[भूपेंद्र यादव]। अरुण जेटली के निधन की सूचना मन को व्यथित करने वाली है। वह इतनी जल्दी चले जाएंगे, यह विश्वास नहीं होता। उनका मिलनसार स्वाभाव कभी भुलाया नहीं जा सकता। अपने जीवन के अंतिम समय में बीमारी से जूझते हुए उन्होंने कभी इसे महसूस नहीं होने दिया। वह लगातार सक्रिय रहे। उनका कद बहुत बड़ा था, किंतु उनका हृदय उतना ही सरल था।

उत्कृष्ट अधिवक्ता थे अरुण जेटली
वह प्रखर व्यक्तित्व के धनी थे, किंतु सहजता में उनका कोई सानी नहीं था। उनके साथ अनेक अवसरों पर लंबे समय तक काम करते हुए मैंने यह अनुभव किया कि जो भी विषय उनके समक्ष रखा जाता उसे ध्यानपूर्वक समझना और बारीकी से उसे परखना उनकी विशेषता थी। अरुण जेटली एक उत्कृष्ट अधिवक्ता थे, लेकिन उनके तर्कों में केवल कानूनी दृष्टि नहीं, बल्कि मानवीयता और संवेदनशीलता का भाव उभर कर आता था। मानवीयता का दृष्टिकोण उनके जीवन का एक बहुत बड़ा पक्ष रहा। उनका यही दृष्टिकोण उन्हें एक महान व्यक्तित्व बनाता है।

सबसे बड़े छात्र आंदोलन का किया नेतृत्व
अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत दिल्ली छात्र संघ के एक नेता के रूप में करने वाले अरुण जेटली का छात्र-जीवन लोकतंत्र को बचाने के लिए आपातकाल के विरुद्ध नेतृत्व करने वाले छात्र नेता के रूप में भी याद किया जाएगा। लोकतंत्र के बुनियादी मूल्यों में उनका अटूट विश्वास इसी से पता चलता है कि आपातकाल के विरुद्ध उन्होंने देश के सबसे बड़े छात्र आंदोलन का नेतृत्व किया। इस संघर्ष के दौरान वह जेल भी गए और वहीं से उन्होंने वकालत की परीक्षा भी दी। उनके जीवन का यह संघर्षपूर्ण, किंतु महत्वपूर्ण पड़ाव दिखाता है कि वह कैसी अद्भुत मेधाशक्ति से संपन्न व्यक्ति थे।

हमेशा याद किए जाएंगे उनके द्वारा किए गए कार्य
उन्होंने वकालत के दौरान कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अनेक प्रकार के जटिल से जटिल संवैधानिक विषयों को भी वह बहुत बेहतर ढंग से स्पष्टता के साथ प्रस्तुत करते थे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकारों में उन्हें जो दायित्व मिले, उनका उन्होंने सफलतापूर्वक निर्वहन किया। देश में ग्राम न्यायालय का विषय हो, राज्यसभा के मतदान में सुधार हो या फास्ट ट्रैक न्यायालयों की बात हो, वाजपेयी सरकार में विधि मंत्री रहते हुए अरुण जेटली द्वारा किए गए ये कार्य हमेशा याद किए जाएंगे।

GST जैसे बड़े आर्थिक सुधार 
मोदी सरकार में वित्त मंत्री रहते हुए GST जैसे बड़े आर्थिक सुधार और IBC कानून के पीछे अरुण जेटली की दूरदर्शिता थी। मेरे लिए यह अविस्मरणीय है कि इन दोनों ही कार्यों से संबंधित संसद की समितियों का अध्यक्ष बनने का उन्होंने मुझे अवसर दिया। साथ ही, जब भी इनमें किसी प्रकार के कानूनी पक्ष को लेकर कभी कोई समस्या हमारे सामने आई तो वह उसका भी समाधान किया करते थे। संविधान और कानून का गहन अध्ययन रखने वाले अरुण जेटली नए विचारों के प्रति सदैव उदार रहे। 

