[ सुधीर पंवार ]: मानव सभ्यता एक ऐसी चुनौती से जूझ रही है जिससे बचाव का न तो उसे कोई अनुभव है और न ही उसके भविष्य का पूर्वानुमान। चीन के शहर वुहान से शुरू हुई बीमारी कोविड-19 ने महामारी बनकर केवल चार महीनों में ही पूरे विश्व की चिकित्सा, वित्त, नागरिक एवं सांस्थानिक व्यवस्थाओं को हिलाकर रख दिया है। अपेक्षाकृत समृद्ध यूरोपीय देश कोविड-19 से सर्वाधिक प्रभावित हैं। वहां की उन्नत चिकित्सा एवं शहरी व्यवस्थाएं न तो इस वायरल बीमारी का प्रसार रोक पा रही हैं और न ही उससे होने वाली मौतों में कमी को। अमेरिका की भी ऐसी ही स्थिति बनती जा रही है, जो विश्व की सबसे ताकतवर महाशक्ति है।

चीन ने उन्नत चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराकर महामारी को नियंत्रित कर लिया

अमेरिका जैसी महाशक्ति बनने को तत्पर चीन का दावा है कि उसने भीड़ नियंत्रण, सामाजिक अलगाव, स्वच्छता एवं उन्नत चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराकर इस महामारी को नियंत्रित कर लिया है और अब उसके यहां लोग कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं हो रहे हैं। पता नहीं उसका यह दावा कितना सच है, लेकिन आमतौर पर विश्व के सभी देश चीन के अनुभव के आधार पर ही इस महामारी को नियंत्रित करने के उपाय कर रहे हैं।

कोरोना वायरस के दूसरे स्तर पर रोग नियंत्रित तो रहता है, लेकिन फैलने का जोखिम बना रहता

कोरोना वायरस के संक्रमण के दूसरे स्तर पर रोग नियंत्रित तो रहता है, लेकिन उसके फैलने का जोखिम बना रहता है। भारत सरकार एवं चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार भारत में संक्रमण अभी इसी दूसरे स्तर पर है। यदि हम इसे इसी स्तर पर रोकने में सफल रहते हैं तो यह बड़ी उपलब्धि होगी। कोरोना वायरस के संक्रमण को दूसरे स्तर पर सीमित कर बड़ी जन एवं धनहानि से बचा जा सकता है। संक्रमण को दूसरे स्तर पर ही रोकने के लिए जिन उपायों की आवश्यकता होती है उन पर भारत जैसे देशों में अमल आसान नहीं। सामाजिक, आर्थिक विषमताओं को ध्यान में रखते हुए नागरिकों एवं सेवाओं पर प्रतिबंध प्रजातांत्रिक व्यवस्था के दायरे में ही लागू करने होते हैं।

चीन ने प्रतिबंधों को कड़ाई से लागू कर कोरोना वायरस को हुबेई तक सीमित करने में सफलता पाई थी

चीन ने भिन्न राजनीतिक व्यवस्था के कारण प्रतिबंधों को कड़ाई से लागू कर कोरोना वायरस के संक्रमण को हुबेई प्रांत तक ही सीमित करने में सफलता पाई थी। इटली ऐसा नहीं कर सका है। यह अच्छी बात है कि कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए भारत सरकार के प्रतिबंधात्मक उपायों को विपक्ष एवं आम जनता का भारी समर्थन मिल रहा है। भारत सरकार ने विदेशों से आने वाली सभी उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया है और सतर्कता बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को संबोधित किया तथा रविवार को जनता कफ्र्यू का अनुरोध किया। इसी के साथ सभी यात्री रेलगाड़ियों को 31 मार्च तक निरस्त किया गया है। कोरोना से प्रभावित देश के 75 जिलों को लॉकडाउन कर दिया गया है। इसके अलावा उसने दिहाड़ी मजदूरों, रेहड़ी, खोमचे वालों के खाते में 1000 रुपये डीबीटी के माध्यम से ट्रांसफर करने की घोषणा की है। दिल्ली सरकार ने भी संविदाकर्मियों के लिए छुट्टियों में वेतन देने की घोषणा की है। अन्य राज्य सरकारें भी इसी तरह के कदम उठा रही हैं।

