रीडिंग मेक्स अस परफेक्ट
अगर मन में कुछ करने का जज़्बा हो तो टाइम और रिसोर्सेज़ भी खुद मिल जाते हैं।पढ़ें 'द फॉरबिडेन लाइन'के ऑथर मयंक कश्यप से एक बातचीत।
लविंग एंड सपोर्टिव फैमिली
मैं बहुत लकी हूं कि मेरी फैमिली ने हमेशा मेरा सपोर्ट किया है। मेरी तीन बहनें हैं। बड़ी बहनें कभी मेरी मां तो कभी दोस्त बन जाती हैं और छोटी बहन हर बदमाशी में मेरे साथ रहती है। आज मैं जो कुछ भी हूं, अपनी फैमिली की वजह से ही बन पाया हूं। मेरा पढऩे में ज़्यादा इंट्रेस्ट नहीं रहा है पर लाइफ में कुछ अचीव कर पाने के लिए फाइनेंस में एमबीए किया था।
टाइम कैन बी मैनेज्ड
मुझे याद भी नहीं है कि मैं कब से और क्यों लिख रहा हूं। पहले मैं अपना लिखा किसी को पढ़ाता नहीं था, फिर मैंने ब्लॉग लिखना शुरू किया। मेरा पहला ही आर्टिकल लोगों के बीच बहुत ज़्यादा पॉपुलर हो गया था। उसके बाद मेरे पास रीडर्स के मेसेजेस और ई मेल्स आने लगे। ब्लॉग लिखते-लिखते ही मैंने नॉवेल लिखना स्टार्ट कर दिया। जॉब में रहते हुए लिखना थोड़ा मुश्किल हो जाता है पर मैंने आदत बना रखी है कि बिना लिखे सोऊं न। मैं कभी भी टाइम की कमी को लेकर परेशान नहीं होता। मेरा मानना है कि अगर आप वाकई में कुछ करना चाहते हैं तो उसके लिए कैसे भी मैनेज कर लेंगे।
फ्रेंड्स आर मोटिवेटिंग
नॉवेल लिखने से लेकर पब्लिश होने तक मेरे फ्रेंड्स का पूरा सपोर्ट मेरे साथ रहा है। यह उन लोगों का ही प्रभाव था कि मैं बुक को टाइम्ली कंप्लीट कर पाया। बुक छपने के बाद भी उनका सपोर्ट कम नहीं हुआ। सबने बुक को अपने तरीकों से प्रमोट किया। यह सब देखकर मुझे बहुत खुशी मिलती है।
हैपिनेस इज़ अचीविंग पैशन
मैं अपना फ्यूचर किसी जॉब के बजाय बुक्स में देखता हूं। नौकरी जिंदगी शुरू करने के लिए ज़रूरी है पर जिंदगी का अंजाम उसी चीज़ के साथ होना चाहिए जिससे हम सबसे ज़्यादा प्यार करते हैं। मेरा मानना है कि बिना सक्सेस के लाइफ का कोई मतलब नहीं है। सक्सेस को संभालना आना चाहिए।
मेसेज फॉर यंगस्टर्स
कभी यह सोचकर परेशान नहीं होना चाहिए कि कल क्या होगा। प्रेज़ेंट में जीने से फ्यूचर भी अच्छा रहता है। मन को शांत रखने से हर प्रॉब्लम से लड़ा जा सकता है।
दीपाली पोरवाल