जगत प्रकाश नड्डा : सोमवार को राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान होना है। इससे पहले चुनाव अभियान के दौरान राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की राष्ट्रपति पद की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू जी को मिली प्रतिक्रिया अभिभूत करने वाली है। इस वर्ष जब भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तब उनकी उम्मीदवारी ने प्रत्येक भारतीय को गौरवान्वित किया है। विपरीत परिस्थितियों से संघर्ष करते हुए इस मुकाम तक पहुंचने का उनका सफर प्रेरणा का असीम स्रोत है। उनका चुनाव महिला सशक्तीकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। मातृशक्ति उनसे अनन्य जुड़ाव महसूस करेगी। आजादी के बाद जन्म लेने वालीं वह पहली राष्ट्रपति होंगी। उनकी उम्मीदवारी कई अन्य कारणों से भी खास है। दशकों से वंशवाद के वशीभूत रही व्यवस्था में उनका अभ्युदय सार्वजनिक जीवन में एक ताजा हवा के झोंके जैसा है। यह जनतांत्रिक व्यवस्था में जन की आस्था को और प्रगाढ़ करने वाला है।

ओडिशा के सुदूरवर्ती आदिवासी क्षेत्र रायरंगपुर में उन्होंने शिक्षक के रूप में अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत की। फिर सिंचाई विभाग से जुड़ीं। उनका राजनीतिक सफर भी जमीनी स्तर से आरंभ हुआ। उन्होंने 1997 में निकाय चुनाव लड़ा और रायरंगपुर नगर पंचायत में पार्षद बनीं। तीन साल बाद वह रायरंगपुर से विधायक बनीं। उन्हें 2007 में ओडिशा विधानसभा द्वारा 147 विधायकों में से सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। यह विधायक के रूप में उनकी भूमिका और योगदान को दर्शाता है। मंत्री के रूप में उन्होंने वाणिज्य, परिवहन, मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास जैसे महत्वपूर्ण विभागों में अपनी छाप छोड़ी। उनका कार्यकाल विकासोन्मुखी, निष्कलंक और भ्रष्टाचार मुक्त रहा। 2015 में वह वह झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनीं। उन्होंने राजभवन को जन आकांक्षाओं का जीवंत केंद्र बनाया और राज्य के विकास के लिए तत्कालीन सरकार के साथ मिलकर शानदार काम किया।

समय-समय पर अपूरणीय व्यक्तिगत त्रासदियों ने जनसेवा के उनके संकल्प को बाधित करने की चेष्टा तो की, लेकिन दुखों के पहाड़ को झेलते हुए भी उन्होंने सार्वजनिक जीवन में आदर्श के उच्चतम मानदंडों को स्थापित किया। उन्होंने अपने पति और बच्चों को खो दिया, लेकिन दुख के इन झंझावातों ने उन्हें और अधिक मेहनत करने और दूसरों के जीवन में दुख को कम करने के लिए प्रेरित किया। उनके साथ काम करने वाले उन्हें विनम्रता की प्रतिमूर्ति बताते हैं। जमीन से जुड़ाव और दयालुता उनकी सबसे बड़ी शक्ति है।

मुर्मू जी की उम्मीदवारी न्यू इंडिया की भावना को अभिव्यक्त करती है। विगत आठ वर्षों के दौरान प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में जमीनी स्तर पर लोगों को सशक्त बनाने और दशकों से सत्ता पर काबिज कुछ लोगों के एकाधिकार को तोड़ने का हरसंभव प्रयास किया गया है। हमारी सरकार की प्रत्येक योजना में इसी भाव के दर्शन होते हैं, जिसे हमारे प्रधानमंत्री 'संतृप्ति दृष्टिकोण' की संज्ञा देते हैं। हमारी सरकार का स्पष्ट सिद्धांत है कि कल्याणकारी योजनाएं शत-प्रतिशत लाभार्थियों तक पहुंचे। उसमें पक्षपात या वोटबैंक की कोई राजनीति न हो। कोरोना काल में करोड़ों लोगों को मुफ्त अनाज उपलब्ध कराने से लेकर कोविड रोधी वैक्सीन की रिकार्ड खुराक लगवाने के अभियान में यह प्रत्यक्ष दिखा है। पद्म पुरुस्कारों के मामले में भी तुष्टीकरण के बजाय अब वास्तविक परिवर्तन के सूत्रधारों को प्राथमिकता दी जा रही है।

