Move to Jagran APP

चोरी की सनक

राहुल, आइ एम वेरी सॉरी टु यू। कॉलेज में हम लोगों का अंतिम दिन था। तुम एक बढिय़ा सा पेन लेकर आए थे, जिसे तुम बारी-बारी से कुछ दोस्तों को दिखा रहे थे। मैं दूर से तुम्हारा पेन देख रही थी। ग्रीन कलर वाला पेन मुझे अपनी ओर खींच रहा

By deepali groverEdited By: Published: Thu, 04 Dec 2014 03:35 PM (IST)Updated: Thu, 04 Dec 2014 04:28 PM (IST)
चोरी की सनक

राहुल, आइ एम वेरी सॉरी टु यू। कॉलेज में हम लोगों का अंतिम दिन था। तुम एक बढिय़ा सा पेन लेकर आए थे, जिसे तुम बारी-बारी से कुछ दोस्तों को दिखा रहे थे। मैं दूर से तुम्हारा पेन देख रही थी। ग्रीन कलर वाला पेन मुझे अपनी ओर खींच रहा था। जैसे ही तुम कोई फोन कॉल अटेंड करने गए, मैंने झट से वह पेन चुरा लिया और बैग में रख लिया। तुम बहुत परेशान हो गए थे, क्योंकि वह तुम्हारे किसी खास दोस्त ने तुम्हें दिया था। क्या तुम जानते हो कि मैं कुछ दिन पहले तक एक मानसिक बीमारी से ग्रस्त थी। किसी व्यक्ति के पास नया सामान देखकर मैं उसके प्रति फेसिनेट हो जाती। यही आदत मुझे चोरी करने के लिए उकसाता था।

loksabha election banner

जब पेन चोरी होने के बाद तुम परेशान हो गए तो घर लौटने के बाद तुम्हारा चेहरा बार-बार मुझे याद आ रहा था। मैंने उसी समय निर्णय लिया और एक मनोचिकित्सक से मिलने चली गई। उन्होंने मुझे अपने क्लिनिक लगातार पांच-छह सेशन बुलाया। इसका फायदा यह हुआ कि चोरी करने की बुरी आदत खत्म हो गई। अब मैं किसी भी व्यक्ति का सामान देखकर उसे चुराने की योजना बनाने में नहीं जुटती। काश! तुम जहां भी हो, माफ कर देना। तुम्हारा पेन मेरे पास अमानत के रूप में सुरक्षित है। जब भी तुम इस शहर आओगे, अपना पेन उपहार में पाओगे।

(रोशनी)


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.