गलत आदतों में सुधार
दीदी, आपकी बातें आज याद आ रही हैं। काश! उस समय आपकी बातों को उपदेश कहकर न टालता। जॉब मिल जाने के कारण इन दिनों मुझे घर से बाहर दिल्ली में रहना पड़ रहा है। रूम रेंट महंगा है, इसलिए यहां अपने चार दोस्तों के साथ कमरा शेयर कर रहा हूं। यहां मेरे रूम मेट हर समय मुझे सामान अपनी जगह पर न रखन
दीदी, आपकी बातें आज याद आ रही हैं। काश! उस समय आपकी बातों को उपदेश कहकर न टालता। जॉब मिल जाने के कारण इन दिनों मुझे घर से बाहर दिल्ली में रहना पड़ रहा है। रूम रेंट महंगा है, इसलिए यहां अपने चार दोस्तों के साथ कमरा शेयर कर रहा हूं। यहां मेरे रूम मेट हर समय मुझे सामान अपनी जगह पर न रखने के लिए टोकते रहते हैं। दरअसल, जब भी किसी चीज की जरूरत पड़ती है तो उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ती है। वे हमेशा मुझसे पूछते हैं कि क्या तुम अपने घर में भी इसी तरह रहते थे? क्या वहां बड़े लोग तुम्हें डांटते या समझाते नहीं थे? पर मैं उनसे क्या कहता! दीदी तो मुझे समझाया करती थीं, लेकिन मैं उनकी बात मानता कहां था। हमेशा गीला तौलिया बेड पर रख देता। बिस्किट का डब्बा खुला छोड़ देता। फ्लैट के मेन गेट की चाभी जगह पर नहीं रखता हूं। इससे सभी को परेशानी झेलनी पड़ती है। अगर मैंने आपकी बातों पर ध्यान दिया होता और आपकी बातें मानी होतीं तो मेरी वजह से कोई परेशान नहीं होता। आज मैं आपसे वादा करता हूं कि अपनी गलत आदतों को सुधारने की कोशिश करूंगा। छुट्टिंयों में जब मैं घर आऊंगा तो आप मुझमें जरूर बदलाव महसूस करेंगी। (शिवम)