सर्वश्रेष्ठ सांसद भी रहे अरुण जेटली
यदि उन्हें कोई सुझाव दिया जाता तो उसको भी वह खुले दिल से स्वीकार करते थे। संसद में एक कुशल और सफल सांसद के रूप में उनका लंबा कार्यकाल रहा। वह सर्वश्रेष्ठ सांसद भी रहे। मित्रों के सुख-दु:ख और समस्याओं में काम आना अरुण जेटली के स्वभाव की विशेषता थी। संकट के ऐसे अनेक क्षणों में मैंने उन्हें बहुत करीब से देखा जब वह मित्रों की समस्याओं का समाधान करने के लिए अपने निजी कार्यों की भी चिंता नहीं किया करते थे।

जेटली के कार्यशैली की विशेष खासियत रही
शायद यही कारण था कि उनके संबंध और संपर्क सामान्य नेता से लेकर समाज के विशिष्ट वर्ग तक सबसे समान रूप से थे। राजनीतिक जीवन में भी वह सबसे मिल-जुलकर तथा बेहतर संबंधों के साथ रहने में विश्वास रखते थे। विभिन्न राजनीतिक दलों से संवाद करना और उनके नेताओं से संबंध रखना जेटली की कार्यशैली की विशेष खासियत रही। जेटली की वक्तृत्व क्षमता भी अद्भुत थी। संसद में अनेक विषयों पर उनके दिए भाषण सहेजने योग्य हैं।

संवादप्रिय व्यक्तित्व
विविध विषयों पर ब्लॉग लिखना, सोशल मीडिया के उपयोग से संवाद कायम करना, सामाजिक विषयों की जानकारी देना, जटिल कानूनी विषयों को सरल ढंग से लोगों को समझाना उनके संवादप्रिय व्यक्तित्व को रेखांकित करने वाला पक्ष है। उनके साथ काम करने का जब भी अवसर मिला, कभी भी ऐसा नहीं लगा कि इतनी बड़ी शख्सियत के साथ काम कर रहे हैं। अगर कभी कोई गलती उनकी नजर में आती तो उसे बताने के साथ-साथ सुधारने का अवसर भी देते थे। जब भी कोई बात उन्हें अच्छी लगती थी तो वह प्रोत्साहित करते और कमियों के विषय में सुझाव एवं सलाह भी देते। 

उनके ज्ञान क्षेत्र का विस्तार अनेक बार आश्चर्यचकित कर देता था। उनका व्यापक अध्ययन और विविध विषयों का विश्लेषण इतना गहन था कि उनके साथ चर्चा के दौरान ऐसा लगता मानों वह अभी-अभी एक किताब पढ़कर उठे हों।

मित्रवत और मिलनसार थे अरुण जेटली
इतने वरिष्ठ होने के बावजूद वह इतने मित्रवत और मिलनसार थे कि कभी लगा ही नहीं कि मन में ऐसी कोई बात है जो जेटली जी से नहीं कह सकते। संसद में वह इतने सहज रहा करते थे कि बजट पेश करने के बाद सबको अपने कमरे में बुलाकर हंसी-मजाक करते और खाना खिलाते। उनके सहज व्यवहार से ऐसा लगता ही नहीं था कि वह अभी-अभी बजट पेश करके आए हैं। 

राजनीति के लिए बहुत बड़ी क्षति
उनके निधन से मैंने और मेरे जैसे अनेक लोगों ने विश्वास के साथ आगे बढ़ाने वाला एक ऐसा बड़ा भाई खो दिया जिसने हमेशा सही दिशा दिखाई। अपने राजनीतिक जीवन में वह अनेक दायित्वों का निर्वहन करते हुए आम जनता और प्रबुद्ध वर्ग को मिलाने के सेतु की तरह रहे। उनका निधन भारतीय जनता पार्टी और उसके विचार के साथ- साथ देश की राजनीति के लिए भी एक बहुत बड़ी क्षति है।

 
(लेखक भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं)