गोबिंद सिंह लोंगोवाल। पाकिस्तान में सिखों और अन्य अल्पसंख्यकों के साथ खुलेआम अन्याय हो रहा है। वहां रहने वाले अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों का सरेआम का उल्लंघन हो रहा है। सिखों और हिंदुओं को जबरन धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया जाता है। उनकी लड़कियों का अपहरण कर मर्जी के खिलाफ विवाह करके उनका धर्म परिवर्तन कर दिया जाता है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) दुनिया भर में अल्पसंख्यकों चाहे वे किसी भी धर्म या कौम के साथ संबंधित हों, यदि उनके अधिकारों का अगर हनन होता है तो इसके खिलाफ आवाज उठाती है।

एसजीपीसी ने उठाई आवाज
पाकिस्तान में जब भी सिखों पर अत्याचार हुए हैं, तब एसजीपीसी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसके खिलाफ आवाज उठाई है। सरकारों का फर्ज है कि अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करें ताकि उनकी संस्कृति व सभ्याचार नष्ट न हो। मेरा मानना है कि पाकिस्तान में जो मानवाधिकार संगठन हैं उनको वहां हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। मानवाधिकार संगठनों सहित अन्य सामाजिक संगठन जब आवाज उठाएंगे तब सरकार पर दबाव बनेगा। सिखों पर आज भी पाकिस्तान और यहां तक कि यूरोपियन देशों में नस्लीय हमले होते हैं। इसका एसजीपीसी और सिख कौम पूरी तरह विरोध करती है। इन मुद्दों को लेकर एसजीपीसी उन सरकारों के साथ भी पत्र व्यवहार करके अपना विरोध दर्ज करवाती है।

भारत की स्थिति है अच्छी
मेरा मानना है कि भारत में पाकिस्तान की तुलना में स्थिति काफी बेहतर है। भारत की सरकारें अल्पसंख्यकों का पूरा ख्याल रखती हैं, लेकिन यहां भी देश के कुछ हिस्सों में कभी-कभी सिखों और अन्य अल्पसंख्यकों के साथ अन्याय की घटनाएं सामने आती है। सिखों के साथ सबसे अधिक उनके ककारों की बेअदबी की जाती है जिसका एसजीपीसी कड़ा विरोध करती है। सिख गुरु साहिब हमेशा ही दबे-कुचले लोगों की आवाज बनते रहे हैं। गुरु साहिब का संदेश है कि हर मजलूम की रक्षा की जाए चाहे वह किसी भी मजहब या कौम के साथ संबंधित हो। गुरु साहिब द्वारा स्थापित इन सिंद्धांतों पर शिरोमणि कमेटी लगातार पहरा दे रही है। दुनिया भर में सरकारों को अल्पसंख्यकों की रक्षा को लेकर अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए।

( लेखक शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हैं)

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