सतीश सिंह। Coronavirus Economic Impact: कोरोना वायरस से वैश्विक स्तर पर दहशत का माहौल बना हुआ है। कोरोना से चीन के अलावा अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं को भी नुकसान पहुंचा है जिसमें भारत भी शामिल है। इस कारण कई बड़ी कंपनियों ने अस्थायी रूप से चीन में अपना कारोबार बंद कर दिया है। कई एयरलाइंस ने चीन की सभी उड़ानों को रद कर दिया है।

दक्षिण कोरिया की कंपनी हुंदेई ने भी अपने कार उत्पादन को अस्थायी रूप से बंद कर दिया है जिसका कारण चीन से कार के कलपुर्जों का आयात का बंद होना है। चीन आज कंप्यूटर, ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री का बादशाह है। वह वैश्विक स्तर पर इनके कलपुर्जों का विभिन्न देशों में निर्यात करता है।

कंसल्टेंसी ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स के मुताबिक कोरोना अगर महामारी का रूप लेती है तो 2020 की पहली तिमाही में चीन की अर्थव्यवस्था पिछले साल के मुकाबले चार प्रतिशत कम की दर से आगे बढ़ेगी। इस एजेंसी के अनुसार 2020 में चीन की अर्थव्यवस्था 5.6 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। कोरोना का असर अंतरराष्ट्रीय बाजार पर भी पड़ा है। इस वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था में 0.2 प्रतिशत की कम वृद्धि होगी।

चीन में कारोबारी गतिविधियों में आई गिरावट के कारण तेल की मांग में भी कमी आई है। एक अनुमान के मुताबिक विगत 20 दिनों में कच्चे तेल की मांग में 15 प्रतिशत कमी आई है। इसलिए तेल निर्यातक देशों के समूह तेल उत्पादन में कटौती करने की योजना बना रहे हैं, ताकि कच्चे तेल की गिरती कीमतों को रोका जा सके। कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण, ऑटोमोबाइल, फार्मा, टेक्सटाइल जैसे अनेक उद्योगों की अधिकांश फैक्ट्रियां कोरोना के कारण चीन में अस्थायी रूप से बंद हैं। अभी चीन से भारत आयात किए जाने वाले उत्पादों में इलेक्ट्रॉनिक्स का 20.6 प्रतिशत, मशीनरी का 13.4 प्रतिशत, ऑर्गेनिक केमिकल्स का 8.6 प्रतिशत और प्लास्टिक उत्पादों का 2.7 प्रतिशत योगदान है, जबकि भारत से चीन निर्यात किए जाने वाले उत्पादों में ऑर्गेनिक केमिकल्स का 3.2 प्रतिशत और कॉटन का 1.8 प्रतिशत का योगदान है।

भारत चीन से इलेक्ट्रिकल मशीनरी, मैकेनिकल उपकरण, ऑर्गेनिक केमिकल, प्लास्टिक और ऑप्टिकल सर्जिकल उपकरणों का ज्यादा आयात करता है जो भारत के कुल आयात का 28 प्रतिशत है। भारत चीन से सबसे ज्यादा यानी 40 प्रतिशत ऑर्गेनिक केमिकल्स का आयात करता है, लेकिन वह इससे बने उत्पादों का निर्यात भी करता है। कोरोना से विनिर्माण, परिवहन, मशीनरी विनिर्माण पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। भारत इन वस्तुओं का चीन से 73 अरब डॉलर का आयात करता है, जबकि भारत का कुल आयात 507 अरब डॉलर का है।

भारत ने वित्त वर्ष 2019-20 में अप्रैल से दिसंबर के दौरान चीन से 3,65,377 करोड़ रुपये का आयात किया था, जबकि समान अवधि में 91,983 करोड़ रुपये का निर्यात किया था। इस प्रकार वित्त वर्ष 2019-20 के अप्रैल से दिसंबर के दौरान भारत को चीन के साथ कुल 2,73,394 करोड़ रुपये का व्यापार घाटा हुआ था। बहरहाल कोरोना की वजह से चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में वृद्धि दर में और भी गिरावट आने की आशंका बढ़ गई है।

चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भारत की विकास दर 4.5 प्रतिशत दर्ज की गई थी जो छह वर्षों में सबसे कम है। इससे पहले पहली तिमाही में विकास दर पांच प्रतिशत रही थी। चालू वित्त वर्ष में आर्थिक सर्वेक्षण में विकास दर के पांच प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। कहा जा सकता है कि कोरोना वायरस की वजह से भारत के आयात पर प्रभाव ज्यादा पड़ सकता है, क्योंकि भारत चीन से निर्यात की जगह आयात ज्यादा करता है। भारत में भले ही चीन के सामानों के बहिष्कार की बात कही जाती है, पर बहुत सारे उद्योग कच्चे माल एवं कलपुर्जों के लिए चीन पर ही निर्भर हैं। चीन से आयात बंद होने पर भारत के कई उद्योगों के बंद होने की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता।

(लेखक आर्थिक मामलों के जानकार हैं)

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