लालजी जायसवाल। देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर की वजह से कई राज्यों में एक बार फिर से भयावह स्थिति पैदा हो गई है। ऐसी स्थिति में स्वास्थ्य व्यवस्था पर भारी दबाव पड़ना तय है। लोग साधारण बीमारी में भी कोरोना के भय से अस्पताल में भर्ती होना ज्यादा उचित समझ रहे हैं जिससे वायरस के बढ़ने के साथ अनायास ही स्वास्थ्य ढांचे पर भी दबाव पड़ रहा है। ऐसे में मरीज घर बैठे ही ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से चिकित्सकों से समय लेकर जरूरी परामर्श ले सकते हैं। इसका फैलाव सभी छोटे अस्पतालों तक किया जा रहा है, जिससे लोगों को घर बैठे राहत प्रदान किया जा सके। हमें यहां तक ध्यान रखना होगा कि अगर व्यक्ति कोरोना संक्रमित भी होता है तो भयभीत हुए बिना, पूरे विश्वास के साथ सबसे पहले टेलीमेडिसिन के माध्यम से डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। देखा जा रहा है कि संक्रमण की वजह से आक्सीजन सेचुरेशन कम होते ही लोग कम जानकारी की वजह से हॉस्पिटल जाना तय करते हैं। यह सही तरीका नहीं है। सर्वप्रथम यह जानना चाहिए कि आक्सीजन सेचुरेशन कितना होना चाहिए?

वर्तमान में कोविड के तेजी से बढ़ने की वजह से मरीजों की संख्या में भारी इजाफा हो रहा है। लेकिन देश में डॉक्टरों की संख्या सीमित ही है, ऐसी स्थिति में टेलीमेडिसिन ही एक कारगर उपाय बन कर सामने आ रही है जिसे ग्रामीण स्तर तक ले जाने की जरूरत है। पिछले दिनों ही भारत सरकार की राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा ई-संजीवनी ने 30 लाख से अधिक परामर्श उपलब्ध कराकर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। मौजूदा समय में, राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा 31 राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों में संचालित है और प्रतिदिन देश के 35 हजार से भी अधिक मरीज स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त करने के लिए इस नवाचारी डिजिटल माध्यम का उपयोग कर रहे हैं। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर 31 हजार से अधिक डॉक्टरों और पैरामेडिक्स को प्रशिक्षित करके ई-संजीवनी में शामिल किया गया है।

ई-संजीवनी को शीघ्र और व्यापक तौर पर अपनाना यह दर्शाता है कि कोरोना काल में रोगियों को दूर से ही प्रभावी ढंग से नैदानिक प्रबंध किया जा सकता है। जिन रोगियों को अत्यावश्यक चिकित्सा की जरूरत नहीं है, वे अधिक से अधिक टेलीमेडिसिन का उपयोग कर रहे हैं और चिकित्सा की गुणवत्ता से समझौता किए बगैर ही कोरोना से संक्रमित होने के जोखिम से भी अपना बचाव कर पा रहे हैं। पिछले लॉकडाउन के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी अधिक से अधिक टेलीमेडिसिन मॉडल को अपनाने की ही सलाह दी थी। कोरोना वायरस लंबे समय तक बना रहेगा। ऐसे में टेलीमेडिसिन कारगर साबित होगी। टेलीमेडिसिन की वजह से न केवल कोरोना के फैलाव पर रोक लगेगी, बल्कि रोगियों का लगने वाला परिवहन खर्च और समय दोनों बचेगा। इससे स्वास्थ्य सुविधा की सुदूर क्षेत्रों तक पहुंच भी बन सकेगी और घर बैठे ही उपचार भी संभव हो सकेगा। इसकी राह में कुछ समस्याएं भी दिख रही हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। जैसे पहला, इसके परिणामों के बारे में रोगियों में विश्वास की कमी है। दूसरा, स्वास्थ्य कर्मी ई-चिकित्सा अर्थात टेलीमेडिसिन से पूरी तरह अभी भी परिचित नहीं है। तीसरा, भारत की करीब 40 फीसद जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रही है, ऐसी स्थिति में इस वर्ग की तकनीकी अक्षमता स्पष्ट होती है। चौथा, भारत में आज भी गांवों तक इंटरनेट की पर्याप्त उपलब्धता नहीं बन सकी है।

इसी चुनौतियों का सामना आसानी से किया जा सकता है। इसके लिए कुछ सुधार की दरकार अवश्य होगी। जैसे, संपूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं को डिजिटल रूप में लाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए तकनीकी और कानूनी ढांचे को मजबूत बनाना होगा, इसके लिए कानून में भी कुछ फेरबदल करने होंगे। लोगो में टेलीमेडिसिन के प्रति विश्वास जगाने के साथ उन्हें जागरूक करना होगा। प्राय: देखने में आता रहा है कि बड़े से बड़े स्वास्थ्य अधिकारी भी वर्तमान टेक्नॉलाजी से कम परिचित हैं और वो कंप्यूटर इत्यादि के प्रयोग से हिचकते हैं इसलिए वे आज भी कागज और फाइलों में ही काम कर रहे हैं। चिकित्सार्किमयों को ई-चिकित्सा बाबत जल्द ही व्यापक स्तर पर प्रशिक्षण देना जरूरी होगा। अगर यह व्यवस्था नहीं होगी तो पहले से ही लचर देश के स्वास्थ्य ढांचे पर दबाव और बढ़ जाएगा। इस कार्य के लिए ग्राम पंचायतों में बनाए गए सुविधा केंद्रों का इस्तेमाल किया जा सकता है, जहां गांव के लोगों को यह सुविधा मुहैया कराने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था होनी चाहिए।

परिणामस्वरूप ग्रामीण स्वयं ही जागरूक होते चले जाएंगे और उनका टेलीमेडिसिन पर विश्वास भी बनेगा। इसलिए जरूरी है कि अब ई-स्वास्थ्य व्यवस्था पर विशेष जोर दिया जाए। विशेष कर ग्रामीण इलाकों पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए जिससे ग्रामीण लोग ई-चिकित्सा से परिचित हों और कोरोना महामारी के बढ़ते मामलों के बीच घर से ही सस्ता इलाज और परामर्श प्राप्त कर पाएं जिसकी जरूरत अब इस बढ़ती कोरोना महामारी के दौरान अधिक देखी जा रही है। आज प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य बनता है कि अपने निकट संबंधियों को अधिक से अधिक टेलीमेडिसिन के बारे मे जागरूक करे और अस्पताल जाने की बजाय घर पर ही ऑनलाइन परामर्श पर ही जोर दे।

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