ईष्र्या करने की टीस
सौम्या फैशनेबल थी। बाजार में जब भी उसकी नजर किसी बढि़या एक्सेसरीज पर पड़ती, वह उसे जरूर खरीद लेती। दूसरी ओर, जब मैं उसके कानों में कोई नया इयररिंग या गले में नेकलेस वगैरह देखती, तो जल-भुन कर खाक हो जाती। दूसरों के सामने उसे नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ती थी। सौम्या मेरे हाले-दिल से बेखबर
सौम्या फैशनेबल थी। बाजार में जब भी उसकी नजर किसी बढि़या एक्सेसरीज पर पड़ती, वह उसे जरूर खरीद लेती। दूसरी ओर, जब मैं उसके कानों में कोई नया इयररिंग या गले में नेकलेस वगैरह देखती, तो जल-भुन कर खाक हो जाती। दूसरों के सामने उसे नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ती थी। सौम्या मेरे हाले-दिल से बेखबर हमेशा मुझसे अपनी खुशियां बांटती। उसे लगता कि मैं उसकी प्रशंसक हूं। वह मुझे हमेशा किसी न किसी चीज को दिखाते हुए कहती कि देखो यह मुझ पर कितनी फब रही है। यह सुनते ही मुझे लगता कि मेरे कानों पर बिच्छु ने डंक मार दिया है। एक बार तो मैंने हद कर दी। कॉलेज में वार्षिकोत्सव के दौरान वह मेरी बगल वाली सीट पर बैठी थी। उस दिन भी वह एक बहुत ़खूबसूरत स़फेद ड्रेस पहने हुई थी। मैंने भी पूरी तैयारी के साथ ही आई थी। मौक ा मिलते ही मैंने चुपके से उसकी ड्रेस ब्लेड से कई जगहों पर काट दी। जब वॉशरूम में उसने अपनी फटी हुई ड्रेस देखी तो रोने लगी। उसे रोता देखकर मुझे बेहद ़खुशी हुई थी। एक दिन मैंने अपनी दोस्त, जो साइकोलॉजी की स्टूडेंट भी है, उससे सौम्या से ईष्र्या रखने वाली पूरी बात शेयर कर दी। यह सुनकर पहले तो वह बेहद नाराज हुई, फिर मुझे कई दिनों तक लगातार समझाती रही। थैंक गॉड अब मैं अपनी इस गंदी आदत से पीछा छुड़ा चुकी हूं, पर सौम्या का दिल दुखाने की टीस बनी हुई है।
(आएशा)