[ क्षमा शर्मा ]: दिल्ली से सटे गुरुग्राम में दीपिका नामक एक विवाहित महिला की मौत के सिलसिले में पुलिस की ओर से दी गई जानकारी न केवल दंग करने वाली है, बल्कि यह भी बताती है कि पति-पत्नी के रिश्तों में कितना बेगानापन आ रहा है और लोग प्रेम और नफरत में एक-दूसरे की जान लेने में किस हद तक जा रहे हैैं। पुलिस के अनुसार, गुरुग्राम की वैली व्यू नामक सोसाइटी में शेफाली भसीन तिवारी अपने पति के साथ रहती थी। उसकी चार साल की एक बेटी है। वह दोबारा मां भी बनने वाली है। इस दंपति के सोसाइटी में दो फ्लैट थे। वर्ष 2015 में एक फ्लैट विक्रम चौहान को बेच दिया। इसी क्रम में शेफाली की जान-पहचान विक्रम से हुई। दोनों अपने बच्चों को स्कूल बस में छोड़ते वक्त मिलते रहते थे। धीरे-धीरे दोनों की बातचीत दोस्ती में बदल गई। विक्रम भी विवाहित था। उसकी पत्नी दीपिका एक बैंक में अफसर थी।

नवंबर 2017 तक दोनों की दोस्ती गंभीर रिश्ते में तब्दील हो गई। दोनों चाहते थे कि वे एक-दूसरे के साथ रहें। शेफाली ने अपने पति को मना लिया कि वह उसे तलाक दे दे। वह राजी हो गया, मगर विक्रम की पत्नी दीपिका तलाक के लिए राजी नहीं थी। उसने अपने सास-ससुर को इस बारे में बताया। वे अपने बेटे को समझा रहे थे। इस बीच शेफाली और विक्रम दीपिका को मारने की योजना बना रहे थे। कुछ समय पहले शेफाली और विक्रम लेह और लद्दाख भी गए। वहां वे पति-पत्नी के रूप में रहे। शेफाली विक्रम पर दबाव डाल रही थी कि वह अपनी पत्नी से किसी भी तरह मुक्तिपाए। पुलिस ने विक्रम और शेफाली के मेल, वॉट्स एप आदि पर तमाम फोटो और सूचनाएं पाईं। पुलिस के अनुसार दोनोंं दीपिका को मारने की योजना बनाते रहते थे। एक मेल में शेफाली ने लिखा कि उसे छोड़ने का मतलब क्या है? या तो तुम उसे तलाक दो या मार दो, तभी वह तुम्हारी पत्नी नहीं रहेगी। पुलिस की मानें तो विक्रम दीपिका को नैनीताल भी ले गया था। वहां वह उसे मारना चाहता था, लेकिन मौका नहीं मिला। दोनों ने तब दीपिका को ऊपर से धक्का देकर मारने की सोची।

इसी अक्टूबर में करवा चौथ के दिन विक्रम की पत्नी दीपिका सोसाइटी के आठवीं मंजिल के फ्लैट से नीचे ‘गिर’ पड़ी और उसकी मौत हो गई। पुलिस ने इस बारे में जांच की और प्रमाण मिलने पर विक्रम चौहान और फिर शेफाली को दीपिका की हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किया। इसी तरह की एक घटना में गुजरात में सामने आ चुकी है। यहां शिल्पा नामक महिला ने हरेश नामक आदमी से कहा कि मेरे पति को मार दो, तभी मैं तुम्हारी हो सकती हूं। और हरेश ने उसके पति की हत्या कर दी। इसी तरह दिल्ली में एक मॉडल से शादी करने के चक्कर में एक पति ने अपनी स्कूल टीचर पत्नी की सुपारी देकर हत्या करा दी। आंध्र प्रदेश में एक महिला की दोस्ती फेसबुक पर एक आदमी से हो गई। वह अपने इस मित्र से शादी करना चहती थी। इसलिए उसने अपने पति की हत्या सुपारी देकर करा दी। ऐसी घटनाओं का एक और भी पहलू है।

