नई दिल्ली [ ब्रह्मा चेलानी ]। युद्ध और शांति के दो विपरीत ध्रुवों के बीच दक्षिण चीन सागर के अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में चीन ने जिस तरह अपनी सीमाओं का विस्तार किया है वैसी मिसाल दुनिया में कहीं और देखने को नहीं मिलती। इससे बहुत ज्यादा लोग परिचित नहीं हैं कि चीन हिमालय में भी यही रणनीति अपना रहा है। यहां वह एक भी गोली दागे बिना तथ्यों को तोड़-मरोड़कर अपने हित साधने में जुटा है। भारत अपनी सीमा पर चीन की लगातार ऐसी कोशिशों को झेल रहा है। चीन ने दुनिया के सबसे छोटे देशों में से एक भूटान को भी नहीं बख्शा जिसके पास महज 8,000 सैनिकों की फौज है। भूटान की भूमि पर भी उसकी नीयत खराब हो गई है। विवादित डोकलाम पठार पर भूटान और चीन दोनों अपना-अपना दावा करते रहे हैैं। यहां चीनी सेना लगातार यथास्थिति से छेड़छाड़ करती रही है। पिछले साल गर्मियों में जब चीनी सेना ने डोकलाम के भारतीय हिस्से की ओर सड़क बनानी शुरू की तो फिर यह एक निर्णायक पड़ाव बन गया।

चीन अपनी विस्तारवादी नीतियों से बाज नहीं आ रहा है

दक्षिण चीन सागर में चीनी विस्तारवादी नीतियों की कामयाबी के बाद चीन को पहली बार किसी प्रतिद्वंद्वी ताकत से प्रतिरोध का सामना करना पड़ा और उसे विवादित जगह पर अपना निर्माण रोकना पड़ा। चूंकि भारत भूटान का सुरक्षा गारंटर है इसलिए उसने इसे अपनी सुरक्षा पर खतरा मानते हुए हस्तक्षेप किया। चीन द्वारा रोजाना ‘सबक सिखाने’ वाली धमकियों के बावजूद भारत का हौसला डिगा नहीं और उसने अपने कदम पीछे नहीं खींचे। अंतत: चीन को गतिरोध समाप्त करने के लिए उस देश के साथ अपमानजनक रूप से एक समझौते पर मजबूर होना पड़ा जिसे वह आर्थिक एवं सामरिक तौर पर खुद से कमतर समझता है, मगर इसके बाद भी वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है।

चीन अपनी एक इंच भूमि के साथ भी समझौता नहीं करेगा

2012 में अमेरिका ने स्कारबोरो शोल में चीनी और फिलीपींस के नौसैनिक पोतों के टकराव के बाद दोनों में बीच-बचाव कराया था, लेकिन बाद में चीन समझौते की शर्तों से पलट गया। यही रवैया उसने डोकलाम को लेकर भी अपनाया है। डोकलाम में उसके खतरनाक मंसूबे फिर से जाहिर हो रहे हैं। आजीवन राष्ट्रपति बनने के प्रस्ताव पर मुहर लगने के बाद चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा है कि चीन अपनी एक इंच भूमि के साथ भी समझौता नहीं करेगा। पिछले साल डोकलाम की सांकेतिक जीत से भारत भले ही संतुष्ट हो जाए, लेकिन चीन ऐसे ही शांत नहीं बैठता। उसकी नजर सामरिक जीत हासिल करने पर ही होती है।

चीन ने डोकलाम में हैलीपैड और सैन्य ढांचे तैयार कर लिए हैं

आक्रमण को रक्षा का छद्मावरण देते हुए चीन अपने प्राचीन सैन्य सिद्धांतकार सुन जू की सलाह पर गौर करता है कि बिना किसी लड़ाई के ही दुश्मन के खेमे में खलबली पैदा करने की क्षमता ही सबसे बेहतरीन रणनीति होती है, जिसमें छल-कपट भी जायज है। डोकलाम पर चीनी सेना के बढ़ते नियंत्रण को लेकर वह भारत को महीनों तक उलझाने की कोशिशों में जुटा रहा ताकि उसकी सांकेतिक जीत का असर कम न हो। इस बीच वह डोकलाम के आसपास स्थाई सैन्य ढांचे का निर्माण करने के साथ ही सैनिकों की तैनाती भी बढ़ाता रहा। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन ने हिचकिचाते हुए स्वीकार किया कि चीन ने डोकलाम में हैलीपैड और अन्य सैन्य ढांचे तैयार कर लिए हैं, लिहाजा वहां सर्दियों के दौरान भी सेना तैनात रखनी पड़ेगी। इससे पहले इस निर्जन पठार पर न कोई स्थाई सैन्य ठिकाना था और न ही सैनिकों की नियमित तैनाती होती थी। सर्दियों के दौरान यहां घुमंतू भूटानी चरवाहों और चीनी गश्ती वाहनों के अलावा और कुछ नजर नहीं आता था। डोकलाम पर चीन ने भारत पर अपनी ही शर्तें थोप दी हैैं, जैसा कि उसने स्कारबोरो में फिलीपींस के साथ किया था कि या तो बदले हुए हालात से समझौता कर लो या फिर आमने-सामने की जंग के लिए तैयार रहो।

चीन भूटान में भारत के प्रभाव को खत्म करना चाहता है

स्पष्ट रूप से नई दिल्ली ने कतई यह अनुमान नहीं लगाया होगा कि डोकलाम गतिरोध खत्म होने के बाद चीन इतनी जल्दी और तेजी से इलाके में अतिक्रमण करने लग जाएगा कि भारत के लिए हस्तक्षेप कर पाना एक तरह से असंभव हो जाए। बीजिंग भूटान को यह दिखाना चाहता है कि भारत उसकी क्षेत्रीय सुरक्षा की गारंटी नहीं दे सकता। चीन का मकसद साफ है कि वह भूटान में भारत के प्रभाव को खत्म करना चाहता है जैसा कि उसने एक और हिमालयी देश नेपाल में किया है जहां अभी हाल में चीनी समर्थन वाली कम्युनिस्ट सरकार ने कमान संभाली है। बीजिंग ने ही नेपाल की दो मुख्य पार्टियों को समझाया कि वे आपसी मतभेद भुलाकर चुनावों में साथ आ जाएं। डोकलाम पर चीन के दबदबे की नई स्थिति ने एक तरह से भूटान के साथ जमीन की अदला-बदली के उस प्रस्ताव की संभावनाओं को भी खारिज कर दिया है जिसकी वह पेशकश करता आया है। इसके तहत चीन भूटान से चाहता था कि वह डोकलाम पर अपना दावा छोड़ दे और बदले में वह भी उत्तरी भूटान के छोटे हिस्से पर अपना दावा छोड़ देगा।

चीन ने भारत पर सैन्य दबाव बढ़ा दिया है, चीनी घुसपैठ में इजाफा

चीन ने भारत पर सैन्य दबाव बढ़ा दिया है। हिमालयी क्षेत्र में जमीनी और हवाई मोर्चे पर यह नजर भी आ रहा है। भारत सरकार ने हाल में संसद को सूचित किया कि संवेदनशील सीमा में एक वर्ष के दौरान चीनी घुसपैठ की घटनाओं में 56 प्रतिशत का इजाफा हुआ। 2016 में 273 घुसपैठ के मामले दर्ज हुए। 2017 में उनकी संख्या बढ़कर 426 हो गई यानी रोजाना एक या उससे अधिक घुसपैठ। भारत के प्रतिक्रियावादी रुख ने चीनी सेना को हिमालयी क्षेत्र में अपनी योजनाओं को सिरे चढ़ाने में मदद की है। वह तमाम भारतीय मोर्चों पर रणनीतिक दबाव को भी बढ़ा रहा है। इस दौरान हर महीने तकरीबन पांच अरब डॉलर का व्यापार घाटा भी उसके पक्ष में झुकता चला गया।

चीन अब नेपाल में सेंधमारी के जरिये भारत के आंतरिक कवच को ध्वस्त करना चाहता है

अब हिमालयी क्षेत्र में चीनी तिकड़मों की एक नई चाल पर भी गौर करते हैं जिसमें वह तिब्बत से निकलने वाली नदियों के जलप्रवाह को बांध एवं अन्य परियोजनाओं के जरिये अपनी सहूलियत से निर्धारित कर रहा है। भारत में ताजे पानी की एक तिहाई आपूर्ति उन्हीं नदियों से होती है जिनका उद्गम स्थल तिब्बत में है। पिछले साल चीन ने नदियों के आंकड़े साझा करने संबंधी दो समझौतों का उल्लंघन किया जो बाढ़ का अनुमान लगाने और चेतावनी जारी करने के लिए जरूरी होते हैं। पूर्वोत्तर भारत में बाढ़ के कहर से जान-माल के नुकसान को कम करने में भी ये आंकड़े खासे काम आते हैं। वह नेपाल में भी पैठ बढ़ा रहा है जिसकी भारत के साथ खुली सीमा लगती है और वहां के लोग बिना पासपोर्ट के भी भारत आ सकते हैं। इससे भारत की सुरक्षा के समक्ष नया खतरा पैदा हुआ है। तिब्बत पर कब्जे के साथ भारत के बाहरी कवच को ढहाने के बाद चीन अब नेपाल में सेंधमारी के जरिये भारत के आंतरिक कवच को भी ध्वस्त करने में जुटा है।

चीन की आक्रामक हिमालयी रणनीति के जवाब में भारत नरम

चीन की आक्रामक हिमालयी रणनीति के जवाब में किसी व्यापक रणनीति के अभाव में रक्षात्मक भारत ने अब नरमी से पेश आने के संकेत दिए हैं। इसकी एक मिसाल तो दलाई लामा के निर्वासन के 60 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में होने वाले कार्यक्रमों से किनारा करना रहा। समर्पण वाले ऐसे रवैये से भारत को कुछ हाथ नहीं लगने वाला।

[ लेखक सामरिक मामलों के विशेषज्ञ एवं सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च में फेलो हैं ]