कम आउट ऑफ शेल टु शाइन - ऐश्वर्या सुष्मिता
डेस्टिनी.. मानो तो सब कुछ है, न मानो तो कुछ भी नहीं। $िकस्मत में जो लिखा होता है, उसकी तर$फ $कदम ख़्ाुद-ब-ख़्ाुद बढऩे लगते हैं। ऐश्वर्या सुष्मिता एक ऐसी ही यंग सुपरमॉडल हैं जिन्होंने अपनी मेहनत और
डेस्टिनी.. मानो तो सब कुछ है, न मानो तो कुछ भी नहीं। $िकस्मत में जो लिखा होता है, उसकी तर$फ $कदम ख़्ाुद-ब-ख़्ाुद बढऩे लगते हैं। ऐश्वर्या सुष्मिता एक ऐसी ही यंग सुपरमॉडल हैं जिन्होंने अपनी मेहनत और $िकस्मत के दम पर सबके सामने एक मिसाल $कायम की है। पेश हैं उनसे हुई ख़्ाास मुला$कात के कुछ अंश।
कहा जाता है कि किसी की भी लाइफ में नाम की बहुत इंम्पॉर्टेंस होती है। आप ऐसा मानती हैं?
जब भी कोई मेरा नाम सुनता है तो बिलकुल सरप्राइज़ हो जाता है। 1994 में ऐश्वर्या राय को मिस वल्र्ड और सुष्मिता सेन को मिस यूनिवर्स का टाइटल मिला था। मेरे पेरेंट्स उन दोनों से ही का$फी इंस्पायर्ड थे। मेरे लिए उन दोनों में से किसी एक का नाम चूज़ नहीं कर पा रहे थे। इसलिए, दोनों का ही नाम मिलाकर मेरा नामकरण कर दिया गया।
अपनी स्कूलिंग और कॉलेज लाइफ के बारे में कुछ बताइए। मॉडलिंग का ख़्ायाल मन में कब आया था?
बिलकुल भी नहीं। इस फील्ड में तो मैं अचानक से आ गई हूं। मेरी स्कूलिंग बिहार और जयपुर में हुई थी। मैं सिविल सर्विसेज़ में जाना चाहती थी, इसलिए दिल्ली यूनिवर्सिटी से $िफलॉस$फी में बैचलर्स किया और अब उसी में मास्टर्स भी कर रही हूं। अकसर लोग मॉडलिंग में करियर बनाने के लिए कहते ज़रूर थे, पर मैं पढ़ाई में ही ज्य़ादा इंट्रेस्टेड थी।
दैट्स इंट्रेस्टिंग... फिर मॉडलिंग में कैसे आना हुआ?
इस इंडस्ट्री को बहुत अच्छा नहीं माना जाता है, इसलिए मैं हमेशा ही इसके अगेंस्ट थी। सबके कहने पर मैंने कैंपस प्रिंसेस के थ्रू मिस इंडिया कॉन्टेस्ट में पार्टिसिपेट किया था और दिल्ली से सिलेक्ट भी हो गई थी। मुंबई में 1 ह$फ्ते की ट्रेनिंग के बाद मैंने टॉप 6 मॉडल्स में अपनी जगह बना ली थी। उसके बाद मेरे पापा और सिस्टर्स ने मॉडलिंग में $िकस्मत आज़माने की सलाह दी।
आमतौर पर फेमिली का सपोर्ट मुश्किल से मिलता है, पर आपके लक ने तो का$फी साथ दिया। उस कॉन्टेस्ट के बाद...?ï
मैं पिछले 5-6 महीने से एक प्रोफेशनल मॉडल के तौर पर वर्क कर रही हूं। मैंने कई रैंप शोज़ और प्रिंट ऐड्स भी किए हैं। मैं किंगफिशर सुपरमॉडल्स के सिक्स्थ सीज़न के लिए जब ऑडिशन देने गई थी, तब सिलेक्शन की कोई उम्मीद नहीं थी। कुछ दिनों बाद एनडीटीवी गुडटाइम्स से कॉल आने पर पता चला कि मुझे शॉर्टलिस्ट कर लिया गया है। किंगफिशर सुपरमॉडल्स का ख़्िाताब जीतने के बाद किंगफिशर कैलेंडर के लिए मेरा $फोटोशूट हुआ था। इन सबके बीच में मेरी फेमिली मेरा सबसे बड़ा सपोर्ट सिस्टम बन कर मेरे साथ रही।
अपने हेक्टिक वर्कप्लैन और डाइट को कैसे फॉलो करती हैं?
मैं नेशनल लेवल बैडमिंटन प्लेयर हूं। वैसे तो डाइट और वर्कआउट पर हमेशा से ही कंट्रोल रखती थी, अब थोड़ा ज़्यादा ध्यान देने लगी हूं। मैं दिन भर में ख़्ाूब सारा पानी पीने के साथ ही दो बार ग्रीन टी भी लेती हूं। लगभग आधे घंटे वर्कआउट करने के अलावा कार्डियो, रनिंग और योगा भी ज़रूर करती हूं। अब यह मेरी ड्यूटी बन गई है कि बिलकुल फिट एंड हेल्दी रहूं।
यूथ के लिए क्या मेसेज देना चाहेंगी?
सफलता हासिल करने के लिए मेहनत करना बहुत ज़रूरी होता है। उससे कभी भी न घबराएं, न ही पीछे हटें। जो भी करें, उसके लिए फेमिली को अपने सपोर्ट में ज़रूर रखें। आप जिस भी फील्ड में हों, उसमें हमेशा बोल्ड बनकर रहें।
दीपाली पोरवाल