[ प्रदीप सिंह ]: कोरोना वायरस से पूरी दुनिया त्रस्त है। तमाम देश इस बीमारी और अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे इसके प्रभाव से चिंतित हैं। किसी को पता नहीं कि यह वायरस कब जाएगा, लेकिन इतना पता है कि जब भी जाएगा अपने पीछे भारी तबाही छोड़कर जाएगा। इसके बाद देशों के आपसी संबंध बदल सकते हैं। विश्व व्यापार के तरीके में भी बड़ा बदलाव आने के पूरे आसार दिख रहे हैं। भारत इस आपदा से जिस तरह निपट रहा है उसकी दुनिया के कई देश प्रशंसा कर रहे हैं, लेकिन देश के विपक्षी दल किस कालखंड में जी रहे हैं, बताना कठिन है। देश में ऐसे भी लोगों की कमी नहीं है जिनकी इच्छा है कि देश के प्रधानमंत्री भी इस वायरस का शिकार हो जाएं।

संसद की कार्यवाही देखकर लगता ही नहीं कि देश गंभीर संकट के मुहाने पर खड़ा है

राजनीतिक दलों की बात करें तो उनके बयानों से ऐसा लगता ही नहीं कि देश या दुनिया में इतना बड़ा संकट है। ज्यादातर दलों के नेता इस मुद्दे पर भी सरकार और खासतौर से प्रधानमंत्री मोदी से हिसाब चुकता करने में लगे हुए हैं। उन्हें यह संकट अपनी राजनीति चमकाने का मौका नजर आ रहा है। वे संकट का मुकाबला करने में एकजुटता दिखाने, सुझाव देने और मदद का हाथ बढ़ाने के बजाय बाल की खाल निकालने में लगे हैं और वह भी तब जब देश ने इस तरह का संकट पहले कभी नहीं देखा होगा। संसद का सत्र चल रहा है, पर कार्यवाही देखकर लगता ही नहीं कि देश गंभीर संकट के मुहाने पर खड़ा है।

कोरोना से लड़ने के लिए भारत ने दिखाई तत्परता, विदेशों में फंसे 1100 नागरिकों को निकाला

दुनिया के कई देश जैसे इटली, स्पेन, इंग्लैड, ईरान, दक्षिण कोरिया और कुछ हद तक अमेरिका भी इस खतरे से निपटने के लिए पहले से तैयार नहीं था या प्रारंभ में लापरवाह रहा। इस मामले में भारत ने तत्परता दिखाई और दुनिया के दूसरे देशों में फंसे अपने करीब 11 सौ नागरिकों और कुछ और देशों के करीब 50 नागरिकों को निकालने में कामयाब रहा। बड़े समूहों में ही नहीं व्यक्तिगत रूप से भी नागरिकों की हर संभव मदद हो रही है।

मोदी विरोधी सुजय अब उनके मुरीद हो गए, मोदी एक पिता की तरह अपने नागरिकों की चिंता कर रहे हैं

इटली में फंसी एक लड़की के पिता का संदेश सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। महाराष्ट्र के सुजय कदम की बेटी मिलान शहर में पीजी कोर्स करने गई थी। उसने 28 फरवरी को बताया कि सब ठीक है, पर 10 मार्च को संदेश आया कि सब बंद हो रहा है और बाहर निकलने के लिए भारतीय दूतावास से सर्टिफिकेट चाहिए। सुजय को पता चला कि मिलान में भारतीय दूतावास बंद हो गया है। फिर उन्होंने दूतावास के कुछ लोगों का ईमेल पता खोज कर 12 मार्च को सुबह मेल के जरिये अपनी समस्या बताई और मदद मांगी। उसी रात साढ़े आठ बजे बेटी ने बताया कि भारतीय दूतावास से फोन आया था और वह अगले दिन भारत आ रही है। मोदी विरोधी सुजय अब उनके मुरीद हो गए हैं। उनका कहना है कि मोदी एक पिता की तरह अपने नागरिकों की चिंता कर रहे हैं। ऐसे ढेरों किस्से सोशल मीडिया पर हैं।

अमेरिका समेत कई देश कोरोना से निपटने में भारत की तैयारी की प्रशंसा कर चुके हैं 

अमेरिका, इजरायल, ऑस्ट्रेलिया समेत कई देश कोरोना से निपटने की भारत की तैयारी की प्रशंसा कर चुके हैं और दूसरे कई देश भारत से मदद मांग रहे हैं। प्रधानमंत्री की पहल पर दक्षेस देशों के शासनाध्यक्षों की आपस में वीडियो कांफ्र्रेंंसग के जरिये मिलजुलकर इस बीमारी से निपटने पर सहमति बनी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि ने भारत सरकार के प्रयासों की प्रशंसा की, पर अपने देश के नेताओं का नकारात्मक रवैया खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।

