प्रतिकूल परिस्थितियों से निकलकर सफलता तक जाने वाली हर यात्रा अनोखी और अद्वितीय होती है। सवाल इस बात का नहीं होता कि आप आज क्या हैं, क्या कर रहे हैं, क्या उम्र और समय है? जीवन में सफलता और असफलता, सुख और दुख, हर्ष और विषाद साथ-साथ चलते हैं, लेकिन जीवन उनका सार्थक है, जो विपरीत परिस्थितियों में भी मुस्कराते हैं। इतिहास साक्षी है कि मनुष्य के संकल्प के सम्मुख देव, दानव सभी पराजित होते हैं। अक्सर जीवन में हम भंवर में फंस जाते हैं। ऐसा लगता है कि सारे दरवाजे बंद होते जा रहे हैं, जबकि वास्तव में ऐसा होता नहीं है। ये वो अवसर रूपी दरवाजे होते हैं, जिनसे हमें उम्मीद होती है। अक्सर ऐसी स्थिति पहले निराश करती है। फिर कुंठा देती है और तन-मन को हताशाओं से भरने लगती है। बिखराव शुरू हो जाता है, चरित्र बदलने लगता है, लेकिन कुछ लोग इन्हीं स्थितियों में मजबूत होते हैं और खराब समय को ही अपने जीवन को स्वर्णिम ढंग से रूपांतरित करने वाला समय बना देते हैं। जो विपरीत हालात में धैर्य और खुदी को बुलंद रखता है, उसके रास्ते से बाधाएं हटती ही हैं, बेशक देर लग जाए। अगर पत्थर पर लगातारं रस्सी की रगड़ से निशान उभर आते हैं तो अकूत संभावनाओं से भरी इस दुनिया में क्या नहीं हो सकता, जहां सभी के लिए पर्याप्त अवसर और पर्याप्त रास्ते हैं। जब हम सही रास्ते की तलाश कर रहे होते हैं तब अक्सर हम बाधाओं से तब टकराते रहते हैं। और सही रास्ता मिलने पर सफलता की ओर हमारे पैर खुद ही बढ़ने लग जाते हैं, लेकिन अक्सर इस तलाश में ही बहुत सारे लोग निराश हो जाते हैं, धैर्य खो देते हैं और किस्मत को कोसने लगते हैं।
शेक्सपीयर कहते थे कि हमारा शरीर एक बगीचे की तरह है और दृढ़ इच्छाशक्ति इसके लिए माली का काम करती है, जो इस बगिया को बहुत सुंदर और महकती हुई बना सकती है। एक विद्वान ने कहा है कि किसी भी तरह की मानसिक बाधा की स्थिति खतरनाक होती है। खुद को स्वतंत्र करिए। बाधाओं के पत्थरों को अपनी सफलता के किले की दीवारों में लगाने का काम करिए। अच्छे काम के लिए धन की कम आवश्यकता पड़ती है, पर अच्छे हृदय और संकल्प की अधिक। इसलिए जीवन में बाधाओं से घबराएं नहीं, बल्कि उनका डटकर मुकाबला करें।
[ गणि राजेंद्र विजय ]