हरदीप सिंह पुरी। पिछले स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संकल्प लिया कि वर्ष 2047 में जब देश स्वतंत्रता के सौ वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहा होगा तब तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है। दस वर्ष पहले तक यह दावा असंभव लगता। वर्ष 2013 में भारतीय अर्थव्यवस्था को ‘फ्रैजाइल फाइव’ करार देकर नाजुक अर्थव्यवस्थाओं में गिना जाने लगा। उसके उलट भारत अभी विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और जल्द ही तीसरी सबसे बड़ी आर्थिकी बनने की राह पर है। यह कैसे संभव हुआ?

पिछले दस वर्षों में मोदी सरकार ने विश्व का सबसे बड़ा सामाजिक कल्याण कार्यक्रम लागू किया है, जिसका उद्देश्य लोगों के जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने और देश की उत्पादक क्षमता में सुधार लाना है। सरकार का दृष्टिकोण उसकी ‘परिपूर्णता की राजनीति’ में निहित है, जिसमें बुनियादी ढांचा, खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सामर्थ्य, हरित अर्थव्यवस्था, डिजिटल कनेक्टिविटी और वित्तीय समावेशन पर जोर है। योजना बनाना एक बात है और उसे धरातल पर उतारना दूसरी बात। मोदी सरकार इन दोनों ही मोर्चों पर खरी उतरी है। परिणामस्वरूप पिछले दस वर्षों में 25 करोड़ लोग गरीबी के दायरे से बाहर निकले हैं। ‘मोदी की गारंटी’ आम नागरिकों की उम्मीदों और आकांक्षाओं के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है।

इस सफलता में हमारे समाज के चार स्तंभों गरीब, युवा, अन्नदाता और महिलाओं का सशक्तीकरण महत्वपूर्ण रहा है। एक समय गरीबी के चलते पहचाना जाने वाला भारत अब समृद्धि की राह पर है। गरीबों की भलाई के लिए कोविड महामारी के समय मोदी सरकार ने 80 करोड़ भारतीयों को मुफ्त राशन देने की जो पहल की थी वह अगले पांच वर्षों तक जारी रहेगी। शहरी क्षेत्रों में पीएम स्वनिधि योजना ने उन स्ट्रीट वेंडरों को राहत प्रदान की, जिनके सामने एकाएक रोजगार की चुनौतियां आ गई थीं। इस योजना में अब तक 63 लाख से अधिक लाभार्थियों को 11,300 करोड़ रुपये का ऋण प्रदान किया है। साथ ही इसने शहरी गरीबों को डिजिटल रूप से साक्षर होने में भी सक्षम बनाया है।

पीएम किसान और पीएम फसल बीमा जैसी योजनाओं से आज 11 करोड़ से अधिक किसान लाभान्वित हो रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में लैंगिक समानता को प्रमुखता दी जा रही है। लंबे समय से प्रतीक्षित नारी शक्ति वंदन अधिनियम का पारित होना महिला सशक्तीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। स्वच्छ भारत अभियान के तहत 11 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण किया गया और जल जीवन मिशन एवं अमृत मिशन के तहत लगभग 14 करोड़ नल-जल कनेक्शन दिए गए।

एक दशक पहले तक नल से जल की पहुंच केवल 17 प्रतिशत परिवारों तक थी जो आंकड़ा बढ़कर अब 70 प्रतिशत तक हो गया है। पीएम आवास योजना के तहत लगभग चार करोड़ आवास निर्मित किए गए हैं। मोदी सरकार ने तीसरे कार्यकाल में तीन करोड़ और नए घर बनाने का वादा किया है। उज्ज्वला योजना के तहत 10 करोड़ से अधिक एलपीजी कनेक्शन मंजूर किए जा चुके हैं, जिससे धुआं-रहित रसोई की सुविधा लगभग सभी तक पहुंच चुकी है, जो 2014 तक केवल 55.9 प्रतिशत परिवारों तक सीमित थी। महिलाएं इन योजनाओं की सबसे बड़ी लाभार्थी बनकर उभरी हैं, जिसने उनके जीवन को गरिमापूर्ण तरीके से सुगमता प्रदान की है।

वहीं, आयुष्मान भारत जैसी योजना के माध्यम से स्वास्थ्य पर खर्च करीब 25 प्रतिशत कम हो गया है। निम्न-मध्यम वर्गीय भारतीयों को बीमारी के चलते गरीबी का दोहरा झटका झेलना पड़ता था, लेकिन इस योजना के जरिये प्रति वर्ष 55 करोड़ से अधिक व्यक्तियों को पांच लाख रुपये तक की मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाती हैं। इससे भारतीय परिवारों को सालाना लगभग 60,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है।

सामाजिक कल्याण योजनाओं के साथ-साथ बुनियादी ढांचे पर भी जोर दिया गया है। 2013-14 की तुलना में पूंजीगत व्यय में लगभग तीन गुना वृद्धि हुई है, जो 3.92 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 11.1 लाख करोड़ रुपये हो गया है। राजमार्गों की लंबाई 60 प्रतिशत बढ़ गई है। समूचे ग्रामीण इलाकों में करीब-करीब पक्की सड़कें बन गई हैं। सभी गांवों तक बिजली पहुंच गई है। हवाई अड्डों की संख्या दोगुनी हो गई है। मेट्रो रेल नेटवर्क लगभग चौगुना हो गया है। विश्व बैंक रैंकिंग के अनुसार हमारे लाजिस्टिक और औद्योगिक परिचालन में काफी सुधार हुआ है।

देश में 390 नए विश्वविद्यालय स्थापित किए गए हैं। सात नए आइआइएम और आइआइटी की स्थापना की गई है। एम्स की संख्या में तिगुनी वृद्धि हुई है। 51 करोड़ से अधिक जनधन खाते खोले गए हैं। जनधन, आधार और मोबाइल यानी जैम के जरिये 33.43 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम सीधे लाभार्थियों के खातों में भेजी गई है। जीएसटी, आइबीसी, परिसंपत्ति मौद्रीकरण, श्रम कानून सुधार, स्टार्टअप इंडिया और पीएलआइ जैसी आर्थिक नीतियां अर्थव्यवस्था का कायाकल्प करने वाली सिद्ध हुई हैं। प्रति व्यक्ति आय भी छह गुना बढ़कर 15,000 डालर तक पहुंचने की संभावना है। वैश्विक निवेशक भी इस आशावाद को साझा करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप भारत को रिकार्डतोड़ एफडीआइ प्राप्त हो रहा है। घरेलू शासन के साथ-साथ वैश्विक शासन के मामलों पर भी प्रधानमंत्री मोदी के राजनीतिक कौशल और दूरदर्शिता को सार्वभौमिक प्रशंसा मिली है।

मोदी सरकार की उपलब्धियां यही सिद्ध करती हैं कि सामाजिक न्याय को चरितार्थ करने वाली सर्वसमावेशी नीति ही विकसित भारत के सपने को साकार करने में सक्षम है। हमें विकास के लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए देशहित में सक्रिय रहना होगा। ‘राष्ट्र प्रथम’ हमारे लिए सर्वोच्च मंत्र है।

(लेखक केंद्रीय पेट्रोलियम एवं शहरी कार्य मंत्री हैं)