[ दिव्य कुमार सोती ]: आखिर वह काम हुआ जिसका पूरे देश को बेसब्री से इंतजार था। पुलवामा हमले का बदला लेने के लिए भारतीय वायुसेना ने नियंत्रण रेखा पार कर पाकिस्तान में जैश ए मुहम्मद के सबसे बड़े आतंकी अड्डे को निशाना बनाया। माना जा रहा है कि इसमें जैश के लगभग तीन सौ आतंकी मारे गए। यह बीते कई दशकों में भारत के खिलाफ पाकिस्तान के प्रायोजित छद्म युद्ध के विरुद्ध अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है। वायुसेना की इस कार्रवाई के व्यापक सैन्य और सामरिक परिणाम होंगे। भारतीय वायुसेना के मिराज-2000 लड़ाकू विमानों ने यह हमला पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के बालाकोट में किया। इसके लिए उन्होंने न सिर्फ नियंत्रण रेखा पार की, बल्कि पाकिस्तानी सेना की भारी उपस्थिति वाले पाक कब्जे वाले कश्मीर को भी सफलतापूर्वक पार किया।

पाकिस्तानी वायुसेना ने प्रतिरोध करने की कोशिश की, लेकिन हमारे लड़ाकू विमान न केवल जैश के आतंकी ठिकानों को नष्ट करने, बल्कि सकुशल भारतीय सीमा में लौटने में भी कामयाब रहे। ऐसा पिछले कई दिनों से पाक वायु सेना के एलर्ट पर रहने और लगातार गश्ती उड़ान भरने के बावजूद हुआ। यह पाकिस्तानी वायु सेना की क्षमता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। अभी तक यह माना जाता था कि पाकिस्तानी वायुसेना करीब तीन हफ्ते तक तो भारतीय वायुसेना के लिए चुनौती पेश कर सकती है। अब इसे लेकर संदेह पैदा हो गया है। भारतीय वायुसेना के सामने पाकिस्तान की जमीनी वायु रक्षा प्रणालियां भी नाकाम साबित हुईं।

ऐसी कोई खबर नहीं है कि पाकिस्तानी सेना ने भारतीय लड़ाकू विमानों पर सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल दागी हो या एंटी एयर क्राफ्ट गन का प्रयोग किया हो। पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणाली उस समय भी नाकाम साबित हुई थी जब अमेरिकी कंमाडो ओसामा बिन लादेन को एबटाबाद में घुस कर मार डालने में सफल हुए थे। तब भी पाकिस्तान में बहुत हंगामा हुआ था कि कैसे पाकिस्तानी रडार अमेरिकी हेलिकॉप्टरों की घुसपैठ से अनजान रहे। तब पाकिस्तानी फौज ने यह बहाना बनाया था कि अमेरिकी हेलिकॉप्टर अफगानिस्तान की ओर से घुसे थे, जबकि पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणाली भारतीय सीमा पर केंद्रित थी।

बालाकोट में भारतीय हमला पाक कब्जे वाले कश्मीर से बाहर पाकिस्तान की धरती पर उस खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में किया गया जहां न सिर्फ भारत के विरुद्ध आतंकवाद फैला रहे जैश ए मुहम्मद जैसे संगठन सक्रिय हैैं, बल्कि अफगानिस्तान में लड़ रहे तालिबान और हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकी संगठनों के भी ठिकाने हैं। अफगानिस्तान में पिछले 18 वर्षों से तालिबान से जूझ रहे अमेरिका ने इस इलाके में आतंकी ठिकानों पर ड्रोन हमले तो किए, परंतु उसने भारत की तरह आतंकी ठिकानों पर बमबारी नहीं की।

पाकिस्तान को लगता था कि भारत अगर कोई कार्रवाई करेगा भी तो वह नियंत्रण रेखा के आसपास पीओके तक सीमित रहेगी, लेकिन भारत ने कहीं अंदर जाकर आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया। खैबर पख्तूनख्वा में भारत का प्रहार न सिर्फ कश्मीर में सक्रिय जैश ए मुहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के लिए आघात है, बल्कि अफगानिस्तान में सक्रिय आइएसआइ के पिट्ठू तालिबान के लिए भी चेतावनी है कि अगर अमेरिकी फौज के अफगानिस्तान से जाने के बाद उन्होंने भारतीय हितों को निशाना बनाया तो उन्हें भी ऐसे ही हमले झेलने पड़ सकते हैैं।

