[ डॉ. हर्षवर्धन ]: हमारी सबसे बड़ी ताकत है, ‘हमारे लोग’ अर्थात आप सभी भारतवासी। यह सरकार आप लोगों की असीम क्षमताओं के बल पर एक नए भारत का सपना साकार करने के लिए दृढ़प्रतिज्ञ है। इसलिए ‘जन-स्वास्थ्य’ एक राष्ट्रीय प्राथमिकता बन गई है। इसी दिशा में पिछले साल आयुष्मान भारत योजना शुरू की गई। बीते कुछ वर्षों में बढ़ते वैश्विक कद के बावजूद भारत स्वास्थ्य क्षेत्र में कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। बीमारी के कारण बार-बार अस्पताल में भर्ती होने के कारण उत्पादकता को भारी नुकसान पहुंचता है। मौजूदा दौर में बीमारियों का तिगुना बोझ भी एक बड़ी चुनौती है। इसमें पहली चुनौती मलेरिया, डेंगू, क्षय-रोग, एचआइवी-एड्स, हेपेटाइटिस जैसी संक्रामक बीमारियों की है। दूसरी चुनौती कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और कुपोषण की बढ़ती मार से जुड़ी है। तीसरे बोझ में वे बीमारियां शामिल हैं जो बढ़ते शहरीकरण और औद्योगीकरण की वजह से अस्तित्व में आई हैं। इनमें मानसिक रोगों से लेकर तमाम शारीरिक व्याधियां शामिल हैं।

गरीबों के लिए स्वास्थ्य क्रांति का आगाज

प्रधानमंत्री जी का स्वप्न है कि गरीब से गरीब लोगों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं एक अधिकार के रूप में सुलभ होनी चाहिए। इसी परिप्रेक्ष्य में एक साल पहले सरकार ने ‘आयुष्मान भारत योजना’ के साथ 55 करोड़ गरीब नागरिकों के लिए स्वास्थ्य क्रांति का आगाज किया। आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन, सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के अंतिम लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक पथप्रदर्शक मार्ग है। इसका क्रियान्वयन संपूर्ण भारत में दो घटकों के माध्यम से होना है। इसमें एक हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर यानी एचडब्लूसी हैं। देशभर में लगभग 1.5 लाख स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों के चरणबद्ध विकास के माध्यम से प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं देने का लक्ष्य है। दूसरा घटक है प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना यानी पीएम-जय। यह योजना सभी 10.74 करोड़ पात्र परिवारों के लिए प्रत्येक वर्ष पांच लाख रुपये तक की स्वास्थ्य बीमा राशि उपलब्ध कराती है। आयुष्मान भारत कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने के पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सपने को पूरा करने का एक कारगर साधन है।

आयुष्मान भारत एक परिवर्तनकारी पहल

आयुष्मान भारत एक परिवर्तनकारी पहल है जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 के लक्ष्य को पूरा करने की ओर अग्रसर है। इसमें भी विशेष रूप से पीएम-जय का उद्देश्य सरकारी अस्पतालों और सूचीबद्ध निजी सेवा प्रदाताओं के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं तक सभी की पहुंच सुनिश्चित करना, व्यवस्था सुधारना और लागत को कम करना है। यह योजना सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज सिद्धांत के महत्व को समझती है। यह सभी नागरिकों के लिए अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण को सुनिश्चित करने के सतत विकास लक्ष्य को प्राप्त करने का केंद्रीय बिंदु है।

पीएम-जय योजना 32 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लागू

पीएम-जय ने हमारी अपेक्षाओं से बढ़कर प्रगति की है। फिलहाल यह योजना 32 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लागू है जिसमें सहकारी संघवाद के प्रति हमारी प्रतिबद्धता भी प्रत्यक्ष होती है। एक साल के दौरान आयुष्मान भारत के तहत 50 लाख से अधिक लाभार्थियों को 7,500 करोड़ रुपये से अधिक का मुफ्त इलाज मिला है। पीएम-जय के तहत उपयोग में आने वाली कुल राशि का 55 प्रतिशत जटिल बीमारियों वाले कार्डियोलॉजी, विकिरण ऑन्कोलॉजी और आर्थोपेडिक्स विभागों के लिए है। यह खुशी की बात है कि 18,000 से अधिक सूचीबद्ध अस्पतालों में 53 प्रतिशत निजी अस्पताल हैं और वे स्वेच्छा से आयुष्मान भारत का हिस्सा बनने और स्वास्थ्य सेवाओं में सर्वश्रेष्ठ देने के लिए तत्पर हैं।