राहुल गांधी कह रहे हैं कि खतरा बहुत बड़ा है, पर सरकार इसको गंभीरता से नहीं ले रही

राहुल गांधी कह रहे हैं कि खतरा बहुत बड़ा है, पर सरकार इसको गंभीरता से नहीं ले रही, जबकि उन्हीं की पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा इस मामले में सरकार के काम की तारीफ कर रहे हैं। राहुल की नई भविष्यवाणी है कि सरकार के रवैये से भारत की अर्थव्यवस्था तबाह हो जाएगी। इस बात को कहते हुए उनके चेहरे पर चिंता के बजाय विजयी भाव अधिक दिखा। राहुल गांधी ही नहीं देश कई विपक्षी नेता और लेफ्ट-लिबरल्स की बिरादरी के लिए अपनी खुशी छिपाना मुश्किल हो रहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था पर संकट के बादल गहरा गए हैं।

कांग्रेस की नजर में मोदी और उनकी सरकार के किसी काम की प्रशंसा देशद्रोह से कम नहीं

देश हित पर दल और व्यक्तिगत लाभ-हानि की चिंता भारी पड़ने लगे तो ऐसा ही होता है। ऐसा नहीं है कि ये लोग देश का भला नहीं चाहते। भला चाहते हैं, लेकिन इसी शर्त पर उसका जरिया वही हों। उनकी समझ से भला मोदी देश की भलाई करने की जुर्रत कैसे कर सकते हैं और करते भी हैं तो इसे भला नहीं मानना चाहिए। इनकी नजर में मोदी और उनकी सरकार के किसी काम की प्रशंसा देशद्रोह से कम नहीं है और जो ऐसा करते हैं वे देशद्रोही ही नहीं जनतंत्र के भी खिलाफ हैं।

नफरत की राजनीति का सिलसिला संकट के समय भी नहीं रुक रहा

नफरत की राजनीति का सिलसिला संकट के समय भी नहीं रुक रहा। सरकार के काम की आलोचना हो, यह तो समझ में आता है, पर क्या आप कल्पना भी कर सकते हैं कि कोई देश के प्रधानमंत्री के मरने की इच्छा जाहिर करे, लेकिन ऐसा किया गया और उससे सहमति जताने वालों में संवैधानिक पद पर रहे एक शख्स भी थे।

भारत विरोधी मानसिकता: हमें कोरोना नहीं होगा, हमारे साथ अल्लाह ताला है, मोदी को होगा

ऐसे ही जनतंत्र की कथित क्रांति दूत शाहीन बाग की महिलाओं में से एक को टीवी पर कहते सुना गया कि हमें कोरोना नहीं होगा, हमारे साथ अल्लाह ताला है, मोदी को होगा। अभिव्यक्ति की आजादी के किसी पहरूये ने नहीं कहा कि ऐसी बातें संविधान से मिले अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार के दायरे से बाहर हैं। जिहादी मानसिकता वाली एक तथाकथित पत्रकार ने ट्वीट किया कि नैतिक रूप से भ्रष्ट इस देश में कोरोना के लिए मारने को क्या है? तात्पर्य है कि कोरोना से लोग मर भी जाएं तो क्या फर्क पड़ता है। आमजन की भाषा में ऐसे लोगों को आस्तीन का सांप कहा जाता है। यह मोदी विरोधी या मोदी से नफरत तक सीमित रहने वाली बात नहीं है। यह भारत विरोधी मानसिकता है।

विपक्ष के लिए मोदी कोरोना से बड़ा खतरा हैं, वे कोरोना से नहीं, मोदी से लड़ेंगे

किसी भी राष्ट्रीय संकट के समय लोग अपने मतभेद भुलाकर साथ खड़े नजर आते हैं। भारतीय राजनीति मनुष्य की इस स्वाभाविक वृत्ति के खिलाफ खड़ी है। उनके लिए मोदी कोरोना से बड़ा खतरा हैं। इसलिए वे कोरोना से नहीं, मोदी से लड़ेंगे। ऐसा सोचने वाले यह भूल जाते हैं कि उनकी लड़ाई सफल तभी होगी जब जनमानस साथ होगा। जनमानस तो अभी मोदी और देश के साथ खड़ा दिख रहा है, क्योंकि आम लोगों में राजनीतिक स्वार्थ से परे देखने की क्षमता है, जिसे विपक्ष के हमारे कुछ नेता देखने में अक्षम हैं।

( लेखक राजनीतिक विश्लेषक एवं वरिष्ठ स्तंभकार हैं )