इस सैन्य कार्रवाई के बाद अफगानिस्तान में स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए चल रहे प्रयासों में भारत की महत्ता बढ़ेगी। यह ध्यान देने योग्य है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कुछ दिन पहले साफ कहा था कि भारत पुलवामा हमले का बदला लेने के लिए कुछ बड़ा करने की सोच रहा है। इस बार अमेरिका ने भारत को पाकिस्तान के विरुद्ध कार्रवाई करने से रोकने की कोई कोशिश नहीं की जैसा कि वह पहले किया करता था। संभवत: अमेरिका भी चाहता है अफगानिस्तान में उसकी सैनिक तैनाती घटने के बाद इस इलाके में पाकिस्तान समर्थित जिहादी आतंकियों का प्रभुत्व फिर से कायम न हो। जाहिर है कि ऐसा होने से रोकने में एकमात्र सक्षम देश भारत ही है।

भारतीय वायुसेना ने 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद पहली बार सीमा पार कर पाकिस्तान पर हमला किया है। इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि 1998 में भारत और पाकिस्तान के परमाणु परीक्षणों के बाद यह पहली बार है कि हमारी वायु सेना ने सीमापार कार्रवाई की। वायुसेना को ऐसी इजाजत न कारगिल युद्ध के दौरान मिली थी और न ही 26/11 मुंबई हमलों के बाद, क्योंकि पाकिस्तान ने ऐसी सूरत में परमाणु हमले का हौव्वा खड़ा कर रखा था।

साफ है कि मोदी सरकार इस साहसिक कदम के लिए प्रशंसा की हकदार है। इस एक कदम ने पाकिस्तान के परमाणु हमले की धौंस की हवा निकाल दी है। अब अगर पाकिस्तान किसी तरह की जवाबी कार्रवाई करता भी है तो न सिर्फ पूरे विश्व में आतंकियों के बचाव में युद्ध करता दिखेगा, बल्कि भविष्य में आतंकी हमले की सूरत में भारत को फिर से ऐसी कार्रवाई करने से रोक नहीं पाएगा।

भविष्य में परमाणु बम को ढाल बनाकर भारत के विरुद्ध आतंकवाद प्रायोजित करना अब पाकिस्तान के लिए मुफ्त का सौदा नहीं रह जाएगा। हालांकि अपनी इज्जत बचाने के लिए पाकिस्तानी फौज छल से कोई जवाबी कार्रवाई करने की कोशिश कर सकती है। इसमें नियंत्रण रेखा पर आतंकी हमले के साथ भारतीय सैनिक ठिकानों पर हवाई हमलों का प्रयास भी शामिल हो सकता है। इसके अलावा यह दिखाने के लिए कि पाकिस्तान भारतीय कार्रवाई से डरा नहीं है, आइएसआइ भारत में और आतंकी हमले भी करा सकती है। ऐसी स्थिति में सैन्य तनाव और बढे़गा, क्योंकि भारत अपनी सैन्य कार्रवाई का दायरा बढ़ा सकता है।

यह समझना जरूरी है कि भारतीय वायुसेना की इस साहसिक कार्रवाई के साथ आतंकवाद के विरुद्ध हमारी जंग खत्म नहीं होती है, बल्कि वह सही तरह से शुरू होती है और वह अभी लंबी चल सकती है। 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक ने पाकिस्तान के विरुद्ध जिस सामरिक खिड़की को खोला था उसे इस कार्रवाई ने और बड़ा कर दिया है। हमें यह याद रखना चाहिए कि पाकिस्तान के कब्जे में अभी भी हाजीपीर जैसे सामरिक रूप से इलाके हैं जिनके जरिये वह भारत में आतंकी घुसपैठ जारी रख सकता है। इसी तरह वहां जमात उद दावा जैसे संगठन भी हैं जिनके हजारों हथियारबंद सदस्य हैं।

कट्टरपंथी मदरसों का वह तंत्र भी अभी पाकिस्तान और कश्मीर में सुरक्षित है जो आतंकियों को तैयार करता है। इस सबके बावजूद इतना तय है कि इस कार्रवाई के बाद पाकिस्तान में आतंकी और उनके आका उस बेफिक्री से नहीं रह पाएंगे जैसे पहले रहते थे।

( लेखक कांउसिल फॉर स्ट्रेटेजिक अफेयर्स से संबद्ध सामरिक विश्लेषक हैं )