मुफ्त इलाज का लाभ

लाभार्थियों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को और सुगम बनाने हेतु योजना में पोर्टिबिलिटी के तहत पीएम-जय को लागू करने वाले किसी भी राज्य का एक पात्र लाभार्थी भारत में कहीं भी और किसी भी सूचीबद्ध अस्पताल में मुफ्त इलाज का लाभ उठा सकता है। लगभग 40,000 लाभार्थियों ने अपने प्रदेशों के बाहर अपना उपचार कराया है। यह दुनिया की सबसे बड़ी सरकार प्रायोजित स्वास्थ्य बीमा योजना बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है। इसने विश्व का ध्यान आकर्षित किया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी सराहना भी हो रही है। इस योजना के चलते लोग भारी बिल का बोझ लिए बिना वहां इलाज कहां रहे हैं, जहां उन्हें सही लगता है।

स्वास्थ्य लाभ पैकेजों में व्यापक बदलाव

हमारा यह प्रयास रहा है कि इस योजना में लगातार सुधार होता रहे ताकि इन 55 करोड़ भारतीयों की जरूरतों और अपेक्षाओं को बेहतर ढंग से पूरा कर सकें। इससे जुड़ी योजनाओं को लागू करने वाली नोडल एजेंसी ने मौजूदा स्वास्थ्य लाभ पैकेजों में व्यापक बदलाव लाते हुए एक बड़ा फैसला किया है। इसमें अस्पष्ट पैकेज दरों के स्थान पर स्पष्ट दरों के साथ 230 से अधिक पैकेजों को जोड़ा गया है। साथ ही कार्डियोलॉजी और ऑर्थोपेडिक्स जैसी स्पेशियलिटी में घुटना प्रत्यारोपण और स्टेंट में बेहतर गुणवत्ता वाले प्रत्यारोपण की श्रेणी प्रदान की गई है। इसमें कैंसर देखभाल प्रोटोकॉल को टाटा मेमोरियल अस्पताल के राष्ट्रीय कैंसर ग्रिड के साथ जोड़ा गया है। पैकेज दरों में परिवर्तन से निजी क्षेत्र की व्यापक भागीदारी भी सुनिश्चित हो सकेगी और सेवाओं का दायरा बढ़ेगा।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण

दूसरे वर्ष का मुख्य लक्ष्य अस्पतालों में प्रदान की जाने वाली सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार और इससे संबंधित मान्यता प्राप्ति की एक व्यापक प्रक्रिया को संस्थागत करना रहेगा। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण यानी एनएचए अपने सूचीबद्ध अस्पतालों के लिए प्रमाणीकरण मानकों और डिजिटल गुणवत्ता प्रमाणीकरण जैसी पहल करेगा। इसका आगाज भारतीय गुणवत्ता परिषद द्वारा होगा जिससे सेवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके।

पीएम-जय का नया संस्करण जल्द पेश होगा

सरकार मानती है कि जरूरतमंदों तक सेवा पहुंचाने में तकनीक अहम भूमिका निभाती है। कम समय में शानदार सेवा के लिए हम जल्द ही पीएम-जय का नया संस्करण पेश करेंगे। इससे संचालन, निगरानी बेहतर होने के साथ ही लाभार्थियों के लिए और सहूलियत बढ़ेगी। इसमें ऐसा तंत्र अपनाया जाएगा जिसमें किसी तरह की धोखाधड़ी की कोई गुंजाइश न हो। यह तंत्र विश्लेषण एवं ऑडिट आधारित तरीके अपनाकर किसी भी तरह के भ्रष्टाचार को पहचानने, समझने और उसे रोकने में सक्षम है। यह तंत्र केंद्र से लेकर राज्यों तथा जिलों तक कार्य करता है। भ्रष्टाचार हमें बिल्कुल बर्दाश्त नहीं है। यही वजह है कि गड़बड़ी करने वाले 97 अस्पतालों को न केवल सूची से बाहर कर दिया, बल्कि डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया गया है। इसके अलावा अन्य उपायों से भी पारदर्शिता सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

( लेखक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हैं )