नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। सूप तो सूप छलनी भी बोले जिसमें 72 छेद। यह छलनी बहुत बड़ी है। हमारे पड़ोस में है। इसका नाम पाकिस्तान है। संस्कृत में एक सूक्ति है- खल: सर्पस-मात्रणि, पर छिद्राणि पश्यंति। आत्मनो बिल्व-मात्रणि, पश्यन् अपि न पश्यंति। यानी दुर्जन या दुष्ट लोगों को सरसों के बीज के समान दूसरों की बुराइयां भी दिख जाती हैं, लेकिन खुद की बेल के आकार की खामी को वे देखते हुए भी अनदेखा कर देते हैं। पड़ोसी देश पाकिस्तान को ऐसे लोगों की श्रेणी में रखा जा सकता है।

अनुच्छेद-370 हटने के बाद पाक की बौखलाहट

भारत ने जब से जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35-ए हटाकर उसे भारत का अभिन्न अंग बनाया है तब से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। इस बौखलाहट में उसे बार-बार मुंह की खानी पड़ रही है, लेकिन अक्ल है कि आती नहीं। तमाम अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के इस कदम के खिलाफ दुष्प्रचार का मोर्चा खोल रखा है। हालांकि बीते बुधवार को उसके ही गृहमंत्री एजाज अहमद शाह ने सार्वजनिक रूप से माना कि कश्मीर पर उनकी कहानी पर दुनिया यकीन नहीं कर रही है। एजाज साहब कभी जासूस और सेना के अधिकारी हुआ करते थे। कश्मीर पर दुनिया के मनोभावों को उनसे अच्छा भला कौन जान सकता है।

कर्ज चुकाने को भीख मांग रहा पाक

बहरहाल इमरान सरकार इन सबसे बेखबर भारत पर तोहमत मढ़ने में मशगूल है कि वहां मानवाधिकारों का हनन हो रहा है, कश्मीर में जुल्मोसितम चरम पर है..आदि आदि। 1947 में भारत और पाकिस्तान अलग-अलग देश बने। आज भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर अग्रसर है और पाकिस्तान अपने कर्जों को चुकाने के लिए अगर कटोरा लेकर भीख मांगने को विवश हुआ है तो उस देश की यही सोच, समझ और संस्कृति इसके लिए जिम्मेदार है।

भारत में शरण लेने को मजबूर पाकिस्तान के अल्पसंख्यक

दरअसल पाकिस्तान के 70 साल के इतिहास में आधे समय तक तो फौजी हुकूमत रही है। मानवाधिकार के हनन और जुल्मोसितम की इंतहा तो वह खुद बलूचिस्तान, गुलाम कश्मीर, बाल्टिस्तान और सिंध इलाकों में कर रहा है। उसके यहां कट्टपंथियों ने अल्पसंख्यकों के जीवन को नर्क बना रखा है। तभी तो सिख और हिंदू अल्पसंख्यकों को भागकर भारत में शरण लेनी पड़ रही है। हाल ही में इमरान खान की पार्टी के नेता बलदेव कुमार का भारत में राजनीतिक शरण मांगना ज्वलंत उदाहरण है। ऐसे में पाकिस्तान में मानवाधिकारों की पड़ताल आज बड़ा मुद्दा है

अच्छे हैं भारतीय मुस्लिम

इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर के अध्यक्ष सिराजूद्दीन कुरैशी के मुताबिक, पाकिस्तान की आबादी से ज्यादा भारत में अल्पसंख्यक हैं। इनमें मुसलमान सर्वाधिक हैं। मुङो यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि भारत का मुसलमान विश्व के हर देश के मुसलमानों से अच्छी हालत में है। भारत का संविधान यहां के मुस्लिम अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण की सबसे बड़ी गारंटी है। इस संविधान ने जो अधिकार आम नागरिकों को दिए हैं उससे ज्यादा अपने अल्पसंख्यकों को दिए हैं।

भारत में 20 करोड़ से अधिक मुसलमान

भारत के अल्पसंख्यकों को अपने शिक्षा के संस्थान खोलने, उन्हें चलाने और उनकी आजादाना रूप से देखरेख करने का पूरा हक दिया गया है। भारत के अल्पसंख्यकों को अपनी मान्यताओं के अनुसार अपनी सामाजिक जिंदगी गुजारने और अपने धर्म के अनुसार अपने पूजा स्थल स्थापित करने का पूरा हक है। भारत में इस समय 20 करोड़ से अधिक मुसलमान हर मैदान में आपको मिलेंगे। हर व्यवसाय और हर कारोबार में मिलेंगे। नौकरशाही में मिलेंगे। न्यायपालिका में मिलेंगे। संसद के सदनों में मिलेंगे। राज्यों की विधानसभाओं में मिलेंगे। हर पार्टी में मिलेंगे।

पाकिस्तान में हिंदू आबादी सामाजिक रूप से परेशान है

पाकिस्तान में भी लगभग इतने ही मुसलमान हैं जितने भारत में हैं। लेकिन वहां अल्पसंख्यकों की संख्या कम है। उसके बावजूद वहां के अल्पसंख्यक विशेष रूप से वहां की हिंदू आबादी सामाजिक रूप से परेशान है। ऐसा नहीं है कि हमारे यहां असामाजिक तत्व नहीं हैं, लेकिन हमारे यहां उनसे संरक्षण का अचूक इंतजाम है।