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मेडिकल सेल्स में स्मार्ट सर्विस

मेडिकल साइंस ने जो उपलब्धियां हासिल की हैं, उसमें मेडिसिन की बड़ी भूमिका है। हालांकि इसका एक पहलू ऐसा भी है, जिस पर हर समय नजर रखना जरूरी होता है। दवाओं के विपरीत प्रभावों को पहचानना, नुकसान की मात्रा का आकलन करना और उसे कम करना अपने आपमें काफी महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञता वाले इस काम को ही फार्माकोविजिलेंस के

By Edited By: Published: Wed, 05 Mar 2014 12:35 PM (IST)Updated: Wed, 05 Mar 2014 12:41 PM (IST)
मेडिकल सेल्स में स्मार्ट सर्विस

मेडिकल साइंस ने जो उपलब्धियां हासिल की हैं, उसमें मेडिसिन की बड़ी भूमिका है। हालांकि इसका एक पहलू ऐसा भी है, जिस पर हर समय नजर रखना जरूरी होता है। दवाओं के विपरीत प्रभावों को पहचानना, नुकसान की मात्रा का आकलन करना और उसे कम करना अपने आपमें काफी महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञता वाले इस काम को ही फार्माकोविजिलेंस के नाम से जाना जाता है। मेडिसिन के रिसर्च पर निगरानी रखने वाली नियामक एजेंसियां कानूनों को और सख्त बना रही हैं। इससे रिसर्च के स्तर पर ही यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि मेडिसिन के विपरीत प्रभाव की कोई गुंजाइश न रहे।

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नेचर ऑफ वर्क

फार्माकोविजिलेंस एक तरह से मेडिसिन के अच्छे-बुरे प्रभावों पर निगरानी रखने का काम है। आज तमाम फार्मास्युटिकल कंपनियां बहुत सारी दवाओं को क्लिनिकल ट्रायल के बाद बाजार में उतारती हैं। हालांकि कभी-कभी सभी मेडिसिन पूरी तरह से खरी नहीं उतरतीं और उनका नुकसानदेह पहलू बना रहता है। मेडिसिन के मार्केट में आने के बाद पेशेंट द्वारा उन्हें यूज करने के बाद जो साइड इफेक्ट्स होते हैं, उन पर निगरानी रखना, फार्मास्युटिकल कंपनीज और नियामक एजेंसियों को उन इफेक्ट्स के बारे में जानकारी देना इनका मुख्य काम है ताकि उन दवाओं को और बेहतर बनाया जा सके। जिन दवाओं का ज्यादा गलत असर होता है, उन्हें फार्माकोविजिलेंस प्रोफेशनल्स की सलाह पर मार्केट से हटा लिया जाता है।

कोर्स/योग्यता

इस फील्ड में सर्टिफिकेट और डिप्लोमा दोनों तरह के कोर्स कर सकते हैं। फार्माकोविजिलेंस और फार्माकोइपिडेमियोलॉजी में सर्टिफिकेट कोर्स चार महीने का होता है। पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा एक साल का होता है। इस तरह का कोर्स इंस्टीट्यूट ऑफ क्लिनिकल रिसर्च, इंडिया ऑफर कर रहा है। इस कोर्स में वही स्टूडेंट्स एडमिशन ले सकते हैं, जिन्होंने ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन बॉटनी, जूलोजी, बायोकेमिस्ट्री, माइक्रोबायोलॉजी, जेनेटिक्स, बायोटेक से किया हो। ग्रेजुएशन या फिर पोस्ट ग्रेजुएशन में मिनिमम 50 परसेंट मा‌र्क्स होने चाहिए। केमिस्ट्री, फार्मेसी और मेडिसिन से ग्रेजुएट या पोस्ट ग्रेजुएट करने वाले भी यह कोर्स कर सकते हैं।

नेचर ऑफ स्टडी

फार्माकोविजिलेंस के तहत बेसिक प्रिंसिपल ऑफ फार्माकोविजिलेंस रेगुलेशन इन फार्माकोविजिलेंस, फार्माकोविजिलेंस इन क्लिनिकल रिसर्च, ड्रग रिएक्शन, मैनेजमेंट ऑफ फार्माकोविजिलेंस, डाटा रिस्क मैनेजमेंट इन फार्माकोविजिलेंस, फार्माकोइपिडेमियोलॉजी आदि सब्जेक्ट पढ़ाए जाते हैं।

करियर स्कोप

फार्माकोविजिलेंस से संबंधित कोर्स करने के बाद फार्मास्युटिकल, बायोटेक कंपनियों, केपीओ, नियामक एजेंसियों, मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल्स की फार्माकोविजिलेंस यूनिट्स में जॉब मिल सकता है।

सेलरी पैकेज

फ्रेशर्स को 15-20 हजार रुपये मंथली सेलरी मिलती है। कुछ वर्षो के एक्सपीरिएंस के बाद 30 से 40हजार रुपये मिल सकते है।

(अरविंद कुमार मिश्रा)


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