कोरोना का संक्रमण गांवों में न फैलने देने के लिए कदम उठाने चाहिए

केंद्र और राज्य सरकारें एक और उपाय कर देश की करीब 60 प्रतिशत ग्रामीण जनता में संक्रमण के खतरे को कम कर सकती हैं। अभी तक संक्रमण के अधिकांश मामले बड़े शहरों में हुए हैं। यदि सरकारें शहर और गांवों के बीच भौतिक आदान-प्रदान और यात्राएं सीमित एवं विनियमित कर दें तो न केवल एक बड़ी आबादी को संक्रमण से मुक्त रखा जा सकेगा, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ने वाले बोझ को भी कम किया जा सकेगा। इसके लिए सरकार को मंडियां बंद कर आवश्यक कृषि उत्पादों जैसे सब्जी-फल इत्यादि की गांवों से सीधे खरीद की व्यवस्था करनी चाहिए। इस खरीद में केवल सैनिटाइज्ड कर्मियों को लगाया जाए और उन्हें ही शहरों से ग्रामीणों के लिए आवश्यक वस्तुएं जैसे नमक, दवाई आदि उपलब्ध कराने के लिए लगाया जाए।

देश में तीसरे स्तर के संक्रमण की आशंका

संक्रमण के तीसरे स्तर की पहचान सामुदायिक संक्रमण के प्रमाण मिलने से होती है। कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञ देश में तीसरे स्तर के संक्रमण की आशंका जता रहे हैं। उनका यह भी कहना है कि कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या कम होने का एक कारण संदिग्ध मरीजों के परीक्षण की संख्या कम होना हो सकती है।

चौथे स्तर पर संक्रमण का सभी जगह विस्तार हो जाता है

बीमारी के फैलाव के चौथे स्तर पर संक्रमण का सभी जगह विस्तार हो जाता है। इस अवस्था में इमरजेंसी सेवाओं के अतिरिक्त सब कुछ बंद करना पड़ता है। सौभाग्य से अभी तक किसी देश ने चौथे स्तर की घोषणा नहीं की है। कोविड-19 के संक्रमण का नियंत्रण न केवल सरकारों, बल्कि नागरिकों के लिए भी बड़ी चुनौती है। सरकारें अपने स्तर पर कदम उठा रही हैं। निर्णायक नियंत्रण जनता को ही करना है, क्योंकि सरकारी प्रयास भी नागरिकों के प्रयास पर निर्भर हैं।

संक्रमण के लक्षण जैसे बुखार, खांसी एवं सांस फूलने में दिक्कत आदि हैं

जनता को यह समझ लेना चाहिए कि कोई भी देखकर यह नहीं बता सकता कि अमुक व्यक्ति में कोरोना वायरस के संक्रमण से ग्रस्त या नहीं, क्योंकि संक्रमण के लक्षण जैसे बुखार, खांसी एवं सांस फूलने में दिक्कत आदि सामने आने में 12 से 14 दिन लगते हैं। यह बीमारी किसी भी व्यक्ति को हो सकती है।

कोविड-19 के संक्रमण से घबराने की जरूरत नहीं

कोविड-19 के संक्रमण से बीमार व्यक्ति के ठीक होने की संभावना भी अन्य वायरल बीमारियों के समान ही है। इसीलिए घबराने की जरूरत नहीं। कोरोना नया वायरस होने के कारण अभी किसी के पास उसके निदान की चिकित्सा पद्धति नहीं है। कुछ दिनों पहले अमेरिका एवं चीन ने वैक्सीन परीक्षण किए हैं, लेकिन उनके मरीजों तक पहुंचने में अभी समय लगेगा। जीवविज्ञान के अनुसार मानव जाति और वायरस, बैक्टीरिया एवं अन्य रोगजनक कीटाणुओं में संघर्ष युगों से चल रहा है और इस संघर्ष में जीत सदा मानव एवं उसकी मेधा की हुई है। इस बार भी जीत मानव की ही होगी बस जो कोशिश जारी है उसे सफल बनाने की आवश्यकता है।

( लेखक लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं )