झारखंड, प्रदीप शुक्ला। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बीच व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप की जंग में किसे क्या हासिल होगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन इससे यह आशंका बलवती हो गई है कि पूरे राज्य में बेकाबू हो चुके कोरोना संक्रमण के खिलाफ लड़ाई कमजोर पड़ सकती है। जैसे-जैसे भाजपा हेमंत सरकार पर हमलावर हो रही है राज्य में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ती जा रही है। इन सबके बीच कांग्रेस के कुछ विधायक चुपचाप दिल्ली जाकर केंद्रीय नेताओं को अपना दुखड़ा सुना आए हैं। इशारे-इशारे में यह भी बता आए हैं कि यदि उनकी अपनी ही सरकार में ऐसे ही अनदेखी होती रही तो गठबंधन सरकार अस्थिर भी हो सकती है।

झारखंड मुक्ति मोर्चा पिछले कुछ दिनों से सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ उनकी एमबीए की डिग्री और कुछ जमीनों की खरीद-फरोख्त को लेकर मोर्चा खोले हुए थी। अब सांसद ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर दुष्कर्म के एक मामले में शामिल होने का आरोप लगाकर राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया है। सांसद ने अपने ट्विटर हैंडल से इस मामले का प्रकटीकरण करते हुए बाकायदा महाराष्ट्र के गृह मंत्री को इसकी जांच करवाने के लिए पत्र तक लिखा है। मुख्यमंत्री ने भी अपने ट्विटर से सांसद को जवाब दिया है। उन्होंने कहा सांसद ने मुझ पर कुछ आरोप लगाए हैं जिसका जवाब 48 घंटे के भीतर कानूनी रूप से दिया जाएगा। इसके बाद सांसद ने फिर कई ट्वीट करके मुख्यमंत्री के साथ-साथ राज्य की पुलिस को कटघरे में खड़ा किया। उनका दावा है कि कुछ आपराधिक तत्वों के जरिये उस युवती की हत्या की साजिश रची जा रही है जिसमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और पुलिस महानिदेशक भी शामिल हैं।

इस मामले में पूरी भाजपा निशिकांत दुबे के साथ खड़ी हो गई है। भाजपा विधानमंडल दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने मोर्चा संभालते हुए राज्य के पुलिस महानिदेशक को चेताया कि वह झामुमो के कार्यकर्ता के रूप में काम न करें। पूर्व में जिन अधिकारियों ने ऐसा किया है उनका क्या हश्र हुआ है सभी को पता है। उन्हें पूर्व की घटनाओं से सबक लेना चाहिए। इधर झामुमो यानी झारखंड मुक्ति मोर्चा सांसद की एमबीए की डिग्री फर्जी होने का दावा कर मुकदमा दर्ज किए जाने की मांग कर रही है। झामुमो ने केंद्रीय चुनाव आयोग को भी पत्र लिखा है कि सांसद ने शपथपत्र में डिग्री की गलत जानकारी दी है। इसकी जांच करवाकर सदस्यता रद की जाए। हालांकि सांसद का कहना है कि उन्होंने चुनाव आयोग को सब स्पष्ट कर रखा है।

राज्य के मुद्दों को लेकर भाजपा पहले से ही गठबंधन सरकार पर हमलावर है। भाजपा के केंद्रीय से लेकर राज्य स्तर के नेता हेमंत सरकार को फेल साबित करने में जुटे हुए हैं। सत्ता संभालते ही हेमंत सरकार को कोरोना संक्रमण ने घेर लिया। सरकार ठीक से कामकाज शुरू भी नहीं कर सकी थी, सबकुछ ठप हो गया। वित्तीय हालात खराब हो गए। प्रशासनिक स्तर पर असमंजस बरकरार है। अधिकारी सरकार की मंशा को या तो ठीक से समझ नहीं पा रहे हैं या जिस सख्त संदेश की उन्हें जरूरत है वह सरकार देने में कामयाब नहीं हो पाई है। हर स्तर पर परेशानियां बढ़ती जा रही हैं। किसान का ऋण अभी तक माफ नहीं हुआ है। बेरोजगारों को भत्ता मिलना शुरू नहीं हो सका है। गरीब परिवारों को हर साल 72 हजार रुपये देने के वादे पर तो अभी बात भी शुरू नहीं हुई है।

कोरोना संक्रमण से उपजे वित्तीय संकट के चलते नई परियोजनाएं शुरू होना तो दूर, पहले से चल रही योजनाओं पर ग्रहण लग गया है। स्वास्थ्य मंत्री की स्वास्थ्य सचिव से अब तक खटपट चल ही रही है। रिम्स के निदेशक के जाने के बाद वहां के हालात भी खराब हो रहे हैं। इन हालात के बीच दुमका और बेरमो विधानसभा सीट के उपचुनाव के लिए सभी दलों ने तैयारियां तेज कर दी हैं। हेमंत सोरेन दुमका और बरहेट दो सीटों से विधानसभा चुनाव जीते थे। बाद में उन्होंने अपनी पसंदीदा बरहेट के बजाय दुमका सीट छोड़ दी। अब यहां से उनके छोटे भाई बसंत सोरेन के मैदान में उतरने की चर्चा है।

कांग्रेस-झामुमो में भी सब कुछ ठीक नहीं: राज्यसभा सदस्य धीरज साहू के नेतृत्व में जामताड़ा के विधायक और प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. इरफान अंसारी, बरही के विधायक उमाशंकर अकेला और खिजरी के विधायक राजेश कच्छप ने चुपचाप दिल्ली जाकर अहमद पटेल और गुलाम नबी आजाद से मुलाकात कर आगाह कर दिया है कि अगर पार्टी विधायकों की इसी तरह उपेक्षा जारी रही तो गठबंधन सरकार अस्थिर हो सकती है।

[स्थानीय संपादक, झारखंड]