डा. जयंतीलाल भंडारी। एक आंकड़े के अनुसार देश में करीब 45 करोड़ जनधन खातों, 130 करोड़ आधार कार्ड और 118 करोड़ मोबाइल उपभोक्ताओं के त्रिआयामी जैम (जेएएम) के माध्यम से आम आदमी डिजिटल दुनिया से जुड़ गया है। जनधन योजना के तहत बैंकिंग सेवा से वंचित देश के प्रत्येक व्यक्ति को बैंकिंग दायरे में लाने के लिए शून्य बैलेंस के साथ बैंक अकाउंट खुलवाने की सुविधा दी गई है। इसके कारण गरीब, पिछड़े एवं कम आय वाले लोगों तक विभिन्न मंत्रालयों की ओर से संचालित 300 सरकारी योजनाओं के लाभ डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर यानी डीबीटी के जरिये सीधे पहुंचने लगे हैं। वास्तव में बीते आठ साल में केंद्र सरकार द्वारा गरीबों, किसानों और कमजोर वर्ग के करोड़ों लोगों के बैंक खातों में डीबीटी से 23 लाख करोड़ रुपये सीधे जमा कराए गए हैं। इससे करीब सवा दो लाख करोड़ रुपये बिचौलियों के हाथों में जाने से बचाए गए हैं। किसानों के समावेशी विकास में भी डीबीटी की अहम भूमिका है।

31 मई, 2022 तक किसान सम्मान निधि योजना के तहत 11 करोड़ से अधिक किसानों के खातों में डीबीटी से सीधे करीब दो लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित किए जा चुके हैं। यह अभियान दुनिया के लिए मिसाल बन गया है। कृषि क्षेत्र में आर्थिक आत्मनिर्भरता बढ़ने से छोटे किसानों का वित्तीय सशक्तीकरण हो रहा है। यह भी महत्वपूर्ण है कि देश में सौ से अधिक सरकारी सेवाएं आनलाइन उपलब्ध हैं। पहले बैंक, गैस एजेंसी, स्कूल, टोल, राशन की दुकान, हर जगह कतारें होती थीं, लेकिन अब ऐसा नहीं है। इस समय भारत डिजिटल तकनीक के कारण आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, ड्रोन, रोबोटिक्स, ग्रीन एनर्जी, चौथी औद्योगिक क्रांति और डिजिटल पेमेंट की डगर पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। दुनिया के 40 प्रतिशत आनलाइन पेमेंट भारत में हो रहे हैं। करीब 82 करोड़ से अधिक इंटरनेट सब्सक्राइबर के चलते भारत दुनिया का तेजी से उभरता डिजिटलीकृत अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया है।

उल्लेखनीय है कि सरकार ने ई-रुपी वाउचर से जनकल्याण योजनाओं के तहत लाभार्थियों को अधिकतम उपयोगिता देने और सरकारी सब्सिडी के दुरुपयोग पर अंकुश लगाने का नया अध्याय लिखा है। इसी तरह अकाउंट एग्रीगेटर देश में डिजिटल वित्तीय सेवाओं के लिए एक और मील का पत्थर बन गया है। विगत छह जून को युवाओं, किसानों और उद्यमियों को कर्ज की सरल उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 13 सरकारी योजनाओं से जुड़े क्रेडिट लिंक्ड पोर्टल जन समर्थ को लांच किया गया। इस तरह भारत में आम आदमी और छोटे कारोबारियों को छोटी राशि के सरल कर्ज देकर उनके जीवन को आसान और आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा रहा है। माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशंस नेटवर्क की रिपोर्ट-2022 के मुताबिक सूक्ष्म वित्त उद्योग से बड़ी संख्या में लोग लाभान्वित हो रहे हैं। इसकेअंतर्गत मार्च 2022 में ऋण खाते बढ़कर 11.31 करोड़ हो गए, जो मार्च 2021 में 10.83 करोड़ थे।

सरकार द्वारा आम आदमी को लाभान्वित करने के लिए शुरू की गईं कई डिजिटल योजनाएं अच्छे परिणाम दे रही हैं। यूपीआइ, कोविन और डिजिलाकर जैसे डिजिटल प्लेटफार्म से आम आदमी के जीवन से संबंधित सेवाएं आसान हुई हैं। इसी तरह प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, स्टैंड अप इंडिया, अटल पेंशन योजना, भारत बिल भुगतान प्रणाली, राष्ट्रीय इलेक्ट्रानिक टोल संग्रह, आधार-सक्षम भुगतान प्रणाली एवं तत्काल भुगतान सेवा और डिजिटल आयुष्मान भारत मिशन से भी समाज के विभिन्न वर्ग लाभान्वित हो रहे हैं। इसके अतिरिक्त डिजिटल इंडिया मुहिम देश को डिजिटलीकृत एवं ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था बनाने में अहम भूमिका निभा रही है। इससे ई-कामर्स और अन्य व्यवसाय बढ़ रहे हैं।

देश में लागू की गई विभिन्न वित्तीय समावेशन योजनाओं से देश का आम आदमी कितना लाभान्वित हो रहा है, इसका आभास एसबीआइ द्वारा प्रकाशित भारत में वित्तीय समावेशन शोध रिपोर्ट-2021 से लगाया जा सकता है। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत अब वित्तीय समावेशन के मामले में जर्मनी, चीन और दक्षिण अफ्रीका से आगे है। जनधन योजना ने ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग की तस्वीर बदल दी है। जिन राज्यों में प्रधानमंत्री जनधन योजना खातों की संख्या अधिक है, वहां अपराध में गिरावट देखने को मिली है। यह भी देखा गया है कि अधिक बैंक खाते वाले राज्यों में शराब और तंबाकू उत्पादों जैसे नशीले पदार्थो की खपत में गिरावट आई है।

समय के साथ देश के अधिकांश लोग डिजिटल इंडिया का लाभ लेने के लिए आगे बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं, लेकिन इस समय डिजिटल इंडिया के तहत स्टार्टअप इंडिया, डिजिटल शिक्षा, डिजिटल बैंकिंग, भुगतान समाधान, स्वास्थ्य तकनीक, एग्रीटेक आदि के समक्ष जो बाधाएं और चुनौतियां दिखाई दे रही हैं, उनके समाधान के लिए भी तत्परतापूर्वक कदम उठाए जाने जरूरी हैं। इस परिप्रेक्ष्य में तकनीकी एवं वैज्ञानिक सोच, डाटा तक सरल पहुंच, स्मार्टफोन की कम लागत, निर्बाध कनेक्टिविटी, बिजली की सहज आपूर्ति जैसी जरूरतों पर अधिक ध्यान देना होगा।

उम्मीद करनी चाहिए कि सरकार डिजिटल इंडिया अभियान को और अधिक गतिशील बनाने के लिए 5जी टेक्नोलाजी के शोध एवं विकास में अधिक निवेश को प्राथमिकता देगी। इसी तरह कुशल युवाओं की जरूरत को पूरा करने के मद्देनजर नई पीढ़ी को आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस, आटोमेशन, क्लाउड कंप्यूटिंग, मशीन लर्निग, डाटा साइंस जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियों से शिक्षित-प्रशिक्षित करने की डगर पर भी तेजी से आगे बढ़ेगी।

(लेखक एक्रोपोलिस इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट स्टडीज एंड रिसर्च, इंदौर के निदेशक हैं)