Move to Jagran APP

व्यवहार बदलने में मदद

मैं बड़ी वाचाल थी। बोलने के क्रम में मुझे पता ही नहीं चलता था कि मैंने किसी संदर्भ में झूठ बोल दिया है। एक झूठ को सच साबित करने के लिए मुझे फिर हज़ार झूठ बोलने पड़ते। कभी-कभार तो अपनी बातों से मैं दूसरों का दिल भी दुखा दिया करती

By Babita kashyapEdited By: Published: Fri, 05 Jun 2015 02:16 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jun 2015 02:19 PM (IST)
व्यवहार बदलने में मदद

मैं बड़ी वाचाल थी। बोलने के क्रम में मुझे पता ही नहीं चलता था कि मैंने किसी संदर्भ में झूठ बोल दिया है। एक झूठ को सच साबित करने के लिए मुझे फिर हज़ार झूठ बोलने पड़ते। कभी-कभार तो अपनी बातों से मैं दूसरों का दिल भी दुखा दिया करती थी। इसके अलावा जब मेरा मूड सही रहता, तो मैं ऑफिस के सभी लोगों से खूब बोलती। मूड सही ना होने पर अगर कोई दूसरा बातचीत कर रहा होता, तो मैं उससे जानबूझकर उलझ जाती। हालांकि मैं जब अकेली बैठी होती, तो अपनी बुरी आदतों के बारे में जरूर सोचती, उनसे मन ही मन तौबा करती। इसके बावजूद मैं सफल नहीं हो पाती। एक दिन अपनी बातों से मैंने पल्लवी का दिल दुखा दिया। जब बात बहुत आगे बढ़ गई तो आमतौर पर कम बोलने वाली पल्लवी भी फट पड़ी। उसने मुझे पहले तो खूब भला-बुरा कहा। फिर मुझे समझाने की कोशिश भी की। उसने जो बातें मुझसे कहीं, वे मेरे लिए आंखें खोल देने वाली थीं। मैं उसी दिन से अपना व्यवहार बदलने की कोशिश करने लगी। थैंक्यू पल्लवी, तुमने एक स'ची दोस्त की तरह मुझे सही सलाह दी और मुझे बदलने का अभ्यास कराया।

loksabha election banner

रुचि, नोएडाफॉरगिव मी फॉर हर्टिंग यू

आज भी जब मैं तुम्हें याद करता हूं, तो शर्मिंदा हो जाता हूं। तुम्हें मैंने हॉकी मैच के दौरान जान-बूझकर गिरा दिया था। चोट खाकर तुम जमीन पर गिर कर बुरी तरह छटपटाने लगे थी। तुम्हें मैच में रिटायर हर्ट घोषित कर दिया गया। तुम्हारा पैर फ्रैक्चर हो गया था। तुम्हें डॉक्टर ने छह महीने बेड रेस्ट की सलाह दी। चोट की वजह से तुम हाफ इयरली एग्ज़ैम भी नहीं दे पाए। इसलिए तुम 12वीं की परीक्षा में फस्र्ट भी नहीं आ पाए, क्योंकि हमारे स्कूल में हाफ ईयरली और एनुअल एग्ज़ैम के माक्र्स को जोड़कर ग्रेड दिए जाने की व्यवस्था थी। मैं आज भी समझ नहीं पाया हूं कि मैंने तुम्हें धक्का क्यों दिया? क्या मुझे तुमसे जलन होती थी? नहीं, बिल्कुल नहीं। तुम तो बहुत हेल्पफुल थे। तुमने कई बार मेरी मदद की थी। पता नहीं तुमसे कभी मुलाकात हो भी पाएगी या नहीं। प्लीज़ फॉरगिव मी।

अमित, दिल्ली


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.