नई दिल्ली [नरेंद्र सिंह तोमर]। पंचायती राज के आधुनिक इतिहास में 24 अप्रैल 1993 को लागू हुआ 73वां संविधान संशोधन विधेयक मील का पत्थर है। इस विधेयक के पारित होने के लगभग दो दशकों तक यह कछुए की गति से चलता रहा। नरेंद्र मोदी सरकार के गठन के बाद इसमें तेजी आई। राजनीतिक इच्छाशक्ति एवं ईमानदार कोशिश की बदौलत परवान चढ़ी पंचायती राज प्रणाली के माध्यम से ग्राम स्तर पर मौन क्रांति का सूत्रपात हुआ। पंचायती राज प्रणाली को जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए सरकार के प्रयासों के सुखद परिणाम सामने आ रहे हैं। पंचायती राज प्रणाली ने गांवों की तस्वीर बदल दी है।

पंचायतों के माध्यम से वंचितों को उनका वांछित स्थान मिल रहा है और वे राष्ट्रीय विकास की मुख्य धारा से सीधे जुड़ रहे हैं। यह हमारे समाज और राजनीतिक तंत्र के लिए एक सुखद संदेश है। दलितों, आदिवासियों और महिलाओं को उनका वाजिब हक मिलना सही मायनों में बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है। गांव एवं गरीब हालांकि सभी सरकारों के एजेंडे में रहे हैं, लेकिन इसे एक मिशन का रूप देने का श्रेय मौजूदा सरकार को ही जाता है। पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत और अधिकार संपन्न बनाने हेतु किए गए उपायों के बेहतर परिणाम मिले हैं।

पंचायतों ने स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत देश को खुले में शौच से मुक्त बनाने के अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पंचायतों की सक्रियता का ही परिणाम है कि इतने कम समय में पूरे देश में 371 जिले, 3314 ब्लॉक और 350992 गांव खुले में शौच से मुक्त यानी ओडीएफ घोषित हो चुके हैं। 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण कार्यक्रम की शुरूआत के बाद ग्रामीण क्षेत्र में स्वच्छता का दायरा 2014 के 39 प्रतिशत से बढ़कर वर्तमान में लगभग 82 प्रतिशत हो गया है। 2014 में खुले में शौच जाने वाले लोगों की आबादी 55 करोड़ थी जो जनवरी 2018 में घटकर करीब 25 करोड़ रह गई है। आठ राज्य सिक्किम, हिमाचल, केरल, हरियाणा, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, अरुणाचल प्रदेश, गुजरात और दो केंद्र शासित प्रदेश दमन एवं दीव तथा चंडीगढ़ खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं।

अब तक लगभग छह करोड़ 96 लाख से अधिक शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है। स्वच्छ भारत मिशन की सफलता पंचायतों, पंचायत प्रतिनिधियों और कर्मियों के सक्रिय योगदान का परिणाम है। ग्रामीण विकास से संबंधित प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में मार्च 2018 तक कुल एक लाख 52 हजार 165 बसावटों को सड़क-संपर्क से जोड़ा गया है जो कुल बसावटों का लगभग 85 प्रतिशत है। यह पिछली सरकार के कार्यकाल की तुलना में 27 प्रतिशत अधिक है। सरकार शेष बसावटों को मार्च 2019 तक सड़क से जोड़ने के लिए संकल्पबद्ध है।

प्रधानमंत्री ने इस योजना के तीसरे चरण को स्वीकृति दे दी है। इसके अंतर्गत एक लाख किमी से ज्यादा सड़क मार्ग का निर्माण कृषि और ग्रामीण हाटों, हायर सेकेंडरी स्कूलों और अस्पतालों इत्यादि को जोड़ने के लिए किया जाएगा। मनरेगा में भी कृषि क्षेत्र के विकास और जल संरक्षण पर ज्यादा जोर दिया गया है। इसके लिए आवंटित निधियों की 68 फीसद धनराशि खेती से जुड़ी गतिविधियों पर खर्च की गई है। 12 करोड़ 56 लाख से अधिक जॉब कार्ड जारी किए गए हैं। दस करोड़ को आधार से जोड़ दिया गया है और छह करोड़ 58 लाख को बैंक खातों से लिंक कर दिया गया है।

वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान 39 लाख 91 हजार और 2017-18 के दौरान 29 लाख 10 हजार परिवारों को सौ दिन से ज्यादा का रोजगार उपलब्ध कराया गया। प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के लगभग एक करोड़ लाभार्थियों को मनरेगा के तहत 90 से 95 दिन का काम उपलब्ध कराया जा रहा है। मजदूरी के भुगतान में इलेक्ट्रॉनिक फंड मैनेजमेंट का उपयोग किया जा रहा है। अब 86 फीसद से अधिक भुगतान समय पर हो रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण के अंतर्गत 2022 तक सबके लिए आवास का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए 31 मार्च 2019 तक एक करोड़ और 2022 तक दो करोड़ 51 लाख पक्के मकानों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। 31 मार्च 2018 तक लगभग 35 लाख मकान बनाए जा चुके हैं।

देश में दो लाख 48 हजार 160 ग्राम पंचायतें, 6284 ब्लॉक पंचायतें और 595 जिला पंचायतें हैं। पंचायतों के सभी स्तर पर निर्वाचित प्रतिनिधियों की संख्या करीब 31 लाख है। 14 लाख 39 हजार महिला निर्वाचित प्रतिनिधि हैं। विश्व में स्थानीय स्वशासन के स्तर पर महिलाओं का यह विशालतम प्रतिनिधित्व है। स्थानीय स्वशासन प्रणाली में आज महिला नेतृत्व पूरी प्रतिबद्धता से जुटा है। महिला निर्वाचित प्रतिनिधि शिक्षा, स्वच्छता, पोषण और आवास पर ध्यान केंद्रित करते हुए ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। इससे ग्रामीण भारत का नक्शा बदल रहा है और गांव की आबादी को गरिमापूर्ण जीवन जीने के अवसर मिल रहे हैं।

पंचायतों के कार्यों की फील्ड स्तर की रिपोर्टिंग और वास्तविक प्रगति की निगरानी के लिए एम एक्शन सॉफ्ट नामक मोबाइल एप भी विकसित किया गया है। सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा देने, गरीब परिवारों तक पहुंच कायम करने और केंद्र सरकार की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं एवं कार्यक्रमों से वंचित रह गए लोगों को दायरे में लाकर उन्हें लाभान्वित करने के उद्देश्य से पूरे देश में 14 अप्रैल से 5 मई 2018 तक अनवरत चलने वाला अभियान अपने आप में बहुत कुछ समेटे हुए है। ग्राम स्वराज अभियान के दौरान 21058 गांवों के लिए विशेष पहल शुरू करना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इस अभियान के तहत गरीबों की जिंदगी में खुशहाली लाने के लिए उज्ज्वला योजना, मिशन इंद्रधनुष, सौभाग्य योजना, उजाला, जन-धन योजना, जीवन ज्योति बीमा योजना और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना का शत-प्रतिशत आच्छादन किया जाएगा।

इस दौरान ग्राम शक्ति अभियान, आयुष्मान भारत और किसान कल्याण कार्यशालाएं भी आयोजित हो रही हैं। गांव में विकास और समृद्धि की नई इबारत लिखने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री ने 14वें वित्त आयोग की दो लाख 292 करोड़ रुपये से अधिक राशि सीधे ग्राम पंचायतों को देने की स्वीकृति प्रदान की है। यह धनराशि पिछले आयोग द्वारा दी गई राशि से लगभग तीन गुना अधिक है। गांव, गरीब, किसान और पंचायतों को सशक्त बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता को देखते हुए लगता है वह दिन दूर नहीं जब ग्रामोदय से भारत उदय और ग्राम स्वराज की परिकल्पना जमीनी हकीकत में बदल जाएगी।

(लेखक केंद्रीय ग्रामीण विकास, पंचायती राज एवं खान मंत्री हैं)