अमीर उल्ला खां। श्रम बाजारों की तरह भारत का कृषि क्षेत्र भी कई पुराने और कड़े कानूनों में जकड़ा हुआ है। ये दोनों ही विषय राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं, जिसके चलते विस्तार की आकांक्षा रखने वाली किसी भी कंपनी को अलग-अलग नियमों से जूझना पड़ता है। जैसा कि श्रमिकों के मामले में हुआ है, सरकार ने महामारी का हवाला देकर, कुछ मौजूदा कानूनों के बदले तुरत-फुरत वाले अध्यादेश लागू कर दिए। क्या ऐसे अध्यादेश पहले संसद में पेश करने चाहिए थे या राज्य विधायिका में लाए जाने थे, यह मूक सवाल बाकी है और इस पर अब जाकर संसद में थोड़ी-बहुत बहस हुई है।

कोविड महामारी ने वाकई हर मोर्चे पर उलटफेर कर दिया है। इसने हमारे रहने, काम करने के तौर-तरीकों को तो प्रभावित किया ही है, अर्थव्यवस्था के साथ तो भारी छेड़छाड़ की है। कुछ देशों को मजबूर होकर अनेक क्षेत्रों में ध्यान देना पड़ा है और उन्हें संकट से उबारने के लिए आवश्यक कदम भी उठाए हैं। भारत के संदर्भ में खेती-बाड़ी आíथक गतिविधियों की रीढ़ कहलाती है। कृषि से आज भी करीब 50 फीसद कार्यबल जुड़ा हुआ है और इस क्षेत्र में विकास का सीधा-सीधा मतलब है निर्माण तथा सेवा क्षेत्रों में भी विकास में तेजी।

कृषि मंडियों और आवश्यक उपभोक्ता वस्तुओं पर पिछले कई दशकों से जारी चर्चाओं के बीच बड़े बदलाव तो होने ही थे। हाल में जब आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955, कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) क्षेत्रधिकार तथा अंतरराज्यीय कारोबार संबंधी कानूनों की घोषणा हुई तो हैरानी नहीं हुई। किसानों को बेहतर दाम दिलाने और उनकी आजीविका में सुधार के लिए व्यावहारिक उपायों के बारे में निश्चित रूप से सोचा जाना चाहिए। इससे उन तमाम करों में सामंजस्य लाने में मदद मिलेगी, जिनका भुगतान किसानों द्वारा कृषि समिति को किया जाता है, जो राजस्थान में एक प्रतिशत से लेकर पंजाब में साढ़े आठ प्रतिशत तक है।

ऐसे में यह स्थिति तकनीक अपनाने के लिहाज से एकदम आदर्श समय है। सरकार द्वारा लागू सुधारों को जब ई-कॉमर्स और डिजिटलाइजेशन से जोड़ा जाएगा तो इस क्षेत्र को बड़े पैमाने पर फायदा होगा। सच तो यह है कि इससे भारत में कृषि वैश्विक स्तर पर एक प्रतिस्पर्धी क्षेत्र के तौर पर उभर सकता है। निर्माण, स्वास्थ्य और वित्त जैसे क्षेत्रों की ही तरह, यह कृषि के लिए भी काफी उपयुक्त समय है। डिजिटल समाधानों जैसे ई-कॉमर्स को इससे जोड़कर कुछ प्रमुख चुनौतियों से, जैसे मौजूदा समय में महामारी जनित समस्याओं से निपटा जा सकता है।

ई-कॉमर्स के प्रमुख फायदे : कृषि क्षेत्र के समक्ष पेश आने वाले कई मसलों में, ई-कॉमर्स बहुत सी समस्याओं को हल कर सकता है, जैसे यह सप्लाई चेन में काफी हद तक बिखराव की समस्या दूर कर सकता है, और इसी तरह उपज की भारी मात्र, उत्पादों की गुणवत्ता तथा कीमत आदि की समस्या से भी निजात दिला सकता है। सप्लाई चेन में नई तकनीक अपनाने और उसके समावेश के चलते ये कंपनियां काफी हद तक कीमतें कम रखने में मददगार हो सकती हैं। इसका एक परोक्ष फायदा किसानों को सशक्त बनाने में मिल सकता है, खासतौर से उन्हें जो अपनी उपज के लिए बेहतर दाम को लेकर मोल-भाव करने की स्थिति में नहीं होते। इससे उन्हें अपने कृषि व्यवहारों को उन्नत बनाने के लिए उपयुक्त तकनीक को अपनाने के वास्ते पूंजी तक पहुंच का लाभ मिलेगा।

भारत में कई किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती है अपनी उपज को लोगों के खाने की मेज तक पहुंचाने की रफ्तार। ई-कॉमर्स इस तरह की दिक्कतें दूर कर सकता है, क्योंकि वह सप्लाई चेन की पूरी व्यवस्था करने में कुशल है। इस तरह ये आसानी से किसानों से उनकी उपज प्राप्त कर सकती हैं, जिसके परिणामस्वरूप कृषि बाजार के काम करने की रफ्तार में बहुत तेजी आएगी।

भारत में बिचौलिए अक्सर किसानों का शोषण करते हैं, जिसके चलते भारी मात्र में भंडारण होता है और इससे किसानों को अपनी मेहनत की कमाई का लाभ नहीं मिल पाता। लेकिन ई-कॉमर्स कंपनियां पारदर्शी और कुशल कार्यप्रणाली का पालन करते हुए अनावश्यक रूप से मौजूद इन बिचौलियों को कुछ हद तक दूर कर सकती हैं। इस तरह किसान अपनी उपज को प्रतिस्पर्धी कीमतों पर उपभोक्ताओं को बेच सकते हैं। ई-कॉमर्स प्रक्रियाओं को भी आसान बनाता है और साथ ही प्रभावी तौर पर जांच सुनिश्चित कर यह भी तय करता है कि गुणवत्ता के साथ किसी भी वजह से समझौता न करना पड़े।

किसान अपनी फसल उगाने के लिए बहुत मेहनत करता है। उसे अपनी मेहनत की पूरी कमाई हासिल करने का पूरा हक है। ऐसे में यदि सावधानीपूर्वक और हर स्तर पर उपरोक्त कार्यप्रणाली को अपनाया जाए, तो यह बाजार दक्षता में सुधार लाकर फसल कटाई के बाद होने वाले अपव्यय को कम करने में भी कारगर साबित हो सकती है। यह कृषि उत्पादों की पहुंच को कई गुना बढ़ा सकती है, जिससे किसानों को उपज की अधिक कीमत मिल सकती है।

आज भी कितने ही किसान ऐसे हैं जिनके सामने अपनी फसल को एक बड़े उपभोक्ता आधार तक पहुंचाने की समस्या पेश आती है। ई-कॉमर्स इस मसले को सुलझा सकता है, क्योंकि इसमें चुनिंदा कृषि उत्पादों को देशभर के बाजारों तक ले जाने की क्षमता है। कुछ नए एग्रीटेक स्टार्ट-अप इस कमी को दूर करने के लिए काम कर रहे हैं। ई-कॉमर्स के जुड़ने से किसानों की आमदनी बढ़ाने के प्रयासों में निश्चित रूप से तेजी लाई जा सकती है।

[विजिटिंग प्रोफेसर, इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस]