अरविंद जयतिलक। Ayodhya Ram Mandir News अयोध्या में भगवान श्रीराम का मंदिर निर्माण सृष्टि के लिए मंगलकारी हो। जन-जन की ऐसी ही कामना है। श्रीराम की सभी चेष्टाएं धर्म, ज्ञान, शिक्षा, नीति, गुण, प्रभाव एवं तत्व जन-जन के लिए अनुकरणीय हैं। उन्होंने प्रकृति के सभी अवयवों से तादाम्य स्थापित कर संसार को प्रत्येक जीव से आत्मीय भाव रखने का उपदेश दिया। उनका दयापूर्ण, प्रेमयुक्त और त्यागमय व्यवहार ही लोकमानस के हृदय में उनके प्रति ईश्वरीय भाव प्रकट किया।

श्रीराम पूर्ण परमात्मा होते हुए भी मित्रों के साथ मित्र जैसा, माता-पिता के साथ पुत्र जैसा, सीता जी के साथ पति जैसा, भ्राताओं के साथ भाई जैसा, सेवकों के साथ स्वामी जैसा, मुनि और ब्राह्मणों के साथ शिष्य जैसा त्यागयुक्त प्रेमपूर्वक व्यवहार किया। श्रीराम के इस गुण से संसार को सीखने को मिलता है कि किससे किस तरह का आचरण एवं व्यवहार करना चाहिए।

श्रीराम का रामराज्य जगत प्रसिद्ध है। सनातन हिंदू संस्कृति में श्रीराम द्वारा किया गया आदर्श शासन ही रामराज्य के नाम से प्रसिद्ध है। रामचरित मानस में तुलसीदास ने रामराज्य पर प्रकाश डाला है। उन्होंने लिखा है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के सिंहासन पर आसीन होते ही सर्वत्र हर्ष व्याप्त हो गया। समस्त भय और शोक दूर हो गए। लोगों को दैहिक, दैविक और भौतिक तापों से मुक्ति मिल गई।

रामराज्य में कोई भी अल्पमृत्यु और रोगपीड़ा से ग्रस्त नहीं था। सभी जन स्वस्थ, गुणी, बुद्धिमान, साक्षर, ज्ञानी और कृतज्ञ थे। वाल्मीकि रामायण के एक प्रसंग में स्वयं भरत जी भी रामराज्य के विलक्षण प्रभाव की बखान करते हैं। वैश्विक स्तर पर रामराज्य की स्थापना गांधी जी की भी चाह थी। गांधी जी ने भारत में अंग्रेजी शासन से मुक्ति के बाद ग्राम स्वराज के रूप में रामराज्य की कल्पना की थी। आज भी शासन की विधा के तौर पर रामराज्य को ही उत्कृष्ट शासन माना जाता है और उसका उदाहरण दिया जाता है।

संसार श्रीराम को इसीलिए आदर्श एवं प्रजावत्सल शासक मानता है कि उन्होंने किसी के साथ भेदभाव नहीं किया। यहां तक कि उन्होंने प्रतिकूल परिस्थितियों में भी सत्य और मर्यादा का पालन करना नहीं छोड़ा। पिता का आदेश मान वन गए और दंडक वन को राछस विहिन किया। अहिल्या का उद्धार किया। पराई स्त्री पर कुदृष्टि रखने वाले बालि का संघार किया और संसार को स्त्रियों के प्रति संवेदनशील होने का संदेश दिया।

जटायु को पिता तुल्य स्नेह प्रदान कर जीव-जंतुओं के प्रति मानवीय आचरण को भलीभांति निरूपित किया। समुद्र पर सेतु बांधकर वैज्ञानिकता और तकनीकी की अनुपम मिसाल कायम की। श्रीराम का जीवन और उनका आचरण विश्व के लिए प्रेरणादायक है। उनके बताए आदर्शो पर चलकर ही एक सभ्य और सुसंस्कृत समाज का निर्माण किया जा सकता है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)