युवाओं की पसंदीदा राइटर
$िकस्सागो परिवार में जन्म होने के कारण बचपन से ही कहानियों के बीच रहीं लेखिका पूजा उपाध्याय। ब्लॉग पर तीन साल में वे 150 से भी अधिक कहानियां लिख चुकी हैं। उनके पहले उपन्यास 'तीन रोज़ इश्$कÓ को यंग रीडर्स का भरपूर प्यार और प्रोत्साहन मिला है। यह किताब इतनी
$िकस्सागो परिवार में जन्म होने के कारण बचपन से ही कहानियों के बीच रहीं लेखिका पूजा उपाध्याय। ब्लॉग पर तीन साल में वे 150 से भी अधिक कहानियां लिख चुकी हैं। उनके पहले उपन्यास 'तीन रोज़ इश्$कÓ को यंग रीडर्स का भरपूर प्यार और प्रोत्साहन मिला है। यह किताब इतनी अधिक बिकी कि इंटरनेट पर आउट ऑफ स्टॉक हो गई।
'तीन रोज़ इश्$कÓ में आपने अपने अनुभवों को उतारा है?
कहानियों में तीन एलिमेंट होते हैं- किरदार, परिवेश और घटना। किसी भी कहानी में ये तीनों अनुभव शामिल नहीं हो सकते। मेरी अधिकतर कहानियां जैसे 'दुआएं बुनने वालाÓ, 'उदास जुलाहाÓ आदि काल्पनिक हैं, जबकि कुछ दूसरी कहानियों में परिवेश बिलकुल मेरा देखा और जिया हुआ है।
आगे क्या लिखने की योजना है?
वर्तमान में मैं दो कहानियों के लेखन में व्यस्त हंू। दोनों बहुत विस्तार मांगती हैं, इसलिए उपन्यास लिखना होगा। पहली एक साइंस फिक्शन है, जिसमें दो साइंटिस्ट्स हैं। एक क्रिमिनल साइकोलॉजिस्ट होता है और दूसरा प्योर फिजि़क्स पर रिसर्च कर रहा होता है। वहीं दूसरी कहानी में ग्रामीण परिवेश में रहने वाली एक लड़की की कहानी है। हम क्या बनना चाहते हैं और क्या हो जाते हैं, इसमें परिवेश किस तरह घुला मिला है, इस पर लिखने की ख़्वाहिश है।
और क्या काम करती हैं?
मैं फ्रीलांस लेखन करती हूं। गानों के लिरिक्स, कॉरपोरेट फिल्म स्क्रिप्ट्स लिखती हूं। फिलहाल एक कॉफी टेबल बुक के लेखन की बात चल रही है। मैंने एडवरटाइजि़ंग और इवेंट मैनेजमेंट से संबंधित नौकरियां की हैं। गाहे-बगाहे इनके प्रोजेक्ट्स पर भी काम करती रहती हूं।
युवा लेखकों से क्या कहना चाहेंगी?
जो आप कहना चाहते हैं, उसे लगातार लिखते रहें। इस बात की परवाह किए बिना कि अच्छा लिख रहे हैं या बुरा। बाद में उससे अपनी पसंद का कंटेंट छांटा जा सकता है। लेखन हमेशा अपनी ख़्ाुशी के लिए होना चाहिए। जीवन के प्रति खुली सोच रखें। चीज़ों को गौर से देखें। ख़्ाूबसूरत कहानियां छोटी-छोटी डिटेल्स में होती हैं। ब्लॉग लिखना काफी मददगार होता है, यहां आप बहुत हद तक समझ भी सकते हैं कि आप कैसा लिख रहे हैं।
स्मिता