हाल में आगरा में एक आदमी ने पत्नी और सास से परेशान होकर आत्महत्या कर ली। मरने से पहले उसने सोलह पेज का सुसाइड नोट लिखा। उसने पत्नी, उसकी बहन और सास को सजा देने के लिए मोदी सरकार से कहा। यह भी कहा कि अगर इन्हें सजा नहीं मिली तो वह भूत बनकर इन्हें परेशान करेगा। विशेष नाम का यह शख्स अपने पिता के साथ नकली गहनों का व्यवसाय करता था। दो साल पहले उसकी शादी हुई थी। पत्नी अलग रहना चाहती थी। इसलिए दो महीने से अपने माता-पिता के साथ रह रही थी। पत्नी के इस तरह चले जाने से वह डिप्रेशन का शिकार हो गया और उसने जहर खा लिया। उसने अपने सुसाइड नोट में यह भी लिखा कि पत्नी, बहन और सास को ऐसी सजा मिले जिससे किसी के ससुराल वाले इस तरह से लड़कों को परेशान न कर सकें। इस तरह के मामले आजकल अक्सर देखने में आने लगे हैं। देश भर में पत्नियों से परेशान पतियों की संख्या बढ़ रही है।

पिछले दिनों मध्य प्रदेश में आठ सौ पतियों ने पत्नियों द्वारा उनके प्रति की गई घरेलू हिंसा की शिकायत की। ऐसे मामले अक्सर सुर्खियों में आते हैं, लेकिन मीडिया में इन पर ज्यादा बहस नहीं होती, क्योंकि समझा यह जाता है कि ये मामले लीक से हटकर होते हैं और महिलाएं आम तौर पर ऐसा नहीं करतीं। ऐसा लगता है कि इस तरह की घटनाओं को देखने का हमारा नजरिया पुराना ही बना हुआ है। अपराध के मामले में यह मान लेना कि स्त्रियां ऐसा नहीं कर सकतीं, सिर्फ पुरुष ही ऐसा करते हैं, ठीक नहीं है। नई तकनीक, स्त्रियों की शिक्षा, नौकरी आदि ने एक-दूसरे से मिलने-जुलने के अवसर खोले हैं। ऐसे में विवाह से इतर एक-दूसरे के प्रति आकर्षित होना कोई अजूबा नहीं है, मगर एक संबंध से दूसरे में जाने के लिए हत्या का सहारा लेना कहां तक जायज है? पुरुषों द्वारा किसी नए संबंध के लिए पत्नी की जान लेना उतना ही निंदनीय है जितना महिलाओं के लिए।

कोई कह सकता है कि अब तक पुरुष महिलाओं के साथ ऐसा करते आए हैं। अब महिलाएं ऐसा कर रही हैं तो इसमें क्या गलत, लेकिन यदि महिलाएं भी वैसा ही करने लगें जैसा पुरुष करते आए हैं तो स्त्रियों और पुरुषों में अंतर क्या रहा? क्या वह पुरानी कहावत सही है कि हम जिन गलत आदतों से नफरत करते हैं उन्हें देखकर उनका ही शिकार बन जाते हैैं।

अगर इसे बदलाव कहते हैं तो यह बदलाव स्त्रियों और पुरुषों और साथ ही समाज के लिए अच्छा नहीं है। रिश्तों में आया यह बेगानापन परेशान करता है। बात नहीं बन रही या कोई और पसंद आ गया तो अलग हुआ जा सकता है और संबंध को खत्म किया जा सकता है। यह चिंताजनक है कि इसके बजाय जान ली जा रही है। आखिर हत्या जैसे जघन्य अपराध के बाद यह कैसे सोचा जा रहा है कि हम बच निकलेंगे और अपनी पसंद के साथी के साथ जी सकेंगे?

[ लेखिका साहित्यकार एवं स्तंभकार हैैं ]