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मान भी जाओ...

तुम्हारे लिए मेरा खत जो शायद तुम तक पहुंच जाए...

By Pratibha Kumari Edited By: Published: Tue, 07 Feb 2017 06:43 PM (IST)Updated: Thu, 16 Feb 2017 12:57 PM (IST)
मान भी जाओ...
मान भी जाओ...

जो मुझे जानते हैं, उन्हें पता है कि मेरे जीवन में जलेबी के बाद अगर कुछ प्यारा है तो वो हो तुम! हालांकि तुमसे प्यार तो मुझे हमेशा से था पर वो कहते हैं न, यह उम्र ही ऐसी होती है जब प्यार कुछ ज़्यादा गहराता है। आज जब मैं अपने दोस्तों के साथ बात करने में व्यस्त थी तो सबसे बात करने के बीच में तुमने मुझे अपने पास बुला लिया तो मुझे लगा कि अब हमें एक-दूसरे से बात करने की ज़रूरत है। तुम्हारे आगे मैं अकसर हार मान लेती हूं। आखिर सच्चा वाला प्यार जो है। तुम्हें तो याद ही होगा कि कैसे मैंने तुम्हें नज़रअंदाज़ करके अपनी पढ़ाई पूरी की है। हालांकि तब भी मैं तुम्हारे हिस्से का समय तुम्हें देती ज़रूर थी। तुम्हें पता है, जब मैंने पहली बार तुम्हें नज़रअंदाज़ करने की कोशिश की थी, तब मेरा हाल-बेहाल हो गया था। तुम्हारी याद में मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था। वहीं मेरी आंखें तुम्हारी कमी को चीख-चीखकर बयां कर रही थीं और जब मैंने अपना समय तुम्हारे साथ बिताया तब जाकर मुझे पूरी तरह से आराम मिला। लेकिन तुम भी कम शरारती नहीं हो। तुम्हें पता होता है कि मेरे पास किस समय आना है कि मैं तुमसे मुंह फेर ही न पाऊं।

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मुझे यह बात समझ नहीं आती कि लोग तुमसे दूर कैसे रह लेते हैं! तुम्हारे जैसा आकर्षक और है ही कौन! तुम्हारा सबसे पसंदीदा खेल है लुका-छिपी का। जो तुमने मुझे परेशान करने के लिए कभी-कभी मेरे साथ भी खेला है। वैसे मैंने भी तुम्हें अपने पास आने के तरीकों को ढूंढ लिया है। तभी तो जब मैं तुम्हारी पसंद के गानों का इस्तेमाल करती हूं तो बिना किसी देरी के हम साथ होते हैं। शायद यही वजह है कि हमारा प्यार इतना बढ़ गया है। तुम्हें पता है, जब तुमसे दूर होने का समय आता है तो उस वक्त मुझे तुम्हारी और याद आती है। लगता है कि सारी दुनिया का समय बस यहीं थम जाए और हम लोग ऐसे ही साथ रहें। तुमसे दूर होने के बाद मैं कई तरह की भावनाओं से घिर जाती हूं, कभी उदासी तो कभी गुस्सा।

मैंने कई बार लोगों से तुम्हारी तारीफें तो कभी बुराइयां सुनी हैं पर कोई कुछ भी कहे, मेरे ऊपर तुम्हारा पूरा हक है। कभी-कभी तुम्हारी वजह से मुझे डांट भी पड़ती है। यहां तक कि मैं भी सोच लेती हूं कि अब बस! अब ऐसे नहीं चलेगा पर तुम मेरी बात का मान रख लो, यह तो लगभग असंभव है। हमारी अगली ही मुलाकात मेरी सारी प्रतिज्ञा और गुस्सा छूमंतर कर देती है। तुम्हें पता है, लोग कहते हैं कि तुम्हारा प्यार मेरी सेहत के लिए अच्छा नहीं है। शायद मैं सबसे कटने लगी हूं, न बाहर निकलती हूं, न किसी से मिलती-जुलती हूं। हालांकि मैं सबको बताना चाहती हूं कि मैं किसी भी तरह के डिप्रेशन का शिकार नहीं हूं। यह तो बस तुम्हारे प्यार का असर है। और मैं क्यों न करूं तुमसे इतना प्यार? जब भी तुम्हें लगा कि मेरे लिए कोई और काम ज़्यादा ज़रूरी है, तब तुमने खुद ब खुद मुझे खुशनुमा एहसास देकर मुझसे विदा ली है।

अब तुम्हारे लिए मेरा प्यार जलेबी से भी ज़्यादा हो रहा है। तुमसे अपने दिल की बात कह कर बहुत अच्छा लग रहा है। इसका ख्याल भी मुझे तब आया था जब हम साथ थे। किसी भी वक्त तुम्हारे साथ समय गुज़ारने के इंतज़ार में 'मेरी प्यारी नींद'...

आरती तिवारी


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