हमें यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि प्रधानमंत्री से लेकर हमारा अधिकांश शीर्ष नेतृत्व विनम्र एवं सामान्य पृष्ठभूमि से हैं। वे केवल और केवल परिश्रम, पुरुषार्थ, मेधा और ईमानदारी के दम पर ही यहां तक पहुंचे हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल में 27 ओबीसी, 12 एससी और आठ एसटी समुदाय से हैं। यह समग्र कैबिनेट का 60 प्रतिशत से अधिक है। इन वर्गों के प्रतिनिधित्व का यह ऐतिहासिक स्तर है। 2019 में भाजपा की विराट सफलता लोकसभा में सबसे अधिक महिला प्रतिनिधित्व के साथ आई। भाजपा ने एससी/एसटी एक्ट को मजबूत बनाया तो ओबीसी आयोग का सपना भी मोदी सरकार ने ही पूरा किया। मोदी सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए भी आरक्षण को सुनिश्चित किया। इसका ही परिणाम है कि समाज में यह भाव जागृत हुआ है कि अत्यंत गरीब पृष्ठभूमि से आने वाला व्यक्ति भी सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों से उत्पन्न चुनौतियों से पार पाकर भारत का प्रधानमंत्री बन सकता है और देश को एक नई ऊंचाई तक ले जा सकता है। प्रधानमंत्री मोदी के सार्वजनिक जीवन ने यह चरितार्थ कर दिखाया है।

मोदी सरकार भारत रत्न बाबा साहब आंबेडकर जी, पूज्य बापू महात्मा गांधी जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के बताए रास्ते पर ही आगे बढ़ रही है और 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास' के सिद्धांत के साथ समाज के सभी वर्गों के उत्थान के लिए काम कर रही है। इस उद्देश्य से जुड़ी तमाम योजनाएं और पहल गिनाई जा सकती हैं। भाजपा राजनीतिक सत्ता को व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन और विकास की दौड़ में पिछड़ गए लोगों के उत्थान और उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने हेतु साधन के रूप में देखती है। जनजातीय गौरव दिवस, आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय, खानाबदोश और अर्ध-घुमंतू जनजातियों का सशक्तीकरण, एमएसपी के तहत आने वाले वन उत्पादों की संख्या में वृद्धि और गरीबों में आत्मविश्वास की भावना पैदा करने जैसे निर्णयों ने आदिवासी समुदाय के विकास को एक नया आयाम दिया है।

राजग सरकारों द्वारा अभी तक बनाए गए दो राष्ट्रपतियों डा. एपीजे अब्दुल कलाम और रामनाथ कोविंद ने देश को प्रेरणादायक और परिपक्व नेतृत्व प्रदान किया। उनके नेतृत्व ने विश्वपटल पर भारत को एक नए रूप में स्थापित किया। इसी परंपरा में मुर्मू जी की उम्मीदवारी 'वंचितों को आवाज देने और इतिहास को फिर से लिखने' की तैयारी है। भाजपा अध्यक्ष के रूप में, मेरी सभी राजनीतिक दलों, नेताओं, निर्वाचक मंडल के सभी सदस्यों और प्रत्येक भारतीय से अपील है कि वे समस्त राजनीतिक मतभेद भुलाकर उनसे ऊपर उठें। अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनें और मुर्मू जी की उम्मीदवारी का समर्थन करें। सामाजिक न्याय और सामाजिक परिवर्तन की हमारी अवधारणा को सदा-सदा के लिए प्रतिष्ठित करने हेतु यह हमारे इतिहास का सबसे गौरवशाली क्षण है और हमें इसे गंवाना नहीं चाहिए, क्योंकि यह 'जनता के राष्ट्रपति' का चुनाव है।

(लेखक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं)