आई कन्फेस-बुरी आदत से तौबा
डींग हांकने की आदत मुझमें कहां से आई थी, मैं नहीं जानती। यह सच है कि मैं वेल स्टैब्लिश फेमिली से थी, लेकिन इसका गुमान भी मुझे खूब था। हर दिन मैं कॉलेज नए-नए कपड़े और एक्सेसरीज पहनकर जाती थी। दरअसल, मैं बिजनेसमैन फेमिली से बिलॉन्ग करती थी। मैं अकसर अपने दोस्तों से डींग हांका करती कि किसी भी व्यक्ति क
डींग हांकने की आदत मुझमें कहां से आई थी, मैं नहीं जानती। यह सच है कि मैं वेल स्टैब्लिश फेमिली से थी, लेकिन इसका गुमान भी मुझे खूब था। हर दिन मैं कॉलेज नए-नए कपड़े और एक्सेसरीज पहनकर जाती थी।
दरअसल, मैं बिजनेसमैन फेमिली से बिलॉन्ग करती थी। मैं अकसर अपने दोस्तों से डींग हांका करती कि किसी भी व्यक्ति को कभी-भी जॉब दिला सकती हूं। मेरी यही बातें सुनकर एक दिन साइना ने मुझसे मदद मांगी कि तुम मेरे लिए जॉब की व्यवस्था कर दो। मैं चाहकर भी उसके लिए जॉब की व्यवस्था नहीं करा पाई। वह तो अच्छा हुआ कि ऐन वक्त पर गौरव ने साइना के लिए जॉब की व्यवस्था कर दी। वर्ना मैं तो अपने दोस्तों की नजरों से गिर जाती। मैंने उसी समय अपने आप से वादा किया कि अब कभी डींग नहीं हाकूंगी। मैं अपने उन सभी फेमिली मेंबर्स, फ्रेंड्स, कुलीग्स से सॉरी कहना चाहती हूं, जिन लोगों को मैंने कभी अपनी डींग हांकने की आदत से परेशान किया था।
काव्या