[ हृदयनारायण दीक्षित ]: कृत्रिम में प्राकृतिक सौंदर्य नहीं होता। अप्राकृतिक में प्राकृतिक गुणसूत्र नहीं होते। राष्ट्र गठन का आधार सांस्कृतिक तत्व होते हैं। पाकिस्तान स्वाभाविक राष्ट्र नहीं है। पुलवामा और बालाकोट की घटनाओं के बाद पाकिस्तान की मानसिकता अंतरराष्ट्रीय विवेचन का विषय बनी है। भारत में पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लग रहे हैं। पाकिस्तान 1947 तक भारत था। इसके पहले यह भाग ब्रिटिश सत्ता में था। अतीत में यह मौर्य साम्राज्य और गुप्त साम्राज्य का भी भाग था। यह सिंधु सभ्यता का क्षेत्र था।

तक्षशिला भारतीय स्वाभिमान का प्रतीक

अभी दो वर्ष पहले पाकिस्तान के पेशावर क्षेत्र में बख्शाली गांव से बख्शाली लिपि में लिखित शून्य की जानकारी मिली थी। भारत को इस प्राचीन ज्ञान पर गर्व है। भारतीय दर्शन एवं ज्ञान शोध के तमाम भू-भाग अब पाकिस्तान में हैं। दुनिया का प्राचीनतम विश्वविद्यालय तक्षशिला भारतीय स्वाभिमान का प्रतीक है। कौटिल्य वहीं आचार्य थे। यहां भारत के मन को आनंद देने वाली सिंधु नदी का क्षेत्र भी है। मूलभूत प्रश्न है कि ऐसी प्राचीन भारतीय विरासत के बावजूद पाकिस्तान की मानसिकता भारत विरोधी क्यों है? वह भारत जैसा होने को बेताब है, लेकिन उसके मन की भारत विरोधी ग्रंथि उसे आत्महत्या के लिए उकसाया करती है। आखिर उसे अपने मुल्क की बेहतरी की चिंता क्यों नहीं है? भारत को ही नीचा दिखाने की मानसिकता का रहस्य क्या है?

मजहब की बुनियाद

पंथ, मजहब की बुनियाद पर राष्ट्र नहीं बनते। मौलाना मौदूदी इस्लामी विद्वान ने ‘मसल्लम कौमियत’ में लिखा था, ‘जहां इस्लाम है, वहां राष्ट्रीयता के लिए कोई जगह नहीं।’ स्वाधीनता संग्राम में मुस्लिम मित्रों की कम भागीदारी से गांधी जी चिंतित थे। ‘हिस्ट्री ऑफ फ्रीडम मूवमेंट’ के उद्धरण में मौदूदी के मुताबिक ‘मुसलमान भी भारत की आजादी के उतने ही इच्छुक थे, जितने बाकी लोग, लेकिन वे इसे एक पड़ाव मानते थे।’ एफके दुर्रानी ने ‘मीनिंग ऑफ पाकिस्तान’ में इसका खुलासा किया, ‘पाकिस्तान का निर्माण इसलिए जरूरी था कि इसे शिविर बनाकर शेष भारत का इस्लामीकरण किया जाए।

इस्लामी गणराज्य

मुस्लिम लीग मजहबी आधार पर अलग मुल्क मांग रही थी। उसकी मुहिम में लाखों गैर-मुस्लिम मारे गए थे। खूब रक्तपात हुआ। फिर देश बंट गया। भारत ने नवंबर 1949 में संविधान बनाया। पाकिस्तान का संविधान सात साल बाद 1956 में बना। पाकिस्तान ने स्वयं को इस्लामी गणराज्य घोषित किया। पूर्वी पाकिस्तान में उर्दू के सवाल पर आंदोलन हुआ। इसे कुचलने के लिए ‘सर्चलाइट ऑपरेशन’ हुआ। लाखों मारे गए। भारत ने हस्तक्षेप किया। पूर्वी पाकिस्तान टूटकर बांग्लादेश बना।

सेना प्रायोजित आतंकवाद

देश रक्तपात और सेना प्रायोजित आतंकवाद से नहीं चलते। पाकिस्तान ने 1973 में नया संविधान बनाया। भारतीय संस्कृति की विरासत न 1956 के संविधान में थी और न ही 1973 के नए संविधान में। 1956 के संविधान में यह इस्लामी गणतंत्र था। 1973 में नई बात जुड़ी कि सभी कानून कुरान के अनुसार बनाए जाएंगे। पाकिस्तान भारत की बराबरी चाहता है। भारत में अटल जी के नेतृत्व में परमाणु परीक्षण हुआ। यह आत्मरक्षा आवश्यकता थी। देखा-देखी पाकिस्तान ने भी किया। लेबनानी विद्वान खलील जिब्रान ने मजेदार बात लिखी थी, ‘मेंढक बैलों की तुलना में भले ही अधिक शोर कर लें, लेकिन वे न तो हल खींच सकते हैं और न ही कोल्हू का चक्र हिला सकते हैं।’

परमाणु बम की धमकी

पाकिस्तानी नेता अक्सर भारत को परमाणु बम की धमकी देते हैं कि तब यहां न चिड़िया बोलेगी और न मंदिर की घंटिया बजेंगी। भारत ने परमाणु धमकी कभी नहीं दी कि तब पाकिस्तान में न अजान होगी और न ही आतंकी ट्रेनिंग स्कूल चलेंगे। पाकिस्तान भारत विरोधी ग्रंथि के चलते बम और युद्ध की धमकियां देता है। आम पाकिस्तानी भारत जैसी समृद्धि और भारत जैसा लोकतांत्रिक समाज चाहते हैं, लेकिन भारत विरोधी ग्रंथि उसे चैन से नहीं बैठने देती।

