंडल की नई दिल्ली के हरियाणा भवन में शुक्रवार को हुई बैठक में इस संबंध में सैद्धांतिक फैसला ले लिया गया। इस तरह आंध्र प्रदेश और राजस्थान के बाद हरियाणा भी उन प्रदेशों में शामिल हो जाएगा जहां सरकार से किसी प्रकार का सहयोग हासिल करने वाले बड़े उद्योगों और संस्थानों को नौकरियों में आवश्यक तौर पर स्थानीय लोगों के लिए 75 फीसद आरक्षण की व्यवस्था सुनिश्चि करनी होगी।

भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी की गठबंधन सरकार के लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम तैयार करने वाली गृह मंत्री अनिल विज की कमेटी इस संबंध में कार्ययोजना पहले ही तैयार कर चुकी है। इस प्रक्रिया में श्रम और रोजगार विभाग को दो हिस्सों में बांटा जा रहा है। उद्योग व वाणिज्य विभाग के कुछ अधिकार भी रोजगार विभाग को सौंपने का प्रस्ताव है, ताकि आरक्षण व्यवस्था को प्रभावी तरीके से लागू किया जा सके। वित्त और कानून विभाग से जुड़े अधिकारी योजना को अंतिम रूप देने में लगे हैं। सरकारी नौकरियों में आरक्षण के लिए हिंसक आंदोलन झेल चुके प्रदेश में आरक्षण की इस नई व्यवस्था के प्रभावों का आकलन करने की प्रक्रिया भी चल रही है।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने स्पष्ट किया है कि निजी क्षेत्र की कंपनियों में आरक्षण के प्रावधानों को लागू करते समय यह भी ध्यान रखा जाएगा कि किसी एक क्षेत्र या जिले के लोगों तक यह लाभ नहीं रह जाए। पूरे हरियाणा के लोगों को लाभ मिलना चाहिए। राज्य सरकार के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था के प्रावधानों को निजी क्षेत्रों के लिए आरक्षण व्यवस्था के साथ समायोजित करना भी बड़ी चुनौती होगी। इस चिंता के पीछे गुरुग्राम का उदाहरण भी है। मारुति उद्योग में प्रदेश के एक क्षेत्र विशेष के लोगों की संख्या आनुपातिक रूप से कहीं ज्यादा है। प्रदेश में दबाव और प्रभाव की राजनीति की पुरानी परंपरा भी रही है। उद्योग और कारोबार जगत को बाहरी दबावों से बचाना प्रदेश सरकार का दायित्व भी होगा।

ओपी चौटाला को रिहाई का इंतजार : तिहाड़ जेल में सजा काट रहे पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला का रिहाई का इंतजार खत्म नहीं हो रहा। जेबीटी यानी जूनियर बेसिक ट्रेनिंग शिक्षक भर्ती घोटाले में वह सजा काट रहे हैं। उम्र और दिव्यांगता के आधार पर रिहाई की अपील पर हाई कोर्ट की तरफ से सकारात्मक संकेत दिए गए थे। चौटाला अब 83 वर्ष के हैं तथा वर्ष 2013 में दिल के ऑपरेशन के बाद 70 फीसद से ज्यादा दिव्यांग भी हैं। दिल्ली सरकार हाई कोर्ट के निर्देशों को आदर्श चुनाव आचार संहिता का हवाला देकर टाल रही है। कोर्ट को बताया गया है कि नई सरकार बनने पर राज्य स्तरीय कमेटी ही इस बारे में फैसला करेगी। चौटाला केंद्र सरकार की जुलाई 2018 की अधिसूचना का लाभ चाहते हैं जिसके अनुसार आधी सजा काट चुके 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग या 70 फीसद से अधिक दिव्यांगों या बच्चों की रिहाई पर राज्य सरकार विचार कर सकती है। फिलहाल चुनावी अड़ंगे के कारण उन्हें इंतजार ही करना पड़ेगा।

खेल की दुनिया में छा गई कुरुक्षेत्र की रानी : तांगा चलाने वाले पिता रामपाल ने सपना देखा और बेटी रानी ने उसे साकार कर दिया। तीस जनवरी को वल्र्ड गेम्स फेडरेशन की तरफ से घोषित अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार कुरुक्षेत्र की रानी रामपाल को ‘वल्र्ड गेम्स एथलीट ऑफ द ईयर’ चुना गया है। यह प्रतिष्ठा हासिल करने वाली वह विश्व की पहली हॉकी खिलाड़ी बन गई हैं। रानी के नेतृत्व में भारतीय हॉकी टीम लगातार तीसरी बार ओलंपिक के लिए क्वालीफाइ करने में कामयाब रही है।

पिछले वर्ष ही उनके नेतृत्व में भारत ने एफआइएच सीरीज जीतने में सफलता पाई थी और वह टूर्नामेंट की सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुनी गई थीं। वर्ष 2020 उनके जीवन में उपलब्धियों का वर्ष बन गया है। इसी वर्ष उन्हें पद्मश्री पुरस्कार भी प्रदान किया गया है। द्रोणाचार्य पुरस्कार प्राप्त उनके कोच बलदेव ने इस तरह तराशा कि 2010 में मात्र 15 वर्ष की उम्र में वह भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा बन गई थीं। पिता का पुत्री के प्रति विशेष स्नेह का प्रभाव रहा। उनके दोनों बड़े भाइयों का जीवन अभी भी संघर्षमय है। एक भाई दुकान पर सहायक का काम करते हैं तो दूसरे भाई फर्नीचर का काम करते हैं।

[समाचार संपादक, पानीपत]