हरियाणा, अनुराग अग्रवाल। Delhi Assembly Election 2020: हरियाणा के लोग अभी चुनाव से फ्री नहीं हुए हैं। पहले लोकसभा और फिर विधानसभा चुनाव के बाद अब दिल्ली के विधानसभा चुनाव की बारी है। चुनाव दिल्ली में हो रहा और माहौल हरियाणा में गरम है। दिल्ली में आठ फरवरी को चुनाव हैं। 22 जिलों वाले हरियाणा के 14 जिले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में आते हैं। इनमें से फरीदाबाद, गुरुग्राम, सोनीपत, पलवल, नूंह, महेंद्रगढ़-नारनौल और रेवाड़ी जिलों का दिल्ली के चुनाव पर खासा प्रभाव है। 70 सदस्यीय दिल्ली की विधानसभा में 14 विधायक ऐसे हैं, जो किसी न किसी रूप में हरियाणा से जुड़े हुए हैं। यहां की राजनीति में हरियाणा के लोगों और राजनेताओं का पूरा दखल रहता है।

हरियाणा के रहने वाले है अरविंद केजरीवाल

दिल्ली के रण में इस बार फिर राजनीतिक दलों ने हरियाणवी मूल के कई उम्मीदवारों पर भरोसा जताया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुद हरियाणा के रहने वाले हैं। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा के 10 से 12 लाख लोगों का हर रोज दिल्ली आना जाना लगा रहता है। आउटर दिल्ली की करीब डेढ़ दर्जन सीटें ऐसी हैं जिन पर हरियाणा के मतदाताओं एवं राजनेताओं का सीधा असर है। यही वजह है कि तमाम पार्टियों का जोर हरियाणा के नेताओं को दिल्ली के चुनावी अखाड़े में उतारने पर रहता है। अपने हाईकमान का इशारा मिलने के बाद हरियाणा के राजनीतिक दलों ने दिल्ली चुनाव के लिए कमर कस ली है।

मनोहर लाल खुद कमान संभाले हुए

भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री मनोहर लाल खुद कमान संभाले हुए हैं। उनके साथ केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर, राव इंद्रजीत और रतनलाल कटारिया के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह को दिल्ली चुनाव में चमत्कार करने की जिम्मेदारी मिली है। जाट नेताओं के रूप में पूर्व मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ और कैप्टन अभिमन्यु तथा गैर जाट नेताओं में रामबिलास शर्मा, मनीष ग्रोवर और कविता जैन एवं राजीव जैन से भाजपा को खासी आस है।

जजपा की उम्मीदों पर फिरा पानी

भाजपा ने दिल्ली में अपने सहयोगी दल जजपा यानी जननायक जनता पार्टी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। हरियाणा में भाजपा एवं दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व वाली जजपा गठबंधन की सरकार है। दुष्यंत के दादा ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाली पार्टी इनेलो दिल्ली में विधानसभा चुनाव लड़ती रही है। वर्ष 1998 में भाजपा एवं इनेलो का दिल्ली में गठबंधन रह चुका है। तब भाजपा ने इनेलो को तीन सीटें दी थी। वर्ष 2015 में दिल्ली की नजफगढ़ विधानसभा सीट से इनेलो के टिकट पर भरत सिंह विधायक चुने गए थे। पिछले दिनों उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस बार इनेलो की हालत खासी पतली है। दुष्यंत चौटाला इनेलो से अलग होकर जजपा बना चुके हैं और हरियाणा की भाजपा सरकार में शामिल हैं।

दुष्यंत को किंग मेकर बनने से रोक दिया

दुष्यंत चौटाला को उम्मीद थी कि दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा, लेकिन भाजपा ने दुष्यंत की पसंद वाली अधिकतर सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारकर हरियाणा की तरह दिल्ली में दुष्यंत को किंग मेकर बनने से रोक दिया है। जजपा अब दिल्ली में विधानसभा चुनाव लड़ेगी, इसमें संदेह ही है। दुष्यंत बिना चुनाव लड़े भाजपा का खुलकर साथ दे सकते हैं। हरियाणा के रण में लोकसभा चुनाव के दौरान दुष्यंत की जननायक जनता पार्टी और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने मिलकर भारतीय जनता पार्टी के विरुद्ध चुनाव लड़ा था, लेकिन विधानसभा चुनाव में दोनों के रास्ते जुदा हो गए थे। अब हालात पूरी तरह से बदले हुए हैं।

हरियाणा कांग्रेस के दिग्गज दिल्ली में चुनाव को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं। कांग्रेस ने हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी सैलजा, रणदीप सिंह सुरजेवाला, किरण चौधरी और दीपेंद्र सिंह हुड्डा को चुनावी रण में प्रचार के लिए उतारा है। कांग्रेस नेता अभी तक चुनाव प्रचार को गति नहीं दे पाए हैं। आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष नवीन जयहिंद और उनकी टीम पर खासा भरोसा जताया है। जयहिंद दिल्ली महिला आयोग की चेयरपर्सन स्वाति मालीवाल के पति हैं। सोशल मीडिया आम आदमी पार्टी की शुरू से ही ताकत रही है। इस बार यह काम नवनी जयहिंद की 51 सदस्यीय टीम को सौंपा गया है, जो दिल्ली में पूरी तरह से सक्रिय है। कुल मिलाकर अब राज्य में सबकी निगाहें इस सवाल पर टिकी हुई हैं कि दिल्ली चुनाव का हरियाणा कनेक्शन क्या गुल खिलाता है?

[स्टेट ब्यूरो चीफ, हरियाणा]

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