जहां जिंदगी रोज एक जशन है
आर के नारायण के बेहद लोकप्रिय उपन्यास 'द गाइड' के नायक राजू और नायिका रोजी के किस्से भले ही काल्पनिक हों, लेकिन बतौर गाइड आज भी ऐसे किस्से देश के कई पर्यटक स्थलों पर पनपते हुए महसूस किए जा सकते हैं। भारत की विविधता और यहां की ऐतिहासिक विरासत की महत्ता को समझते हुए सरकार और गैर सरकारी संस्थाएं आज पर्यटन क
आर के नारायण के बेहद लोकप्रिय उपन्यास 'द गाइड' के नायक राजू और नायिका रोजी के किस्से भले ही काल्पनिक हों, लेकिन बतौर गाइड आज भी ऐसे किस्से देश के कई पर्यटक स्थलों पर पनपते हुए महसूस किए जा सकते हैं। भारत की विविधता और यहां की ऐतिहासिक विरासत की महत्ता को समझते हुए सरकार और गैर सरकारी संस्थाएं आज पर्यटन के क्षेत्र में कई तरह के रो़जगार उपलब्ध करवा रही हैं। भारत में आर्थिक उदारीकरण के बाद से पर्यटन क्षेत्र तीन गुनी रफ्तार से बढ़ा है। आज यह क्षेत्र देश की जीडीपी में करीब सात फीसद का योगदान कर रहा है। एक अनुमान के मुताबिक वर्तमान में देश का पर्यटन क्षेत्र करीब चार करोड़ युवाओं को रो़जगार दे रहा है और इनमें बड़ा हिस्सा गाइड के तौर पर रोजगार हासिल करने वाले युवाओं का है।
सुरक्षित फैसला
टूरिस्ट गाइड का करियर उन चुनिंदा विकल्पों में से है, जिसमें आय की कोई सीमा नहीं। तरह-तरह की पेंशन, स्कीम्स व सामाजिक सुरक्षा का एहसास कराने वाली कई योजनाएं युवाओं को उनकी शर्तो पर जीने का जोखिम उठाने की भी वजह दे रही हैं। भारत में इस क्षेत्र में रोजगार की कमी न होने की कई ठोस वजहें हैं। मसलन विदेशी पर्यटकों की पसंदीदा जगहों में से भारत का स्थान अड़तीसवां है। वहीं भारत के अलग-अलग राज्यों में मद्रास का विश्व पर्यटन क्षेत्रों में इकतालीसवां स्थान है। भारत में तेजी से चमकते हुए हवाई अड्डों और पांचसितारा होटलों की लंबी होती श्रृंखला से साफ है कि आने वाले समय में विदेशी पर्यटकों की संख्यां में गुणात्मक वृद्धि होगी। घरेलू पर्यटकों से भी पर्यटन क्षेत्र को मोटा मुनाफा होना है। ऐसे में कम मेहनत व अधिक सूझबूझ के साथ बेहतर संवाद शैली का प्रदर्शन करके न केवल करियर संवारा जा सकता है, तनावपूर्ण जीवन का भी म़जा लिया जा सकता है।
खुद को परखें
इस पेशे की कुछ बुनियादी मांगें हैं। संवाद शैली और व्यवहारकुशलता किसी गाइड की न्यूनतम जरूरत हैै। इसके अलावा बॉडी लैंग्वेज की भी बारीक समझ है तो आपको इस क्षेत्र का धुरंधर बनने से कोई नहीं रोक सकता। आपके अंदर सामाजिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक चीजों के प्रति एक लगाव होना चाहिए। इन चीजों को आपस में जोड़ने और एक कहानी की शक्ल देने की भी बुनियादी समझ होनी चाहिए। इसके अलावा हर दर्जे के होटल, ट्रैवल एजेंसी व घूमने-फिरने की जगह की समुचित जानकारी भी ़जरूरी है। उस जगह की भौगोलिक जानकारी होना अनिवार्य है।
कोर्स और डिग्री
इग्नू सहित देश के कई विश्वविद्यालय टूरिस्ट गाइड के लिए प्रशिक्षण कोर्सेज चलाते हैं। यह कोर्सेज शार्ट टर्म व लॉन्ग टर्म दोनों में उपलब्ध हैं। इन संस्थानों में बड़ा नाम इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रैवल एंड टूरिज्म (आइआइटीएम) का है। इसके अलावा राज्य व केंद्र सरकारों के पर्यटन विभाग भी प्रशिक्षण कोर्सेज का कराते हैं। साथ ही, इस क्षेत्र के लिए फेलोशिप भी दी जाती है। बतौर प्राइवेट गाइड काम शुरू करने से पहले आपको सरकार के समक्ष ख़ुद को पंजीकृत करवाना पड़ता है।
अवसर की सीमा नहीं
अगर आपने दृढ निश्चय व उमंग के साथ इस क्षेत्र में कदम रखा है तो आपके पास अवसरों की कोई कमी नहीं रहेगी। बस यूं समझ लें कि स्थानीय पर्यटन उद्योग, राष्ट्रीय पर्यटन उद्योग, होटल इंडस्ट्री, टैवल एजेंसी, एविएशन, कार्गो ऑपरेशन, हॉस्पिटैलिटी आदि क्षेत्र आपका इंतजार कर रहे हैं। आपका अनुभव भी कई नए रास्ते खोल सकता है।
कितनी होगी सैलरी
शुरुआत में 8 से 10 हजार रुपये तक की सैलरी की उम्मीद कर सकते हैं, लेकिन अनुभव के साथ आय की कोई सीमा नहीं है। एक और बात जो कि इस प्रोफेशन को सहज और सुलभ बनाती है वह है आपके लिए कई विकल्पों का खुला होना। आप बतौर टूरिस्ट गाइड काम करते हुए बचे समय में इससे जुड़े दूसरे काम करके भी ज्यादा से ज्यादा कमाई कर सकते हैं।
कहां से लें प्रशिक्षण
-अल-आमीन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडी़ज, बैंगलोर।
-अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा, मध्यप्रदेश।
-बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, स्कूल ऑफ टूरिज्म एंड हॉटल मैनेजमेंट, कानपुर रोड, झांसी।
-सेंटर फॉर टूरिज्म एंड ट्रैवल मैनेजमेंट स्टडीज, जीवाजी यूनिवर्सिटी, ग्वालियर।
-सेंटर फॉर टूरिज्म स्टडीज, पांडिचेरी विश्वविद्यालय।
-दयानंद सागर इंस्टीट्यूट, बेंगलूर।
-बिजनेस मैनेजमेंट विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय।