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बदाम खाएं स्टैमिना बढ़ाएं

दूसरों का दर्द समझना और मरहम लगाना इनका प्रोफेशन है। दरअसल, फिजियोथेरेपिस्ट की लाइफ बहुत व्यस्त होती है। ऐसे में वे अपनी सेहत का कितना खयाल रख पाते हैं, यह जानने के लिए डीडी कर रही है एकें फिजियोथेरेपिस्ट का डाइट एक्सरे। साथ ही डाइटीशियन की सलाह पर बता रही है संतुलित और पौष्टिक डाइट प्लान। दिनचर्या : मेरे दिन की शुरुआत सुबह 5

By Edited By: Published: Wed, 18 Sep 2013 03:00 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
बदाम खाएं स्टैमिना बढ़ाएं

दूसरों का दर्द समझना और मरहम लगाना इनका प्रोफेशन है। दरअसल, फिजियोथेरेपिस्ट की लाइफ बहुत व्यस्त होती है। ऐसे में वे अपनी सेहत का कितना खयाल रख पाते हैं, यह जानने के लिए डीडी कर रही है एकें फिजियोथेरेपिस्ट का डाइट एक्सरे। साथ ही डाइटीशियन की सलाह पर बता रही है संतुलित और पौष्टिक डाइट प्लान।

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दिनचर्या : मेरे दिन की शुरुआत सुबह 5 बजे होती है। उसके बाद में आधा घंटे के लिए बाहर टहलने जाता हूं। मेरा प्रोफे शन ऐसा है, जिसमें एक बार हॉस्पिटल पहुंचने के बाद ख़्ाुद के लिए टाइम निकालना बहुत मुश्किल होता है। दूसरों को एक्सरसाइज और फिजियोथेरेपी तो करा देते हैं हम, लेकिन टहलने के अलावा अन्य कोई एक्सरसाइ़ज का समय नहीं मिल पाता। शाम तक इतनी थ़कान होती है कि खाना खाकर सो जाता हूं।

ब्रेकफस्ट : सुबह 7.30 बजे मेरे ब्रेकफस्ट में आमतौर पर 1 ग्लास दूध/ मट्ठा या 1 कप चाय, बिस्किट और दलिया होते हैं। उसके बाद कुछ नहीं लेता। सीधे लंच करता हूं।

लंच : दोपहर 1-1.30 के बीच 2-3 चपाती, 1 सब्जी 1 दाल और थोड़े चावल लेता हूं। फिर शाम 5 बजे घर के लिए रवाना होता हूं।

डिनर : घर पहुंचकर कुछ देर आराम करता हूं और फिर 6.30-7.00 के बीच में डिनर करता हूं, जिसमें आमतौर पर चपाती, दाल, सब़्जी होते हैं। इसके बाद स्टडी करता हूं और 9.30 बजे तक सो

जाता हूं।

-सुरेंद्र की हाइट के हिसाब से वजन 2 किलो कम है। वह बहुत लाइट ब्रेकफस्ट लेते हैं, जिसमें न्यूट्रिशन की कमी है। अगर समय कम मिल पाता है तो साथ में एक सेब या सैंडविच, एक स्टफ्ड रोटी या परांठा रोल रखें। इन्हें फिंगर फू ड कहते हैं। ताकि लंबे समय तक पेट ख़्ाली न रहे।

-फिजियोथेरेपिस्ट की लाइफस्टाइल टफ होती है। इन्हें फिजिकल वर्क का़फी करना पड़ता है इसलिए प्रोटीन रिच/ हाई प्रोटीन डाइट लेनी चाहिए। ब्रेकफस्ट में 8-10 भीगे हुए बादाम जरूर खाने चाहिए।

-इन्हें थोड़ा-थोड़ा खाना बार-बार खाना चाहिए। सुबह 11 बजे और शाम के चार बजे अपने बि़जी शेड्यूल में से थोड़ा समय निकालकर स्प्राउट्स, फर्मंटेंड प्रोडक्ट मसलन इडली या डोसा या कोई फल, सेब, पपीता, पियर या अनार आदि लेना जरूरी है।

-लंच और डिनर लगभग ठीक है लेकिन इसमें की मात्रा बढ़ा सकते हैं। पनीर, सोयाबीन या दालों को अपने लंच और डिनर में पर्याप्त रूप से शामिल करें। पोस्ट डिनर एक ग्लास दूध पीने की आदत जरूर बनाएं।

-हरी सब्जियां, फल व दूध आहार में शामिल करें ताकि नैचरल मल्टीविटमिन व मिनरल्स मिल सकें।


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