[ क्षमा शर्मा ]: अदालतें एक अरसे से इस तरह के फैसले दे रही हैं कि लिव इन के तहत बना संबंध दुष्कर्म नहीं है, लेकिन सरकारें इस तरफ ध्यान नहीं दे रहीं। परिणामस्वरूप लिव इन संबंध टूटने के बाद दुष्कर्म के झूठे आरोपों के मामले सामने आ रहे हैैं। यह तब है जब सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि यदि सहमति से संबंध बने हों और आदमी उन परिस्थितियों के कारण विवाह न कर पाया हो, जिन पर उसका वश नहीं तो उसे दुष्कर्म नहीं माना जा सकता। यह फैसला न्यायालय ने महाराष्ट्र के एक डॉक्टर और नर्स के मामले में दिया। न्यायालय ने यह भी कहा कि सहमति से बने संबंधों को दुष्कर्म की धारा के अंतर्गत अपराध नहीं माना जा सकता। इस मामले में नर्स और डॉक्टर इकट्ठे रहते थे, लेकिन जब नर्स को पता चला कि उसकी शादी किसी और से हो गई है तो उसने दुष्कर्म की शिकायत कर दी।

महिला की सहमति पर बने संबंध को टूटने पर दुष्कर्म का आरोप लगाना गलत

डॉक्टर ने मुंबई हाईकोर्ट से अपील की कि उसके खिलाफ एफआइआर रद की जाए, मगर हाईकोर्ट ने इसे नहीं माना था। तब उसने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई। कोर्ट ने एफआइआर को निरस्त करते हुए कहा कि अदालतों को काफी सावधानी से इन मामलों की जांच करनी चाहिए कि वास्तव में आरोपी ने वासना के वशीभूत होकर महिला से संबंध बनाए या संबंध सहमति के आधार पर बने? यदि दोनों में सहमति से संबंध थे तो संबंध टूटने पर दुष्कर्म का आरोप नहीं लगाया जा सकता।

स्त्री-पुरुष की मर्जी से हुई बच्ची दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता

एक अन्य मामले में महिला पहले जिस पुरुष के साथ रिश्ते में थी उसने किसी और से विवाह कर लिया, लेकिन शादी जल्दी ही टूट गई। महिला फिर से पहले वाले साथी के संपर्क में आई। इस रिश्ते से एक बच्ची भी हुई, लेकिन महिला ने इस आदमी पर दुष्कर्म का आरोप लगा दिया। इस मामले की जांच करते हुए कोर्ट ने कहा कि ये संबंध पूरी तरह से स्त्री-पुरुष की मर्जी से बने थे। इन्हें दुष्कर्म नहीं कहा जा सकता।

शादी न हो पाने पर दुष्कर्म का आरोप नहीं लगाया जा सकता

हाल में अगस्त माह में सुप्रीम कोर्ट ने फिर एक मामले में ऐसा ही फैसला दिया कि किन्हीं कारणों से शादी न हो पाने पर दुष्कर्म का आरोप नहीं लगाया जा सकता। जो जोड़ा वर्षों से साथ रहा हो, एक साथ घूमा-फिरा हो, पुरुष द्वारा शादी में असमर्थता व्यक्त करने पर भी सभी तरह के संबंध बने रहे हों तो ऐसे में इसे दुष्कर्म कहना उचित नहीं है। आज की दुनिया में लिव इन कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है। एक समय तो महाराष्ट्र सरकार लिव इन में रहने वाली लड़कियों के अधिकारों के लिए एक कानून भी बनाना चाहती थी।

लिव इन में रहने के बाद संबंध टूटने पर दुष्कर्म का आरोप लगाना बदले की भावना है

वर्षों तक लिव इन में रहने के बाद जब संबंध टूट जाएं तो दुष्कर्म का आरोप लगाना बदले की भावना को इंगित करता है। हालांकि आज भी इस तरह के संबंधों को समाज में स्वीकृति प्राप्त नहीं है। जैसे ही लड़की या लड़के के घर वालों को इस तरह के संबंधों का पता चलता है तो वे उन्हें खत्म करने का दबाव बनाने लगते हैं। लड़के, लड़कियों की शादी कहीं और तय कर दी जाती है। दरअसल वक्त के साथ हमारी सोच भी बदली है। आज बड़ी संख्या में लड़के, लड़कियां घर से बाहर काम करने निकली हैं। इनमें से कई घर से बाहर कोई सहारा भी ढूंढ लेते हैं। असली मुश्किल फिर यहीं दिखाई देती है। एक तरफ हमें हर तरह की यौन आजादी चाहिए, रिश्ता चाहिए, मगर किसी तरह की जिम्मेदारी नहीं चाहिए। यदि यौन आजादी चाहिए तो रिश्ते के खत्म हो जाने पर दुष्कर्म का आरोप क्यों लगाना चाहिए? आपसी सहमति का तो अर्थ भी यही है कि किसी रिश्ते को दूसरे पर लादा नहीं गया।

सहमति से संबंध और अपराध में फर्क होता है

सहमति से संबंध और अपराध में फर्क होता है। दुष्कर्म अपराध है, सहमति नहीं। फिर यदि आप इस तरह के तमाम मामलों को देखें तो दो ही तरह के आरोप लगाए जाते हैं-एक आरोपी ने शादी का झांसा देकर ऐसा किया। और दूसरा यह कि आरोपी ने बुलाया, पेय में कुछ मिलाया, जब लड़की या महिला बेहोश हो गई तो ऐसा किया गया। आखिर सौ में से सौ बार ऐसा कैसे होता है कि अच्छी पढ़ी-लिखी, समझदार महिलाएं किसी के झांसे में आ जाती हैं या कि कोई धोखे से उन्हें नशीला पेय पिला देता है। पुलिस की मानें तो अक्सर ऐसे आरोप झूठे होते हैं और सोच-समझकर लगाए जाते हैं। इस तरह के आरोपों और दुष्कर्म जैसे अपराध में कोई समानता नहीं।

लिव इन संबंध टूट जाने के बाद किसी को अपराधी ठहराने की कोशिश एक साजिश है

दुष्कर्म स्त्री के प्रति जोर-जबर्दस्ती किया गया बेहद गंभीर अपराध है, जबकि लिव इन संबंध टूट जाने के बाद प्रतिक्रिया में किसी को अपराधी ठहराने की कोशिश एक साजिश है। यह उन स्त्रियों का अपमान भी है जो बड़ी संख्या में इस तरह के अपराधों को झेलती हैं और बहुत बार साधनहीन होने के कारण पुलिस और कानून के दरवाजे तक नहीं पहुंच पातीं। लिव इन मामलों में अक्सर जब संबंध टूट जाते हैं तो निराश महिलाएं दुष्कर्म के आरोप लगा देती हैं। यह सिलसिला बंद होना चाहिए। कायदे से तो कानून में बदलाव होना चाहिए।

( लेखिका साहित्यकार हैैं )