महात्मा गांधी ने 1942 में जब ‘अंग्रेजो भारत छोड़ो’ आंदोलन की शुरुआत की थी, उसी वक्त झांसी की ऐतिहासिक भूमि से पूर्णचंद्र गुप्त जी ने राष्ट्रीयता बोध और भारतीय चेतना को मजबूती देने के लिए नवंबर 1942 में जागरण का शुभारंभ किया। झांसी की भूमि पर राष्ट्रीय पत्रकारिता को मजबूती देने के लिए जो समाचार पत्र शुरू किया गया, आज वह एक विशाल मीडिया समूह केरूप में पूरे भारत में न सिर्फ अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहा है, बल्कि लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ता चला जा रहाहै।

आज दैनिक जागरण के 200 से अधिक संस्करण हैं। दैनिक जागरण के पाठकों की संख्या सात करोड़ से ज्यादा हैं। भारतीय रीडरशिप सर्वे-2003 में दैनिक जागरण पहली बार देश का सबसे अधिक पढ़ा जानेवाला हिंदी का अखबार बना। तब से लेकर अब तक यानी बीते 15 वर्षों से लगातार दैनिक जागरण पाठकों की पसंद के पहले पायदान पर मजबूती के साथ डटा हुआ है। दैनिक जागरण में प्रकाशित होनेवाली सामग्री से पाठकों की जीवन शैली और सोच में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश की जाती है। हमारी कोशिश यही होती है कि दैनिक जागरण की समाचार-विचार सामग्री पाठकों को सकारात्मक सोच से लैस करने के साथ जानकारीपरक, समाधानपरक, मानवीय संवेदनायुक्त, दिशा देने वाली और राष्ट्र के प्रति निष्ठा को बढ़ाने वाली हो।

जब भारत में तकनीक का जोर बढ़ने लगा तो भविष्य को भांपते हुए 1998 में ‘जागरण डॉट कॉम’ की शुरुआत हुई। आज ‘जागरण डॉट कॉम’ के छह करोड़ यूनिक विजिटर हैं और इसकी व्याप्ति विश्वव्यापी है। उदारीकरण के दौर में जब लंबे समय तक चले मंथन के बाद मीडिया में विदेशी निवेश को श्री नरेन्द्र मोहन जी के अथक प्रयास से

अनुमति मिली तो 2005 में जागरण प्रकाशन ने वैश्विक मीडिया कंपनी ‘इंडिपेंडेंट न्यूज एंड मीडिया’ के साथ रणनीतिक साझेदारी की। ग्लोबल ब्रांड के साथ साझेदारी के बाद जागरण समूह में संस्थागत और निजी निवेशकों का भरोसा बढ़ा। इसी भरोसे के आधार पर 2006 में जागरण प्रकाशन लिमिडेट पूंजी जुटाने के लिए शेयर बाजार

पहुंची और वहां सूचीबद्ध हुई। 2006 में बीबीसी और रॉयटर्स ने अपने एक सर्वे में दैनिक जागरण को देश का सर्वाधिक साख वाला समाचार पत्र करार दिया।

जागरण प्रकाशन लिमिटेड ने कई महत्वपूर्ण अधिग्रहण भी किए। 2010 में ‘मिड डे’ अंग्रेजी और गुजराती के साथ उर्दू के सबसे बड़े अखबार ‘इंकिलाब’ का, 2012 में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के महत्वपूर्ण समाचार पत्र ‘नईदुनिया’ और ‘नवदुनिया’ का। 2015 में ‘रेडियो सिटी’ जागरण समूह का हिस्सा बना। इसके बाद रेडियो

सिटी के श्रोताओं में भी इजाफा हुआ और आज इसके साढे छह करोड़ से अधिक श्रोता हैं। अगर हम ‘दैनिक जागरण’ के पाठकों और समूह के अन्य उपक्रमों के पाठकों और श्रोताओं की संख्या को जोड़ दें तो आंकड़ा 21 करोड़ से अधिक पहुंचता है। जागरण समूह की इतनी व्यापक पहुंच के बाद हमारी जिम्मेदारी और जवाबदेही, दोनों बढ़ जाती है-अपने पाठकों के प्रति भी और समाज और देश के प्रति भी।

दैनिक जागरण के संस्थापक स्व. पूर्णचंद्र गुप्त जी और तत्कालीन प्रधान संपादक (स्व.) नरेन्द्र मोहन जी ने राष्ट्रीय चेतना को मजबूत करने का जो अभियान शुरू किया था वह आज भी हमारी संपादकीय रीति-नीति का मूल आधार है।