नई दिल्ली (शशांक द्विवेदी)। वैज्ञानिक समझ और अपनी असाधारण जिजीविषा के लिए विख्यात महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग का निधन पूरी दुनिया के लिए अपूरणीय क्षति है। भले ही उनके जीवन पर विराम अब लगा हो, लेकिन उनकी पूरी जिंदगी ही मौत को चुनौती देते हुए ही बीती। महज 22 साल की उम्र में उन्हें मोटार न्यूरॉन नामक लाइलाज बीमारी हो गई थी जिसकी वजह से उनके शरीर ने धीरे-धीरे काम करना बंद कर दिया। तब डॉक्टरों ने कहा था कि हॉकिंग दो साल से ज्यादा जीवित नहीं रह पाएंगे, लेकिन उन्होंने न केवल डॉक्टरों की उस आशंका को धता बता दिया, बल्कि विज्ञान के जटिल और गूढ़ रहस्यों को दुनिया के सामने रखा। हॉकिंग ने ब्लैक होल और बिग बैंग सिद्धांत को समझाने में अहम योगदान दिया। कई बड़े पुरस्कारों के साथ ही उन्हें अमेरिका का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भी दिया गया। उनकी मशहूर पुस्तक ‘ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम’ कालजयी किताबों में शामिल की जाती है। वह कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में सैद्धांतिक ब्रह्मांड विज्ञान के निदेशक थे। उनकी गिनती आइंस्टीन के बाद सबसे विद्वान भौतिकशास्त्री के तौर पर होती है।

हैरानी की बात यह थी कि उनके दिमाग को छोड़कर शरीर का कोई भी भाग पूरी क्षमता से काम नहीं करता था। इसकी वजह से वह हमेशा व्हीलचेयर पर कंप्यूटर और विभिन्न तरह के गैजेट्स के जरिये ही अपने विचार व्यक्त करते थे। उनकी सबसे प्रमुख उपलब्धियों में ब्लैक होल का उनका सिद्धांत है। ब्लैक होल के संबंध में हमारी वर्तमान समझ हॉकिंग के सिद्धांत पर ही आधारित है। वर्ष 1974 में ‘ब्लैक होल इतने काले नहीं’ शीर्षक से प्रकाशित हॉकिंग के शोध पत्र ने सामान्य सापेक्षता सिद्धांत और क्वांटम भौतिकी के सिद्धांतों के आधार पर यह दर्शाया कि ब्लैक होल अल्प मात्रा में विकिरण उत्सर्जित करते हैं। हॉकिंग ने यह भी प्रदर्शित किया कि ब्लैक होल से उत्सर्जित होने वाला विकिरण क्वांटम प्रभाव के कारण धीरे-धीरे बाहर निकलता है। यह हॉकिंग विकिरण प्रभाव कहलाता है। इस विकिरण प्रभाव के कारण ब्लैक होल अपना द्रव्यमान धीरे-धीरे खोने लगते हैं और उनमें ऊर्जा का भी क्षय होता है। यह प्रक्रिया लंबे अंतराल तक चलने के बाद आखिरकार ब्लैक होल वाष्पन को प्राप्त होते हैं।

विशालकाय ब्लैक होल से कम मात्रा में विकिरण का उत्सर्जन होता है, जबकि लघु ब्लैक होल बहुत तेजी से विकिरण का उत्सर्जन करके वाष्प बन जाते हैं। ब्रह्मांड की उत्पत्ति शुरू से ही वैज्ञानिक समुदाय के लिए जिज्ञासा का विषय रही है। सभी को यह तो पता है कि ब्रह्मांड की उत्पत्ति लगभग 13.8 अरब साल पहले बिग बैंग से हुई, लेकिन किसी को यह नहीं पता था कि ब्रह्मांड से पहले क्या था? हॉकिंग ने दावा किया कि बिग बैंग से पहले सिर्फ एक अनंत ऊर्जा और तापमान वाला एक बिंदु था। हॉकिंग के अनुसार हम आज समय को जिस तरह महसूस करते हैं, ब्रह्मांड के जन्म से पहले का समय ऐसा नहीं था। इसमें चार आयाम थे। उन्होंने बताया था कि भूत, भविष्य और वर्तमान को तीन समानांतर रेखाएं समझें तो उस वक्त एक और रेखा भी मौजूद थी जो ऊध्र्वाधर थी। उसे आप काल्पनिक समझ सकते हैं, लेकिन हॉकिंग ने काल्पनिक समय को हकीकत बताया। उनका कहना था कि काल्पनिक समय कोई कल्पना नहीं है, बल्कि यह हकीकत है। हां आप इसे देख नहीं सकते, लेकिन महसूस जरूर कर सकते हैं।

ब्रह्मांड के रहस्यों को समझने के लिए ‘ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम’ के अलावा भी उन्होंने ,द ग्रैंड डिजाइन, यूनिवर्स इन नटशेल, माई ब्रीफ हिस्ट्री, द थ्योरी ऑफ एवरीथिंग जैसी कई महत्वपूर्ण किताबें लिखीं। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगता है कि जब पिछले साल कैंब्रिज विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर उनकी पीएचडी का शोध पत्र अपलोड किया गया तो कुछ ही समय में साइट ठप हो गई, क्योंकि एक ही वक्त में तमाम लोग उस शोध को डाउनलोड करने में जुटे थे। इसे एक दिन में पांच लाख से ज्यादा बार डाउनलोड किया गया और कुछ ही दिनों में इसे 20 लाख बार देखा गया। लोगों में किसी वैज्ञानिक के प्रति ऐसी दीवानगी शायद ही कभी देखी गई हो। हॉकिंग ने 134 पन्नों का यह दस्तावेज तब लिखा था जब उनकी उम्र 24 वर्ष थी और वह कैंब्रिज में स्नातकोत्तर के छात्र थे। साइट पर आने से पहले 65 पाउंड खर्च करने के बाद ही हॉकिंग के शोध तक पहुंचा जा सकता था।

धरती को बचाने की उनकी चिंता भी सुर्खियों में रही। जलवायु परिवर्तन को वह गंभीर खतरा मानते थे। उन्होंने चेताया था कि अगर मानव ने अपनी आदतें नहीं सुधारीं तो बढ़ती आबादी का बोझ पृथ्वी को लील जाएगा। उन्होंने यह भी चेतावनी दी थी कि तकनीकी विकास के साथ मिलकर मानव की आक्रामकता ज्यादा खतरनाक हो गई है। यही प्रवृत्ति परमाणु या जैविक युद्ध के जरिये हम सबका विनाश कर सकती है। उनका कहना था कि कोई वैश्विक सरकार ही हमें इससे बचा सकती है, वरना एक दिन मानव जाति ही विलुप्त हो जाएगी। हॉकिंग ने कुछ समय पहले जिंदगी में तकनीक के बढ़ते दखल पर चिंता जताते हुए कहा था कि हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर बहुत उत्साहित हैं, लेकिन आने वाली पीढ़ी इसे इंसानी सभ्यता के इतिहास की सबसे खराब घटना के तौर पर याद करेगी। उनके अनुसार तकनीक के इस्तेमाल के साथ-साथ हमें उसके संभावित खतरों को भी भांपना चाहिए। उनका कहना था कि मनुष्य को पृथ्वी को छोड़कर किसी नए ग्रह पर बसने की तैयारी करनी चाहिए। उन्होंने ईश्वर की सत्ता को नकारा था। माना जाता है कि उनकी प्रेरणा से दुनिया भर में लाखों छात्र विज्ञान पढ़ने के लिए प्रेरित हुए।

हॉकिंग जीने की इच्छा और चुनौतियों को स्वीकार करने के लिए भी हमेशा एक मिसाल के रूप में याद किए जाएंगे। वह अपने अनूठे हास्यबोध के लिए भी जाने जाएंगे और इसके लिए भी कि उन्होंने साहस के साथ यह साबित किया कि मृत्यु निश्चित है, लेकिन यह हम पर निर्भर करता है कि जीवन और मरण के बीच अपनी जिंदगी को क्या दिशा दें। हम खुद को मुश्किलों से घिरा पाकर निराशावादी नजरिये के साथ मौत का इंतजार करें या जीने की इच्छा और चुनौतियों को स्वीकार करते हुए अपने सपनों के प्रति समर्पण के साथ एक उद्देश्यपूर्ण जीवन जिएं? उन्होंने शारीरिक अक्षमता को दरकिनार करते हुए प्रमाणित किया कि अगर व्यक्ति में इच्छाशक्ति हो तो वह बहुत कुछ हासिल कर सकता है। उनका जीवन हमेशा लोगों को प्रेरणा देता रहेगा।

(लेखक टेक्निकल टुडे के संपादक एवं मेवाड़ यूनिवर्सिटी में डिप्टी डायरेक्टर हैं)