शुभम कुमार सानू। बीते कुछ महीनों के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों से आग लगने की भयावह घटनाएं सामने आई हैं। चाहे वह कुछ दिनों पहले अहमदाबाद एवं विजयवाड़ा के कोविड अस्पतालों में लगी आग हो या फिर तेलंगाना के हाइड्रो पावर प्लांट में लगी आग हो, इनमें अनेक लोगों की जान भी जा चुकी है। हमारे देश में आग से कितने लोग मारे जाते हैं, इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2015 में पूरे देश में आग लगने की वजह से 17,700 से अधिक लोगों की जान चली गई।

वहीं दिल्ली दमकल विभाग के 2019 के आंकड़े बताते हैं कि प्रतिदिन उन्हें औसतन 85 और वार्षकि रूप से 31,157 कॉल आग बुझाने के लिए आती है। इसमें बीते एक दशक यानी 2009 की तुलना में लगभग 10 हजार कॉल्स का इजाफा हुआ है। इस संदर्भ में दिल्ली को एक सैंपल रखकर देश के अन्य हिस्सों की स्थिति को समझा जा सकता है। ऐसे अनेक कारक हैं जो देश में अग्नि सुरक्षा के मानदंडों की अवहेलना व दिन-प्रतिदिन बढ़ती आगजनी की समस्या को दर्शाने के साथ देश के शहरी क्षेत्रों का आग के प्रति असंवेदनशील होने को ही पुष्ट करते हैं।

शॉर्ट सर्किट और गैस सिलेंडर में विस्फोट के साथ मानवीय लापरवाही इसका प्रमुख प्रत्यक्ष कारण है। परोक्ष कारणों में रिहायशी क्षेत्रों में अवैध व्यावसायिक गतिविधियां, भवन व अग्नि सुरक्षा के दिशानिर्देशों की अवहेलना, दमकल विभाग में आधुनिक उपकरणों, गाड़ियों, दमकल केंद्रों की अपर्याप्त संख्या एवं आधारभूत संरचना का घोर अभाव है। साथ ही दमकल रिस्पांस टीम का अपेक्षित मानक समय पांच मिनट के बजाय औसतन 30 मिनट में घटना स्थलों पर पहुंचना, ठेके पर कम पैसे एवं जीवन सुरक्षा के साथ दमकल कर्मचारियों की नियुक्ति, अनियोजित शहरीकरण एवं बढ़ती गगनचुंबी इमारतों की संख्या और सामान्य जनता के पास अग्नि सुरक्षा संसाधनों की अनुपलब्धता समेत जागरूकता का अभाव भी एक बड़ा कारण है। इसी संदर्भ में गृह मंत्रलय की एक रिपोर्ट बताती है कि देश में 8,600 दमकल केंद्र, 5.6 लाख प्रशिक्षित दमकल कर्मचारियों, 2.2 लाख दमकल उपकरणों एवं 9.3 हजार दमकल वाहनों की आवश्यकता है।

इस आपदा से बचाव के लिए समय-समय पर केंद्र एवं प्रदेश सरकारों के स्तर पर काफी सारे कानून, नीति एवं दिशानिर्देश जारी किए जाते हैं। लेकिन इस आपदा का बेहतर तरीके से प्रबंधन नहीं हो पाया है। महानगरों या फिर तमाम बड़े शहरों में व्यावसायिक भवनों में आग से बचाव के उपकरण तो लगाए जाते हैं, लेकिन वहां इस कार्य के लिए तैनात गिने-चुने लोगों के अलावा किसी को भी इन उपकरणों के संचालन की व्यावहारिक जानकारी नहीं होती है।

बड़े भवनों में पानी के विशेष पाइप लाइन जैसे उपकरणों की व्यवस्था तो होती है, ताकि आग लगने पर उसे जल्द से जल्द बुझाया जा सके, लेकिन वहां कार्यरत सामान्य कर्मचारियों को इस बारे में कोई जानकारी नहीं होती है, जबकि उस भवन में कार्यरत सभी लोगों को आग बुझाने का सामान्य प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। कई बार तो यह भी देखा गया है कि बड़े भवनों में इस प्रकार के उपकरण केवल इसलिए लगाए जाते हैं, ताकि व्यावसायिक गतिविधियों के लिए उसे स्थानीय निकाय से अग्निरोधी उपकरणों के होने का प्रमाणपत्र हासिल हो सके। ऐसे में व्यक्तिगत, सामाजिक एवं राष्ट्र के स्तर पर अग्नि सुरक्षा के एक व्यापक व सर्वसमावेशी योजना के माध्यम से इसका बेहतर प्रबंधन किया जा सकता है। इस आपदा से बचाव के उपाय के लिए प्रत्येक व्यक्ति को जागरूक होना होगा।

राष्ट्रीय डिजिटल फायर डाटाबेस : इस मामले में महत्वपूर्ण भूमिका राष्ट्रीय डिजिटल फायर डाटाबेस की हो सकती है, लिहाजा इसे भी तैयार करने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय डिजिटल फायर डाटाबेस मतलब देश के विभिन्न हिस्सों में आग की घटनाओं का डिजिटल मोड में संकलन करने वाली एजेंसी। इस संकलन की प्रक्रिया को बॉटमअप अप्रोच के द्वारा किया जा सकता है। जैसा कि हम जानते हैं दमकल विभाग राज्य सरकार के अंतर्गत आता है, अत: इस बाधा को दूर करने के लिए केंद्र सरकार के स्तर पर एक नोडल एजेंसी का निर्माण किया जाए, जो राज्य एवं जिलों के नोडल एजेंसी से संबद्ध हो।

इन नोडल एजेंसी को नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के विशेष क्षेत्र के अंदर दिया जा सकता है, जो राष्ट्रीय स्तर से लेकर जिले के स्तर तक अपनी पहुंच रखता है। इस प्रक्रिया में जिले के नोडल एजेंसी को अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले दमकल विभाग से डाटा का संकलन करना होगा। इस प्रक्रिया में देश के सभी दमकल केंद्र व इकाइयां शामिल होंगी जो अपने क्षेत्र की घटनाओं का नियमित ब्योरा जिला नोडल एजेंसी को देंगी। तत्पश्चात जिले की नोडल एजेंसी राज्य को, राज्य की नोडल एजेंसी राष्ट्रीय नोडल एजेंसी को एकत्रित किए गए आंकड़े साझा करेगी। इस प्रकार राष्ट्र की प्रमुख नोडल एजेंसी सभी राज्यों के आंकड़ों का समेकित आंकलन प्रस्तुत करेगी।

इस प्रक्रिया से देश के विभिन्न हिस्सों में होने वाली आग की घटनाओं का एक विस्तृत एवं वास्तविक डाटाबेस तैयार होगा। इसके आधार पर देश के विभिन्न हिस्सों का आग के जोखिम व उसकी अति संवेदनशीलता का मूल्यांकन किया जा सकता है। इसके जरिये अग्नि प्रतिरोधक क्षमता से युक्त नए भारत का निर्माण किया जा सकता है।

[अध्येता, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स]