अभिजीत कामरा। आज प्रत्येक देश वैश्विक निर्यात में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की संभावनाएं तलाशने में जुटा है। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) भारत की जीडीपी में एक तिहाई से अधिक योगदान देते हैं और देश के निर्यात में इनकी 50 फीसद हिस्सेदारी है। सरकार ने एमएसएमई के निर्यात को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया है। यह छोटे व्यवसायों को तरक्की में योगदान देने के साथ ही सीमा पार से व्यापार प्रस्ताव और बड़े पैमाने पर होने वाले संचालन का लाभ उठाने में सक्षम बनाएगा।

वैश्विक बाजार का बड़ा आकार, अवसरों की व्यापकता और दायरा बढ़ाने की गुंजाइश ने पिछले कई दशकों से भारतीय विनिर्माताओं और कारोबारियों के समक्ष निर्यात को एक आकर्षक व्यापारिक विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया है। हालांकि सप्लाई चेन की जटिलताएं, शुरुआती निवेश और मांग की अनिश्चितता जैसे कारक यह साबित कर देते हैं कि निर्यात का कारोबार सबके लिए आसान नहीं है। यही वजह है कि भारतीय कारोबार विशेषकर एमएसएमई ने अपने दायरे को निर्यात कारोबार के मामले में सीमित कर रखा है। हालांकि पिछले कुछ वर्षो के दौरान इंटरनेट की उपलब्धता ने इसे पूरी तरह से बदल दिया है। आज ई-कॉमर्स निर्यात ने भारतीय एमएसएमई को वैश्विक बाजारों में प्रयोग करने और उनकी सफलता की संभावना को बढ़ा दिया है। ई-कॉमर्स निर्यात कारोबारियों को माहौल को समझने और यह पहचानने में मदद करता है कि कैसे कोई उत्पाद किसी दूसरे संस्कृति से संबंधित ग्राहकों की जरूरतों में फिट बैठता है। साथ ही ग्राहक आधार बनाने के लिए जरूरी जानकारी मिलती है।

भारत में बने उत्पादों की विदेश में बढ़ती लोकप्रियता से हजारों भारतीय एमएसएमई को फायदा पहुंच रहा है और उन्हें उपभोक्ताओं की जरूरतों के मुताबिक उत्पादों को तैयार करने में मदद मिल रही है। हमने ऐसे कई भारतीय कारोबारों को देखा है जिनके उत्पाद वैश्विक बाजार में अपनी श्रेणी में बेहद लोकप्रिय हैं। इन कारोबारों ने अर्थव्यवस्था में अहम योगदान दिया है। ऐसी ही एक मिसाल है नेचरवाइब बॉटेनिकल्स। इसके संस्थापक को जब पश्चिमी बाजारों में भारतीय आयुर्वेदिक उत्पादों की जबरदस्त मांग के बारे में जानकारी मिली तो इस अवसर का लाभ उठाने के लिए उन्होंने वर्ष 2017 में इस ब्रांड को स्थापित किया। उन्होंने अमेजन ग्लोबल सेलिंग से पंजीकृत होकर अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अलग-अलग श्रेणियों के तहत विविध प्राकृतिक उत्पादों की पेशकश की।

अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा में इस ब्रांड को सफलतापूर्वक स्थापित करने के बाद वह अपने कारोबार को जर्मनी, फ्रांस और आस्ट्रेलिया में भी मजबूत करने में लगे हुए हैं। उनकी कारोबारी तरक्की में अमेजन की भूमिका अहम रही है, अमेजन ने उन्हें बेहद आसानी से ग्राहकों तक पहुंचने में मदद की और उनके कारोबारी परिचालन को भी बढ़ाया। दूसरा उदाहरण ‘जैक इन द बॉक्स’ का है। वर्ष 2015 में इसकी स्थापना की गई थी। भारतीय बाजार में इस कंपनी के उत्पाद की मांग लगातार बढ़ रही थी, लेकिन उनका नजरिया एक वैश्विक ब्रांड बनने का था। ई-कॉमर्स तकनीक के माध्यम से उनका कारोबार व्यापक होता गया।

समझना होगा कि बाजार तक आसान पहुंच और सुविधाजनक लॉजिस्टिक्स सेवा एमएमएमई के लिए काफी अहम है। ई-कॉमर्स निर्यात की मदद से भारतीय कारोबारों के पास स्थानीय रूप से तैयार किए गए उत्पादों की विश्वस्तरीय पहचान बनाने का मौका है। ई-कॉमर्स निर्यात को आसान बनाने और भारत के लाखों एमएसएमई के लिए सुलभ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है और स्थानीय नवाचार और विशेषज्ञता को वैश्विक स्तर पर लेकर जा सकता है।

[डायरेक्टर, ग्लोबल ट्रेड, अमेजन इंडिया]