हिंदुओं के प्रति घृणाभाव

पाकिस्तानी मानसिकता में हिंदू समाज के प्रति घृणा है। पाकिस्तान में घृणा भाव की तालीम भी दी जाती है। एक पाकिस्तानी प्रधानमंत्री जेडए भुट्टो के सलाहकार रहे खुर्शीद कमाल अजीज ‘इतिहास का कत्ल’ में लिखते हैं, ‘1965 और 1971 के युद्धों को पाकिस्तान की विजय के रूप में दर्शाया गया। पुस्तकें छात्रों में भारत औंर हिंदुओं के प्रति घृणाभाव उत्पन्न करने के लिए तैयार होती हैं। हिंदू धर्म और संस्कृति का पक्षपातपूर्ण वर्णन, तिरस्कार और यह दावा कि विभाजन के वक्त और उसके बाद सांप्रदायिक दंगे केवल हिंदुओं, सिखों द्वारा फैलाए गए थे। मुसलमान कहीं भी आक्रमणकारी नहीं थे।’

हमलावरों के प्रति मोहब्बत

अजीज ने पाठ्य पुस्तक ‘मुआशाराती’ से उद्धरण दिए, ‘राजा जयपाल ने महमूद गजनवी के मुल्क में घुसने की कोशिश की। इस पर गजनवी ने जयपाल को हरा दिया। लाहौर हथिया लिया।’ पाकिस्तानी स्वयं पर ही हमलावर रहे मोहम्मद बिन कासिम, गोरी, गजनी को हमलावर नहीं मानते। वे अपनी मिसाइलों का नाम उन पर रखते हैं। हमलावरों के प्रति ऐसी मोहब्बत को क्या कहें? यूरोप में इसे ‘स्टाकहोम सिंड्रोम’ कहते हैं। स्टाकहोम में अपहर्ताओं के चंगुल में फंसी युवती उन्हीं को दिल दे बैठी थी।

भारत विरोधी ग्रंथि

पाकिस्तानी मानस को भारत घृणा के रसायन से विषाक्त किया गया है। पूर्व राजनयिक जेएन दीक्षित ने लिखा, ‘भारत विभाजन का उद्देश्य हिंदू क्षेत्रों को छोटे राजनीतिक भूभागों में बांटना एवं उपमहाद्वीप में सबसे बड़ी राजनीतिक शक्ति के रूप में पाकिस्तान बनाना था। पाकिस्तान का अंतिम लक्ष्य भारत विखंडन है। भारत सभी युद्धों में पाकिस्तान को हराने के बावजूद उसके प्रति उदार रहा, लेकिन पाकिस्तानी सत्ता भारत के प्रति शत्रुतापूर्ण दृष्टिकोण रखती है।’ वहां यहीं नीतिगत निरंतरता है। हाल में पाकिस्तानी पंजाब के मंत्री फैयाजुल हसन चौहान ने हिंदुओं को अपशब्द कहे। इस पर विवाद के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। उन्होंने माफी भी मांगी, लेकिन मूल प्रश्न उनकी मानसिकता का है जो निजी नहीं है। वह पाक की भारत विरोधी ग्रंथि का ही प्रतिनिधित्व कर रहे थे।

पाक विघटन के कगार पर

पाक विघटन के कगार पर है। पाकिस्तान बनने के कुछ समय बाद ही पठान, बलूच, पंजाबी, पख्तून, सिंधी, मोहाजिर समूह पीड़ित महसूस करने लगे थे। शिया, सुन्नी, इस्माइली, दाऊदी बोहरा के टकराव भी सतह पर हैं। पुराना आरोप स्थायी है कि पाकिस्तान ने बलूचिस्तान को धोखे से मिलाया। 1958, 1963 से 1969 और 2004 में तमाम आंदोलन हुए थे। अब भी जारी हैं। बलूच स्वतंत्र सांस्कृतिक अस्मिता है। पाक ने बलूचिस्तान आंदोलन को कुचलने के लिए वायु सेना का भी दुरुपयोग किया है।

आतंकवादी प्रशिक्षण विश्वविद्यालय

वास्तविक राष्ट्र अपने नागरिकों के विरुद्ध सेना का प्रयोग नहीं करते, लेकिन पाक में दमन के सभी रास्ते जायज हैं। नागरिक स्वतंत्रता समाप्त हो रही है। ईशनिंदा कानून की तलवारें हैैं। कोर्ट के निर्णय भी नहीं माने जाते। फौज और आइएसआइ ही असली शासक हैं। पाकिस्तान आतंकवादी प्रशिक्षण का विश्वविद्यालय है। आतंकी भारत आकर रक्तपात करते हैं। पाकिस्तान सुबूत मांगता है। सुबूत दिए भी जाते हैं। वार्ता की पेशकश होती है। मोदी के नेतृत्व में इस दफा की ‘वार्ता’ वायुसेना ने की। बालाकोट की वारदात पाकिस्तानी भाषा वाली वार्ता ही थी। देश प्रसन्न है। इसी भाषा से पाकिस्तान की भारत विरोधी ग्रंथि का उपचार होगा।

( लेखक उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष हैैं )